जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: खत्म नहीं हुई है भुखमरी से निपटने की चुनौती

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 6, 2022 10:27 AM2022-08-06T10:27:38+5:302022-08-06T10:31:52+5:30

भारत में भूख के मोर्चे पर दिखाई दे रहे कुछ सुधार के पीछे पिछले 7-8 वर्षों में कृषि विकास का बढ़ना महत्वपूर्ण कारण है। लेकिन देश को भुखमरी की चुनौती से बचाने और दुनिया के भूख से पीड़ित जरूरतमंद देशों के लोगों को भूख से राहत दिलाने के मद्देनजर अभी बहुत अधिक कारगर प्रयासों की जरूरत बनी हुई है।

Jayantilal Bhandari blog The challenge of tackling hunger is not over | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: खत्म नहीं हुई है भुखमरी से निपटने की चुनौती

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsदेश में भुखमरी से लड़ने के लिए और प्रयास की जरूरतसामुदायिक रसोई की व्यवस्था को मजबूत बनाने की जरूरतभोजन की बर्बादी को बचाना होगा

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के द्वारा प्रकाशित ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड रिपोर्ट-2022’ के अनुसार यद्यपि भारत में भूख की चुनौती में कमी आई है, लेकिन बड़ी संख्या में अभी भी लोग भुखमरी का सामना करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2004 में भारत की 24 करोड़ आबादी कुपोषित थी, जो पर्याप्त पोषण युक्त भोजन न मिलने के साथ-साथ भूख का सामना करते हुए दिखाई दी थी, यह संख्या घटते हुए वर्ष 2021 में 22.4 करोड़ पर पहुंच गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 में दुनिया में भूख की चुनौती का सामना करने वाले लोगों की कुल संख्या 76.8 करोड़ पाई गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एक ओर जहां दुनिया में भुखमरी पिछले 15 साल से लगातार बढ़ रही है और इसकी रफ्तार पिछले दो साल में तेज हुई है, वहीं दूसरी ओर भारत में पिछले 15 साल में भूख से जंग के मोर्चे पर थोड़ा सुधार हुआ है और कोरोनाकाल में इसकी रफ्तार नियंत्रित रही है।

नि:संदेह बढ़ते वैश्विक भूख संकट के दौर में भारत में भूख की चुनौती में जो कुछ कमी आई है उसके लिए भारत की तीन अनुकूलताएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। एक, गरीबों के सशक्तिकरण की कल्याणकारी योजनाएं और गरीबी में कमी आना। दो, कृषि क्षेत्र में सुधार तथा खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना और तीन, भूख और कुपोषण दूर करने की प्रभावी योजनाएं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि जैसे-जैसे गरीबी की दर में कमी आती है, वैसे-वैसे भुखमरी में भी कमी आती है। वस्तुतः भारत में हाल ही के वर्षों में गरीबों के कल्याण और विकास का नया अध्याय लिखा गया है। केंद्र सरकार के द्वारा गरीबों, किसानों और कमजोर वर्ग के करोड़ों लोगों के बैंक खातों में डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) से 23 लाख करोड़ रुपए सीधे जमा कराए गए हैं। 52 मंत्रालयों की ओर से संचालित 300 सरकारी योजनाओं के लाभ डीबीटी से लाभार्थियों तक पहुंचने से गरीबों का सशक्तिकरण हो रहा है।

भारत में भूख के मोर्चे पर दिखाई दे रहे कुछ सुधार के पीछे पिछले 7-8 वर्षों में कृषि विकास का बढ़ना महत्वपूर्ण कारण है। कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भी पिछले तीन वर्षों में कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है, जिसमें विकास दर नहीं घटी है। लेकिन देश को भुखमरी की चुनौती से बचाने और दुनिया के भूख से पीड़ित जरूरतमंद देशों के लोगों को भूख से राहत दिलाने के मद्देनजर अभी बहुत अधिक कारगर प्रयासों की जरूरत बनी हुई है। गरीबों का और अधिक सशक्तिकरण जरूरी है। देश और दुनिया की खाद्यान्न आपूर्ति के मद्देनजर कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के अधिक प्रयास जरूरी हैं। चूंकि खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार भारत में उत्पादित लगभग 40 फीसदी भोजन हर साल बर्बाद हो जाता है, जिसकी कीमत करीब 92,000 करोड़ रुपए है, ऐसे में देश में भोजन की बर्बादी को बचाना होगा।

हम उम्मीद करें कि संयुक्त राष्ट्र की ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड रिपोर्ट 2022’ के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा देश के करोड़ों लोगों को भूख की चुनौती से बाहर लाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए जाएंगे। हम उम्मीद करें कि सरकार के द्वारा सामुदायिक रसोई की व्यवस्था को मजबूत बनाकर उन जरूरतमंदों के लिए भोजन की कारगर व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, जिन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का लाभ नहीं मिल पा रहा है। साथ ही देश में बहुआयामी गरीबी, भूख और कुपोषण खत्म करने के लिए पोषण अभियान-2 को पूरी तरह कारगर व सफल बनाया जाएगा। हम उम्मीद करें कि सरकार की कृषि नीतियों के सफल क्रियान्वयन, करोड़ों किसानों के अथक परिश्रम और हमारे कुशल वैज्ञानिकों के अतुलनीय योगदान से देश की अपार खाद्यान्न उत्पादन की संभावनाओं को मुट्ठियों में लिया जा सकेगा और खाद्यान्न संकट से प्रभावित करोड़ों लोगों की झोलियों में पर्याप्त खाद्यान्न आपूर्ति की खुशियां भी डाली जा सकेंगी।

Web Title: Jayantilal Bhandari blog The challenge of tackling hunger is not over

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