जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: आईटी सेक्टर ला रहा अर्थव्यवस्था में चमक
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: November 7, 2020 08:03 AM2020-11-07T08:03:09+5:302020-11-07T08:07:36+5:30
भारत की आईटी सेवा कंपनियों को गैर-अंग्रेजी भाषी देशों में कारोबार में आगे बढ़ने के लिए कार्मिकों को जापानी और कोरियाई व अन्य भाषाओं में प्रशिक्षण देने पर व्यय किया जाना होगा ताकि इन देशों के बाजारों तक भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की पहुंच बनाई जा सके.
यकीनन कोविड-19 की चुनौतियों के बीच एक ओर जहां भारत का आईटी उद्योग तेजी से आगे बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर आउटसोर्सिग से भारत की विदेशी मुद्रा की कमाई भी बढ़ी है. देश के आईटी उद्योग का लाभ शानदार आर्डर प्रवाह के कारण एक दशक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.
इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) की रिपोर्ट अगस्त 2020 के मुताबिक भारतीय आईटी सेक्टर की आय वर्ष 2020 में 7.7 प्रतिशत बढ़कर करीब 191 अरब डॉलर अनुमानित की गई है. यह आय वर्ष 2025 तक बढ़ते हुए 350 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच सकती है. भारत दुनिया में आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक देश है.
भारत की 200 से अधिक आईटी फर्म दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में काम कर रही हैं. आईटी कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या 43.6 लाख तक पहुंच गई है.
उल्लेखनीय है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के समय खासतौर से तकनीकी कार्यो के लिए भारत से आउटसोर्सिग में काफी तेजी आई थी. भारत में प्रौद्योगिकी डेवलपरों का पारिश्रमिक अन्य विकसित देशों के मुकाबले कम होने से भी आउटसोर्सिग को बढ़ावा मिला था.
एक बार फिर कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भारत का आईटी उद्योग देश ही नहीं, दुनिया की सम्पत्ति के रूप में दिखाई दिया है. भारत के आईटी उद्योग की कोरोना संक्र मण के बीच देश और दुनिया के उद्योग-कारोबार और स्वास्थ्य सेवाओं को गतिशील करने में प्रभावी भूमिका रही है.
वस्तुत: कोविड-19 ने आईटी कंपनियों के लिए नए डिजिटल अवसर पैदा किए हैं, क्योंकि देश और दुनिया की ज्यादातर कारोबार गतिविधियां अब ऑनलाइन हो गई हैं. वर्क फ्राम होम (डब्ल्यूएफएच) करने की प्रवृत्ति की व्यापक तौर पर स्वीकार्यता से आउटसोर्सिग को बढ़ावा मिला है. नैसकॉम के अनुसार, आईटी कंपनियों के अधिकांश कर्मचारियों के द्वारा लॉकडाउन के दौरान घर से काम किया गया है.
आपदा के बीच समय पर सेवा की आपूर्ति से कई वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है. स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 ने आईटी उद्योग की रोजगार संबंधी तस्वीर को बदल दिया है.
डिजिटल और क्लाउड जैसे क्षेत्नों में ग्राहकों की मांग बढ़ी है. स्थिति यह है कि कोरोना शुरू होने के बाद कई आईटी कंपनियों ने मंदी की आशंका के चलते बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की थी. लेकिन अब कई आईटी कंपनियां कामकाज के तेजी से बढ़ने से अपने पुराने कर्मचारियों को नौकरी पर बुला रही हैं.
चूंकि पुराने कर्मचारियों की ऑनलाइन हायरिंग भी ज्यादा आसान है. पुराने कर्मचारी सिस्टम से अच्छी तरह से परिचित होते हैं. अतएव वे कार्य पर आने के पहले दिन से ही संस्थान में अपना योगदान करने लगते हैं.
कोविड-19 के पूर्व तक भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा व्यावसायिक यात्नाओं और आवाजाही के तहत बड़ी मात्ना में कार्बन उत्सर्जन किया जाता रहा है. लेकिन कोविड-19 ने आईटी कंपनियों को डब्ल्यूएफएच मॉडल अपनाने के लिए बाध्य किया है. साथ ही अमेरिका जैसे बाजारों में बढ़ती वीजा सख्ती की वजह से भी आईटी कंपनियों को स्थानीय तौर पर कर्मचारियों को नियुक्त करना पड़ रहा है.
इससे भारतीय आईटी कंपनियों की यात्ना और दैनिक आवाजाही घटी है और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है. कार्बन उत्सर्जन में कमी के आधार पर भी आउटसोर्सिग कारोबार में भारी वृद्धि की नई संभावनाएं निर्मित हुई हैं.
निस्संदेह कोविड-19 के दौर में देश के आईटी उद्योग को ऊंचाई देने और आउटसोर्सिग की चमकीली संभावनाओं को और बढ़ाने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा.
हमें नई पीढ़ी को आईटी की नए दौर की शिक्षा देने के लिए समुचित निवेश की व्यवस्था करनी होगी. हमें नए दौर की तकनीकी जरूरतों और इंडस्ट्री की अपेक्षाओं के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण से नई पीढ़ी को सुसज्जित करना होगा. हमें शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ना होगा.
हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियल्टी, रोबोटिक प्रोसेस, ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डाटा एनालिसिस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, ब्लॉक चेन और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्नों में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाना होगा.
हमें सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करके आउटसोर्सिग की संभावनाओं वाले अन्य देशों में भी कदम बढ़ाने होंगे. खासतौर से आउटसोर्सिग की नई संभावनाएं उत्तरी यूरोप, पूर्वी एवं मध्य यूरोप के देशों, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया और पूर्वी एशियाई देशों, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसे देशों में और बढ़ गई हैं.
भारत की आईटी सेवा कंपनियों को गैर-अंग्रेजी भाषी देशों में कारोबार में आगे बढ़ने के लिए कार्मिकों को जापानी और कोरियाई व अन्य भाषाओं में प्रशिक्षण देने पर व्यय किया जाना होगा ताकि इन देशों के बाजारों तक भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की पहुंच बनाई जा सके.
भले ही 7 अक्तूबर को अमेरिका के श्रम मंत्नालय ने वीजा नियमों में परिवर्तन करके अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के लिए मौके घटाए हैं लेकिन कोविड-19 की चुनौतियों के बीच अमेरिका सहित दुनिया के 80 से अधिक देशों में भारत से आईटी आउटसोर्सिग कारोबार बढ़ाने की संभावनाओं को मुट्ठियों में लेने की डगर पर आगे बढ़ना चाहिए.