कश्मीर : धारा 35-ए की गुत्थी सुलझना जरूरी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 7, 2018 12:20 PM2018-08-07T12:20:43+5:302018-08-07T12:20:43+5:30

इस प्रावधान को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा 14 मई 1954 को एक आदेश जारी करके भारतीय संविधान का हिस्सा बनाया गया था।

Kashmir: There have to solve article 35-A issue | कश्मीर : धारा 35-ए की गुत्थी सुलझना जरूरी

कश्मीर : धारा 35-ए की गुत्थी सुलझना जरूरी

प्रमोद भार्गव

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा और अधिकतम स्वायत्तता देने वाले अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिकता पर उठे प्रश्न की गुत्थी सुलझने की घड़ी निकट दिख रही है। सर्वोच्च न्यायालय में गैर-सरकारी संगठन ‘बी द सिटिजन्स’ द्वारा दायर जनहित याचिका के क्रम में यह सुनवाई न्यायालय की 3 सदस्यीय खंडपीठ ने शुरू की है। याचिका दायर करने वाली संस्था को आरएसएस से संबंधित बताया जा रहा है। संस्था किसी भी दल या संगठन से जुड़ी हो यदि उसने तथ्यों के साथ इस अनुच्छेद की संवैधानिकता पर सवाल उठाए हैं, तो इसकी वैधता पर फैसला होना ही चाहिए।

याचिका में दावा किया गया है कि इस प्रावधान को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा 14 मई 1954 को एक आदेश जारी करके भारतीय संविधान का हिस्सा बनाया गया था। जबकि संविधान में कोई भी बदलाव केवल संसद को बहुमत से करने का अधिकार है। प्रश्न यह भी है कि यदि अनुच्छेद-35-ए असंवैधानिक है, तो बीते 65 साल कांग्रेस समेत अन्य दलों की सरकारें भी केंद्रीय सत्ता में रहीं तो फिर उन्होंने इस धारा की व्याख्या को चुनौती क्यों नहीं दी? 

इस अनुच्छेद पर सुनवाई की शुरुआत होने से पहले ही घाटी में अलगाववादियों ने बंद का ऐलान कर दिया। पिछले साल जब इस धारा पर सुनवाई शुरू हुई थी तो तत्कालीन महबूबा मुफ्ती सरकार ने राज्य में कानून व्यस्था का हवाला देकर सुनवाई टलवा दी थी. किंतु अब राष्ट्रपति शासन के चलते सुनवाई टालना मुश्किल है। इस धारा को लेकर अलगाववादियों और आतंकवादियों की विडंबना है कि एक ओर तो वे 35-ए का समर्थन करते हैं, जबकि वे भली-भांति जानते हैं कि यह अनुच्छेद आखिरकार भारतीय संविधान का ही हिस्सा है, जम्मू-कश्मीर के विधान का हिस्सा नहीं है। यह उनका दोहरापन ही है कि वे भारतीय संविधान का तो बहिष्कार करते हैं, लेकिन इसी में दर्ज प्रावधानों में बदलाव की पहल होती है तो अपने स्वार्थो के लिए उसका विरोध करते हैं। 

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Web Title: Kashmir: There have to solve article 35-A issue

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