जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: लॉकडाउन की चुनौतियों के बीच राहत का परिदृश्य

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: March 31, 2020 01:01 PM2020-03-31T13:01:33+5:302020-03-31T13:01:33+5:30

Jayantilal Bhandari's blog: a scenario of relief amidst the challenges of lockdown | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: लॉकडाउन की चुनौतियों के बीच राहत का परिदृश्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च से 21 दिनों का लॉकडाउन की घोषणा की है.

Highlightsलॉकडाउन ने देश के उद्योग-कारोबार को सबसे अधिक प्रभावित किया है. लॉकडाउन के कारण उद्योग-कारोबार के ठप होने के कारण देश के कोने-कोने में दैनिक मजदूरी करने वालों के लिए काम की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

यकीनन 26 मार्च को कोरोना महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के बीच वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण द्वारा गरीब किसान, महिला एवं अन्य प्रभावित वर्गो के 100 करोड़ से अधिक लोगों को राहत पहुंचाने के लिए जो एक लाख 70 हजार करोड़ रुपए का बहुआयामी पैकेज घोषित किया गया है वह सराहनीय है. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित कई आर्थिक एवं औद्योगिक संगठनों ने कोरोना से जंग में भारत के प्रयासों की सराहना की है.

इसी तरह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उद्योग कारोबार और लोगों को वित्तीय व बैंकिंग संबंधी राहत देने के लिए कई महत्वपूर्ण ऐलान किए हैं. खास तौर से रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट घटाकर बड़ी राहत दी गई है. ब्याज दर में कमी का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. 3 माह तक ईएमआई नहीं दिए जाने संबंधी राहत भी दी गई है. एनपीए के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है. रिजर्व बैंक के नए फैसलों से चलन में नगदी की मात्रा बढ़ेगी. यह अनुमान है कि करीब 3 लाख करोड़ रुपए की नगदी चलन में आएगी. इससे उद्योग कारोबार के साथ-साथ सभी लोगों को राहत मिलेगी.

नि:संदेह देश में लॉकडाउन के कारण व्यावसायिक और वित्तीय गतिविधियों से चमकने वाले केंद्रों में निराशा का सन्नाटा दिखाई दे रहा है. ऐसे में दुनिया की प्रसिद्ध ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना प्रकोप से इस वर्ष 2020 में भारत की अर्थव्यवस्था को करीब नौ लाख करोड़ रु पए का नुकसान होगा. ऐसे में जो आर्थिक पैकेज घोषित किया है उससे प्रभावित लोगों के लिए अनाज और धन दोनों की उपयुक्त व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी. साथ ही अर्थव्यवस्था को मुश्किलों के दौर में कुछ राहत जरूर मिल सकेगी.

यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि लॉकडाउन ने देश के उद्योग-कारोबार को सबसे अधिक प्रभावित किया है. देश में सबसे अधिक रोजगार सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के द्वारा दिया जाता है. देश के करीब साढ़े सात करोड़ ऐसे छोटे उद्योगों में करीब 18 करोड़ लोगों को नौकरी मिली हुई है. लॉकडाउन के कारण उद्योग-कारोबार के ठप होने के कारण देश के कोने-कोने में दैनिक मजदूरी करने वालों के लिए काम की मुश्किलें बढ़ गई हैं. देश के कुल कार्यबल में गैर संगठित क्षेत्न की हिस्सेदारी 90 फीसदी है. साथ ही देश के कुल कार्यबल में 20 फीसदी लोग रोजाना मजदूरी प्राप्त करने वाले हैं. इन सबके कारण देश में चारों ओर रोजगार संबंधी चिंताएं और अधिक उभरकर दिखाई दे रही हैं.

हम आशा करें कि सरकार ने जिस तरह अब तक कोरोना से जंग के पहले चरण में बचाव के लिए जनता कफ्यरू, देशव्यापी लॉकडाउन और राहत पैकेज जैसे सफल कदम उठाए हैं, अब सरकार अगले चरण में ऐसे रणनीतिक कदम आगे बढ़ाएगी, जिससे देश के उद्योग-कारोबार सहित संपूर्ण अर्थव्यवस्था को आसन्न मंदी के दौर से बचाया जा सकेगा.

Web Title: Jayantilal Bhandari's blog: a scenario of relief amidst the challenges of lockdown

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