दुनिया की सबसे बड़ी संसदीय संस्था अंतर संसदीय संघ यानी आईपीयू का चुनाव उसके इतिहास में पहली बार वर्चुअल तरीके से होने जा रहा है. इसके लिए आईपीयू ने अपने नियम और प्रक्रिया में बदलाव भी किया है.
नवंबर के पहले हफ्ते में दुनिया भर के इसके प्रतिनिधि पहली बार गुप्त इलेक्ट्रॉनिक मत से आईपीयू का नया अध्यक्ष चुनेंगे. चुनाव में पाकिस्तान समेत चार उम्मीदवारों के बीच टक्कर ने इसे और रोचक बना दिया है. इसी नाते पूरी दुनिया की निगाह इस चुनाव पर है. मौजूदा आईपीयू अध्यक्ष और मैक्सिको की सांसद गैब्रिएला क्यूवास का कार्यकाल 19 अक्तूबर 2020 को समाप्त हो गया है.
नए अध्यक्ष का कार्यकाल 2023 तक रहेगा. इस बार चुनाव में पुर्तगाल से दुआरते पचेको, पाकिस्तान से मोहम्मद संजरानी, उज्बेकिस्तान से अकमल सैदोव और कनाडा से सलमा अताउल्लाहजान के बीच दिलचस्प टक्कर है. इस चुनाव में कोविड-19 के नाते प्रचार अभियान भी वर्चुअल तरीके से ही चला और उम्मीदवारों ने वोटरों से अपने तरीके से बातें रखीं.
भारत से अब तक दो हस्तियां आईपीयू की अध्यक्ष रह चुकी हैं. पहली बार जी.एस. ढिल्लों 1973 से 1976 के दौरान इसके अध्यक्ष बने. तब वे लोकसभा अध्यक्ष थे. दूसरी बार राज्यसभा की तत्कालीन उपसभापति डॉ. नजमा हेपतुल्ला को इस पद पर आसीन रहने का मौका मिला था. भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्न होने के साथ आईपीयू का एक महत्वपूर्ण और मुखर सदस्य है.
यह अक्तूबर- नवंबर 1969 और अप्रैल 1993 में नई दिल्ली में अंतरसंसदीय संघ के सम्मेलनों की मेजबानी भी कर चुका है. वैश्विक संस्था का चुनाव होने के नाते इसमें विदेश मंत्नालय और भारत सरकार की खास दिलचस्पी रहती है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला आईपीयू की गवर्निग काउंसिल के 206वें सत्न के लिए भारतीय संसदीय शिष्टमंडल का नेतृत्व दिल्ली से ही कर रहे हैं.
इसका असाधारण वर्चुअल सत्न 1 से 4 नवंबर के दौरान हो रहा है. इसमें अब तक व्यक्तिगत भागीदारी ही होती थी लेकिन कोरोना संकट ने इसके इतिहास को नए मोड़ पर ला दिया है. वर्चुअल सत्न की कार्यसूची में अन्य बातों के साथ इलेक्ट्रॉनिक गुप्त मतदान के माध्यम से आईपीयू के नए अध्यक्ष का चुनाव भी शामिल है.
गवर्निग काउंसिल आईपीयू का मुख्य नीति निर्माण निकाय है. इसे अन्य बातों के साथ-साथ आईपीयू के नए अध्यक्ष के चुनने का अधिकार भी प्राप्त है. इसमें हर संसद से तीन सांसद शासी परिषद में प्रतिनिधित्व करते हैं. आईपीयू के चुनाव में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के नेतृत्व में भारतीय संसदीय शिष्टमंडल वर्चुअल सत्न में भाग ले रहा है और अपना वोट देगा.
प्रतिनिधिमंडल में सांसद लोकसभा पूनमबेन हेमतभाई और सांसद राज्यसभा स्वप्न दासगुप्त शामिल हैं. महासचिव राज्यसभा देश दीपक वर्मा और लोकसभा महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव भी सत्न में भागीदारी कर रहे हैं. संसदीय सौंध में इसके लिए खास इंतजाम 28 अक्तूबर को ही कर लिए गए हैं और चारों दिन प्रतिनिधि इसमें भागीदारी करेंगे. बैठक में विदेश मंत्नालय के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे.
30 जून 1889 को आईपीयू की स्थापना की गई थी. इस दिन की अहमियत के नाते दुनिया भर में 30 जून को अंतर्राष्ट्रीय संसदीय दिवस मनाया जाता है. आईपीयू का मुख्यालय जिनेवा में है और इसने विश्वव्यापी संसदीय संवाद और लोकतंत्न की मजबूती में अहम भूमिका निभाई है. दुनिया के सभी देशों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को एक छत के नीचे लाने की पहल 1870-80 के दशक में की गई थी.
काफी लंबी कोशिशों के बाद 1889 में जिनेवा में सांसदों के एक छोटे समूह के रूप में यह स्थापित हुई और धीरे-धीरे पूरी दुनिया में विस्तारित हो गई. संसदीय प्रणाली के लिहाज से दुनिया के 79 देशों में दो सदन और 114 देशों में एकसदनीय व्यवस्था है. आईपीयू साल में दो सम्मेलन आयोजित करता है जिसकी मेजबानी सदस्य देशों द्वारा की जाती है. दोहा में अप्रैल 2019 के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने किया था, जबकि बेलग्रेड में सम्मेलन का नेतृत्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अक्तूबर 2019 के दौरान किया था.