भारत-अमेरिका: अहम मुद्दों पर बढ़ता सहयोग, शोभना जैन का ब्लॉग

By शोभना जैन | Published: July 30, 2021 02:49 PM2021-07-30T14:49:49+5:302021-07-30T14:50:59+5:30

अफगान मुद्दे सहित क्वाड, हिंद प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने, कोरोना महामारी से निपटने, मध्य-पूर्व संबंधी मुद्दों के साथ ही  द्विपक्षीय हितों पर चर्चा हुई.

Indo-US Increasing cooperation on important issues US President Joe Biden Shobhana Jain's blog | भारत-अमेरिका: अहम मुद्दों पर बढ़ता सहयोग, शोभना जैन का ब्लॉग

सार्वजनिक तौर  पर बधाई संदेश देना भारत और अमेरिका के तिब्बत के मुद्दों को उठाने का संकेत है.

Highlightsअनेक मुद्दों पर सहमति बढ़ाने और सामरिक साझीदारी को बढ़ाने पर सहमति रही.चीन को लेकर दोनों देशों की साझा चिंताएं हैं.ब्लिंकन ने दलाई लामा के प्रतिनिधि गेशी दोरजी से मुलाकात की जिससे चीन बुरी तरह से बौखला गया.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के गत जनवरी में सत्ता संभालने के बाद वहां के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की इस सप्ताह के प्रारंभ में हुई पहली अहम भारत यात्र पर दुनिया भर की नजरें वर्तमान संवेदनशील अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर दोनों देशों की अहम मंत्रणा के साथ-साथ  इस बात पर भी लगी थी कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों की आगे की गति को कैसा स्वरूप मिल सकता है.

वैसे भी ब्लिंकन की यह भारत यात्र ऐसे वक्त हुई जबकि अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते वर्चस्व के भयावह खतरों के अंदेशों को लेकर दुनिया भर में व्याप्त चिंता के बीच  एक तालिबानी शिष्टमंडल चीनी शीर्ष नेताओं से मंत्रणा करने बीजिंग में था.

ब्लिंकन और विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर के बीच  हुई अहम वार्ता में ज्वलंत अफगान मुद्दे सहित क्वाड, हिंद प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने, कोरोना महामारी से निपटने, मध्य-पूर्व संबंधी मुद्दों के साथ ही  द्विपक्षीय हितों पर चर्चा हुई. बातचीत से जाहिर होता है कि एक तरफ जहां दोनों के बीच उपरोक्त मुद्दों सहित अनेक मुद्दों पर सहमति बढ़ाने और सामरिक साझीदारी को बढ़ाने पर सहमति रही.

वहीं इनके साथ ही भारत में मानवाधिकारों के कथित हनन और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने जैसे असहमति के मुद्दों  या  शिकायतों पर अमेरिकी मंत्री  की नसीहत भारत को मिली लेकिन डॉ. जयशंकर  ने दुनिया के दो बड़े लोकतंत्रों के अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सतर्क रहने की बात करते हुए दो टूक जबाव पर कहा कि  मानवाधिकारों की बात सभी पर एक समान रूप से लागू होती है.

जाहिर है कि दोनों पक्षों के बीच  ऐसे असहमति के मुद्दों को आपसी संबंधों में  बाधा बनने के बजाय सहमति वाले बिंदुओं पर मिलजुल कर काम करने की प्रतिबद्धता हो. अहम बात यह है कि चीन को लेकर दोनों देशों की साझा चिंताएं हैं. कोविड से निपटने और क्वाड गठबंधन को लेकर साझीदारी और मजबूत हो रही है, सामरिक साझीदारी बढ़ रही है, यहां यह बात अहम है कि  ब्लिंकन की भारत  यात्र से पूर्व ही ऐसी  चर्चाएं थीं कि अमेरिकी मंत्री भारत यात्र के दौरान मानवाधिकार संबंधी मुद्दे  पर भारतीय नेतृत्व से चर्चा करेंगे.

