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भारत का जी-7 के साथ बढ़ता सहयोग, शोभना जैन का ब्लॉग

By शोभना जैन | Updated: June 22, 2021 17:21 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 क्लब बैठक के दो सत्रों में वर्चुअल हिस्स्सेदारी करते हुए जी-7 देशों को भारत का ‘स्वाभाविक सहयोगी’ बताया.

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ठळक मुद्देनई विश्वव्यापी आधारभूत संरचना भविष्य में विश्व के सभी देशों के बीच सहयोग के साथ विकास का ब्लू प्रिंट है.विकासशील देशों और विकसित देशों को अर्थात सभी को समान रूप से मिलने का ध्येय रखा गया है.गौरतलब है कि वर्ष  2003 से  भारत को जी-7 में विशेष अतिथि बतौर आमंत्रित किया जाता रहा है.

कोरोना से निबटने के लिए दुनिया के अमीर, गरीब सभी देशों के बीच सहयोग बढ़ाए जाने के निरंतर आह्वान के बीच, हाल ही में इंग्लैंड के कोर्नबेल की प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ‘कार्बिस बे’ में पश्चिमी देशों के ‘एलीट क्लब’ माने जाने वाले ‘जी-7’ की शिखर बैठक हुई.

इसको मौजूदा संवेदनशील अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों और नए बनते-बिगड़ते विषम अंतर्राष्ट्रीय समीकरणों के मद्देनजर खासा अहम माना जा रहा है. भारत के लिए भी बैठक के खास मायने हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 क्लब बैठक के दो सत्रों में वर्चुअल हिस्स्सेदारी करते हुए जी-7 देशों को भारत का ‘स्वाभाविक सहयोगी’ बताया.

भारत के लिए इस बैठक की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि ‘आओ दोबारा बेहतर विश्व की संरचना करें’ के एजेंडा के तहत यह शिखर बैठक ऐसे  समय में हुई जबकि भारत ने चीन की विस्तारवादी एजेंडे के मंसूबे से शुरू हुई ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना का  सबसे पहले विरोध व्यक्त करते हुए इसका हिस्सा बनने के प्रस्ताव को  खारिज कर दिया था.

इसी संदर्भ को आगे बढ़ाएं तो शिखर बैठक की नई विश्वव्यापी आधारभूत संरचना भविष्य में विश्व के सभी देशों के बीच सहयोग के साथ विकास का ब्लू प्रिंट है. इसमें खास तौर पर विकास के नाम पर चीनी ऋण जाल के दुष्चक्र  में फंसने  की बजाय देशों के बीच आपसी सहयोग से विकास का लाभ पिछड़े, विकासशील देशों और विकसित देशों को अर्थात सभी को समान रूप से मिलने का ध्येय रखा गया है.

गौरतलब है कि वर्ष  2003 से  भारत को जी-7 में विशेष अतिथि बतौर आमंत्रित किया जाता रहा है. इस मंच पर राजनीतिक मुद्दों पर उसकी राय ‘स्वतंत्न’ ही रहती है. सात देशों के समूह जी-7 में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं. भारत को शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.

इसी के तहत पीएम मोदी ने सम्मेलन के ‘मुक्त समाज और मुक्त अर्थव्यवस्था’ सत्न सहित सम्मेलन के एक अन्य सत्न में वर्चुअल हिस्सेदारी कर बतौर अतिथि भारत के विचार रखे. उम्मीद है कि जी-7 का ‘स्वाभाविक सहयोगी’ होने के नाते भारत के लिए यह मंच आपसी सहयोग से आर्थिक सहयोग और बढ़ा कर विकास करने, चीन की घेराबंदी रोकने के सामूहिक कदमों जैसे  कदमों के साथ-साथ अन्य क्षेत्नों में इन सभी देशों के साथ आपसी सहयोग से काम करने और मिल कर आगे बढ़ने के अवसरों का सशक्त मंच साबित हो सकता है.

सहयोग की यह पारी शुरू भी हो चुकी है. खास तौर पर आर्थिक क्षेत्न की बात करें तो  भारत ने 2024-25 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 5 खरब  डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. ऐसे में अगर जी-7 के साथ से भारतीय उद्योगों को यूरोपीय बाजार में रियायत मिलती है तो उसके लिए यह  साथ आपसी सहयोग से विकास करने का एक मजबूत सुखद साथ होगा.

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