ब्लॉग: जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग रिपोर्ट पर थम नहीं रहा विवाद

By शशिधर खान | Published: May 10, 2022 10:35 AM2022-05-10T10:35:12+5:302022-05-10T10:41:59+5:30

अंतिम रिपोर्ट परिसीमन आयोग ने ऐसे समय में जारी की है, जब सुप्रीम कोर्ट जम्मू व कश्मीर पुनर्गठन एक्ट को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाएं सुनवाई के लिए लिस्टिंग पर विचार करने को तैयार हो गया.

jammu kashmir delimitation commission report politics | ब्लॉग: जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग रिपोर्ट पर थम नहीं रहा विवाद

ब्लॉग: जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग रिपोर्ट पर थम नहीं रहा विवाद

Highlightsप्रीम कोर्ट की रिटायर जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी.परिसीमन आयोग रिपोर्ट के कई विवादों से घिरे होने के कारण आगे की प्रक्रिया उलझी हुई है.

संघ शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा सीटों के परिसीमन के लिए गठित सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी. लेकिन गठन के समय से ही चला आ रहा विवाद बरकरार है, जो संवैधानिक-सह-राजनीतिक है.

एक ओर जहां जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का रास्ता खुला, वहीं दूसरी ओर परिसीमन आयोग रिपोर्ट के कई विवादों से घिरे होने के कारण आगे की प्रक्रिया उलझी हुई है.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 के तहत जम्मू व कश्मीर राज्य का भारतीय संविधान के अनुच्छेद-370 के अंतर्गत प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त हो गया और इस राज्य का विभाजन दो संघशासित क्षेत्रों- जम्मू व कश्मीर और लद्दाख में हो गया. 

इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के अपने संविधान का अस्तित्व समाप्त हो गया और यह क्षेत्र पूरी तरह अन्य राज्यों की तरह भारतीय संघीय व्यवस्था का हिस्सा बन गया. 

5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट लागू होने के एक साल पहले से ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग थी और वहां पहले राज्यपाल शासन, फिर राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. नियमतः परिसीमन आयोग की रिपोर्ट पहले संबंधित राज्य/ संघशासित क्षेत्र की विधानसभा में पेश होती है.

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में आयोग का गठन किया. सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना देसाई परिसीमन आयोग की अध्यक्ष बनाई गईं और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा तथा जम्मू व कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी के. के. शर्मा आयोग के सदस्य नियुक्त हुए.

परिसीमन आयोग के सहयोगी सदस्य जम्मू व कश्मीर के पांच सांसद बनाए गए. उनमें सबसे मजबूत जनाधार वाली पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन और भाजपा के दो संसद सदस्य हैं. 

परिसीमन आयोग की पहली बैठक में प्रस्तुत ड्राफ्ट मसौदे से लेकर 5 मई, 2022 को जारी अंतिम रिपोर्ट तक जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने प्रस्ताव ठुकराने का सिलसिला जारी रखा.

अंतिम रिपोर्ट परिसीमन आयोग ने ऐसे समय में जारी की है, जब सुप्रीम कोर्ट जम्मू व कश्मीर पुनर्गठन एक्ट को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाएं सुनवाई के लिए लिस्टिंग पर विचार करने को तैयार हो गया. 

चीफ जस्टिस एन. वी. रमणा और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 25 अप्रैल को कहा कि गर्मी के अवकाश के बाद ये याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएंगी. 

विगत ढाई वर्षों में याचिकाकर्ताओं की ओर से कई अर्जियां देकर सुप्रीम कोर्ट से धारा-370 समाप्त करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सुनवाई जल्द करने का आग्रह किया गया. 

25 अप्रैल को पेश सीनियर एडवोकेट शेखर वकाड़े ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पीठ के सामने कहा- ‘यह धारा-370 का मामला है, परिसीमन भी जारी है.’ इस पर चीफ जस्टिस ने कहा- ‘यह पांच जजों की पीठ का मामला है, मैं पीठ का पुनर्गठन करूंगा.’

संवैधानिक विवाद का सबसे अहम पहलू ये है कि परिसीमन आयोग ने विधानसभा सीटों का जो खाका खींचा, उसमें परिसीमन एक्ट 2002 का पालन नहीं किया गया जबकि परिसीमन आयोग का गठन ही उसी कानून के तहत हुआ. 

जनगणना पर आधारित कुल सीटों की संख्या और उसका वितरण तय करने के लिए परिसीमन एक्ट का क्लाज 8 (B) लागू करने के बजाय जम्मू व कश्मीर पुनर्गठन एक्ट के सेक्शन 63 का अनुसरण किया गया.

जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता वाला यह पांचवां परिसीमन आयोग है और पहला है, जिसमें चुनाव क्षेत्रों का खाका खींचने में परिसीमन एक्ट, 2002 का पालन नहीं किया गया. 

परिसीमन आयोग का काम तो पांच उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए जनादेश के साथ शुरू हुआ लेकिन गठन के एक पखवाड़े बाद 21 मार्च 2020 को पांच पूर्वोत्तर राज्यों को इसके दायरे से बाहर कर दिया गया. यह एकमात्र आयोग है, जिसे सिर्फ जम्मू व कश्मीर के परिसीमन तक सीमित कर दिया गया.

Web Title: jammu kashmir delimitation commission report politics

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