डाक भुगतान बैंक: नरेंद्र मोदी सरकार के इस एक फैसले से बदल जाएगी गाँवों में बैंकिंग की तस्वीर
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 1, 2018 07:39 AM2018-09-01T07:39:32+5:302018-09-01T07:39:32+5:30
सरकार के इस अकेले फैसले से भारतीय बैंकिंग व्यवस्था और लोगों की बचत एवं निवेश की आदतों में बहुत बड़ा बदलाव आएगा।
-जाहिद खान
आखिरकार वह दिन आ ही गया है, जब हमारे आस-पड़ोस का छोटा सा डाकघर, बड़े बैंक के सभी काम करेगा। देश भर में फिलवक्त 1.55 लाख डाकघर हैं, जिसमें 1.39 लाख डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। तकरीबन इतनी ही संख्या डाकियों की है।
जाहिर है कि यही डाकिये भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक की सेवाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाएंगे। डाकघरों का कोर बैंकिंग नेटवर्क भी भारतीय स्टेट बैंक से काफी बड़ा है।
एसबीआई के पास जहां 1,666 कोर बैंकिंग शाखाएं हैं, तो वहीं 22,137 डाकघरों में कोर बैंकिंग सुविधाएं हैं। मौजूदा डाकघरों को बैंकिंग सोल्यूशंस तकनीक के जरिये पोस्ट बैंक से जोड़ा जाएगा।
डाक भुगतान बैंक से ग्राहकों को जहां एक साथ इतनी सुविधाएं मिलेंगी, तो इसकी कुछ सीमाएं और चुनौतियां भी हैं। सीमाएं इस मायने में कि डाक भुगतान बैंक, बैंक क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकता और न ही उसे ऋण देने का अधिकार होगा।
इसके अलावा बैंक के जो ग्राहक हैं, उन्हें अपनी जमा राशि का 75 फीसदी भाग सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करना होगा। वहीं सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती, सभी डाकघरों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करना होगी।
सरकार के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा
भारतीय डाकघर बैंक की तरह काम करें, सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों इस योजना पर काफी दिनों से काम कर रहे थे। उनकी ये सोच थी कि यदि डाकघर, बैंक की तरह संचालित होंगे, तो इसका देश की एक बड़ी आबादी को फायदा पहुंचेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बाद आज भी देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा बैंकिंग सेवाओं से वंचित है। खास तौर पर दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में जरूरत के मुताबिक बहुत ही कम बैंक हैं। डाकघर देश के हर हिस्से में मौजूद हैं।
इन डाकघरों को बैंक में तब्दील करना सरकार के लिए ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। जबकि नए बैंक खोलने के लिए पैसा और समय दोनों ही चाहिए।
डाकघरों को भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक के रूप में तब्दील कर सरकार ने देश का बहुत सारा पैसा और समय बचा लिया है।
आईपीपीबी के क्रियाशील हो जाने के बाद मनरेगा में दी जाने वाली मजदूरी, छात्रवृत्तियां, सामाजिक कल्याण योजनाओं और अन्य सरकारी सब्सिडी भी हर ग्राहक तक डाकिये के माध्यम से उपलब्ध कराई जा सकेगी।
सरकार के इस अकेले फैसले से भारतीय बैंकिंग व्यवस्था और लोगों की बचत एवं निवेश की आदतों में बहुत बड़ा बदलाव आएगा।
(लेखक पत्रकार हैं।)