भारत-अमेरिका के बीच घनिष्ठता

By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 28, 2019 06:04 AM2019-06-28T06:04:40+5:302019-06-28T06:04:40+5:30

पिछली अमेरिकी सरकारों की पाकिस्तान-नीति को शीर्षासन कराते हुए उनकी सरकार ने पाकिस्तान को यह बता दिया है कि वह आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगी. भारत को और क्या चाहिए? इसी मुद्दे को लेकर नरेंद्र मोदी ओसाका जा रहे हैं.

Indo-US closure | भारत-अमेरिका के बीच घनिष्ठता

भारत-अमेरिका के बीच घनिष्ठता

Highlightsभारत और अमेरिका, दोनों देशों की इस समय साझी चिंता है- चीन! भारत को सावधान रहना होगा, क्योंकि ट्रम्प का अमेरिका अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए कुछ भी कर सकता है.

अमेरिकी विदेश मंत्नी माइकल पोंपियो की यह संक्षिप्त भारत-यात्ना सफल कही जा सकती है. वैसे तो वे पहले भी कई बार सपत्नीक भारत आ चुके हैं लेकिन विदेश मंत्नी के तौर पर वे पहली बार आए हैं. उनकी यात्ना का मुख्य उद्देश्य ओसाका में होनेवाले जी-20 सम्मेलन के लिए अग्रिम तैयारी करना था. 

ऐसा लग रहा था कि इस मौके पर उनकी यात्ना के दौरान कई बदमजगियां हो सकती थीं. जैसे कि ईरानी तेल, एस-400 रूसी मिसाइल, भारत-अमेरिका व्यापार आदि मसले पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच कहासुनी को जन्म दे रहे थे. लेकिन संतोष का विषय है कि पोंपियो और हमारे विदेश मंत्नी डॉ. जयशंकर ने कोई ऐसी बात नहीं कही, जिससे दोनों देशों के बीच किसी प्रकार की कड़वाहट पैदा हो, बल्किपोंपियो ने तो खुले में ऐसी बात कह दी, जो आज तक किसी अमेरिकी नेता ने कहने का साहस नहीं किया. उन्होंने कह दिया कि अमेरिका ने अपनी पाकिस्तान-नीति को एकदम उलट दिया है. पिछली अमेरिकी सरकारों की पाकिस्तान-नीति को शीर्षासन कराते हुए उनकी सरकार ने पाकिस्तान को यह बता दिया है कि वह आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगी. भारत को और क्या चाहिए? इसी मुद्दे को लेकर नरेंद्र मोदी ओसाका जा रहे हैं.

जी-20 सम्मेलन में भी यही मुद्दा छाया रहनेवाला है. इसके अलावा ईरान पर लगे प्रतिबंधों के कारण अब भारत को तेल की आपूर्ति करने में भी सक्रिय अमेरिकी मदद का आश्वासन मिला है. पारस्परिक व्यापार में पैदा हुई गठानों को खोलने के लिए लेने-देने की रणनीति की तरफ भी पोंपियो ने इशारा किया है. जहां तक रूस से एस-400 मिसाइलों की खरीद को रद्द करने का अमेरिकी दबाव है, जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपने हितों की अनदेखी नहीं कर सकता. भारत और अमेरिका, दोनों देशों की इस समय साझी चिंता है- चीन! ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठता बढ़ना स्वाभाविक है. फिर भी भारत को सावधान रहना होगा, क्योंकि ट्रम्प का अमेरिका अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए कुछ भी कर सकता है.
 

Web Title: Indo-US closure

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