समुद्र में चीन की दादागीरी रोकेंगे भारत के परिष्कृत युद्धपोत
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 15, 2025 03:04 PM2025-01-15T15:04:08+5:302025-01-15T15:04:12+5:30
अपने इस अवसरवादी पड़ोसी की विस्तारवादी नीतियों को देखते हुए भारत के लिए चिंता पैदा होना स्वाभाविक है.

समुद्र में चीन की दादागीरी रोकेंगे भारत के परिष्कृत युद्धपोत
हिंद महासागर में चीन जिस तरह से अपना दबदबा बनाता जा रहा है, उससे निपटने के लिए भारत ने अब पुख्ता उपाय करने का फैसला कर लिया है और उसी का नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बुधवार को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना के दो अग्रणी युद्धपोतों आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरि तथा पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे.
इनमें आईएनएस सूरत पी15बी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत है, जो दुनिया के सबसे बड़े और सबसे परिष्कृत विध्वंसक युद्धपोतों में से एक है. इसमें 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है और यह अत्याधुनिक हथियार-सेंसर पैकेज और उन्नत नेटवर्क-केंद्रित क्षमताओं से लैस है. जबकि पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि, भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और इसे बढ़ी हुई क्षमता, समुद्र में लंबे समय तक रहने तथा स्टील्थयुक्त उन्नत सुविधाओं के साथ नौसेना में शामिल किया गया है.
यह स्वदेशी फ्रिगेट की अगली पीढ़ी को दर्शाता है. इसके अलावा पी75 स्कॉर्पीन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर पनडुब्बी निर्माण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करती है और इसका निर्माण फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से किया गया है.
पिछले कुछ दशकों में चीन ने तेजी से अपनी नौसैनिक क्षमताओं का आधुनिकीकरण किया है और चीनी नौसेना ने विमान वाहक जहाजों, सतही युद्धपोतों और सैन्य पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में अपने बेड़ों में शामिल किया है. अपने इस अवसरवादी पड़ोसी की विस्तारवादी नीतियों को देखते हुए भारत के लिए चिंता पैदा होना स्वाभाविक है.
यही नहीं बल्कि चीन की जासूसी की कोशिशें भी उसकी मंशा के बारे में शक पैदा करती हैं और उसके जासूसी जहाजों को भारत, जापान तथा श्रीलंका जैसे देशों के समुद्री इलाकों में घूमते देखा गया है. वर्ष 2022 में युआन वांग5 नामक चीनी नौसैनिक जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा और करीब एक हफ्ते तक वहां मौजूद रहा था.
उस वक्त चीन ने कहा था कि समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े काम ये जहाज करता है, लेकिन भारत में उसी समय ये कहा गया था कि कि ये एक जासूसी जहाज है, जिसका काम दूसरे देशों की जासूसी करना है. अभी कुछ माह पहले ही चीन की नवनिर्मित परमाणु पनडुब्बी समुद्र में डूब गई, जिसे कुछ दिन पहले ही चीनी नौसेना में शामिल किया गया था.
चीन ने इस घटना को छिपाने की कोशिश की थी, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों से इसका खुलासा हो गया. इसलिए भारत ने हिंद महासागर में जिस तरह से अपनी नौसेना को मजबूत करने का फैसला किया है उससे निश्चित रूप से समुद्री क्षेत्र में चीन की दादागीरी पर अंकुश लगेगा.