भारत के विदेश मंत्रलय ने तब अपनी प्रतिक्रि या में कहा भी कि भारत को अपनी लोकतांत्रिक पंरपराओं पर बहुत गर्व है, लेकिन वह इन  मुद्दों पर चर्चाओं से पीछे भागने वाला नहीं है. ब्लिंकन ने दलाई लामा के प्रतिनिधि गेशी दोरजी से मुलाकात की जिससे चीन बुरी तरह से बौखला गया.

दरअसल  ब्लिंकन का दलाई लामा के प्रतिनिधि से मिलना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का  हाल ही में दलाई लामा के जन्मदिन पर उन्हें सार्वजनिक तौर  पर बधाई संदेश देना भारत और अमेरिका के तिब्बत के मुद्दों को उठाने का संकेत है. यह सब ऐसे समय हुआ है जब  हाल ही में  चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत का दौरा किया है और अपनी आक्रामक नीतियों का प्रदर्शन किया है.

हालांकि समझा जाता है कि ब्लिंकेन की भारत यात्र का मकसद भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के गठबंधन क्वाड के इस वर्ष  के प्रस्तावित शिखर बैठक की तैयारियां थी लेकिन मुख्य तौर पर दोनों पक्षों के बीच अफगानिस्तान की सुरक्षा के  ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा  हुई. कुल मिलाकर दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान को लेकर कमोबेश लगभग एक सी राय है.

 ब्लिंकन ने कहा कि भारत क्षेत्र में अमेरिका का भरोसेमंद सहयोगी है और भारत ने अफगानिस्तान में स्थिरता और विकास लाने में अहम भूमिका निभाई है और भारत आगे भी ये भूमिका निभाता रहेगा. ब्लिंकन और जयशंकर की मुलाकात के समय से ही तालिबान के नेता मुल्ला बरादर ने चीन  के दौरे पर हैं और उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की है.

अफगानिस्तान में चीन का कोई मौजूदा निवेश तो अधिक नहीं है लेकिन वह अफगानिस्तान में अपने विस्तारवादी एजेंंडे और अपने सामरिक हितों के चलते वहां अपने पैर जमाने की जुगत में है और आर्थिक हितों की वजह से खनन उद्योग में निवेश करने, बीआरआई को बढ़ाकर  अफगानिस्तान के जरिये इस पूरे क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाना चाहता है.

दरअसल  चीन  के लिए अफगानिस्तान सिर्फ इसलिए भी अहम है क्योंकि वह सुनिश्चित करना चाहता है कि शिनजियांग की अशांत स्थिति पर अफगानिस्तान के हालात का असर न हो,जहां  वह वीगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दमनचक्र  चलाता रहा है. इसलिए भी वह तालिबान से बात कर रहा है. वह तालिबान से यह भरोसा चाहता है कि अफगानिस्तान का असर शिनजियांग पर नहीं होगा.

भारत के लिए  तो अफगानिस्तान का भविष्य बहुत मायने रखता है.  अब भारत तालिबान से सीधे संपर्कबना रहा है  ताकि अफगानिस्तान में स्थिर और शांतिप्रिय सरकार बने. बहरहाल, ब्लिंकन ने भारत में कहा कि दुनिया में कुछ ही ऐसे संबंध  हैं जो कि  हम दोनों देशों  के संबंधों से अधिक महत्वपूर्ण मान सकते हैं.

विदेश मंत्री जयशंकर ने भी कहा कि दोनों देशों के संबंध इस स्तर पर पहुंचे हुए हैं कि हम बड़े मुद्दों को मिलजुल कर निपट सकते हैं. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि असहमतियों को रिश्तों को और  आगे बढ़ाने में अड़चन बनने देने की बजाय उनसे बचते हुए सहमति वाले बिंदुओं को मजबूत किया जाए और आपसी सहयोग के नए क्षेत्रों की संभावनाएं तलाशी जाएं.

Web Title: Indo-US Increasing cooperation on important issues US President Joe Biden Shobhana Jain's blog

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