वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: चीन को सबक सिखाए भारत
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 11, 2019 03:39 PM2019-02-11T15:39:45+5:302019-02-11T15:39:45+5:30
इन पड़ोसी देशों में गैर-मुस्लिम नागरिकों के साथ सरकारें अच्छा बर्ताव करना चाहती हैं, तब भी उनका समाज कभी-कभी काफी ज्यादती कर देता है।
नागरिकता विधेयक की लेकर नरेंद्र मोदी ने असम और अरु णाचल में जो अडिगता दिखाई है, वह सराहनीय है। पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैरमुस्लिम नागरिकों को भारत में शरण देने का विधेयक हमारी लोकसभा ने पास कर दिया है लेकिन पूर्वाचल के राज्यों में उसका विरोध इतना तगड़ा हो रहा है कि वह राज्यसभा में गिर सकता है।
यह विरोध गलतफहमी और अतिवादी प्रचार के कारण हो रहा है।
इन पड़ोसी देशों में गैर-मुस्लिम नागरिकों के साथ सरकारें अच्छा बर्ताव करना चाहती हैं, तब भी उनका समाज कभी-कभी काफी ज्यादती कर देता है। यदि वे भारत आकर यहां बसना चाहें तो उन्हें वैसा मौका क्यों नहीं दिया जाए? आखिर में ये पड़ोसी देश भी अपने ही हैं। ये देश कभी भारत के अंग ही थे। भारत ही थे। इनसे परहेज क्यों?
खैर, ये तो बात हुई उस नागरिकता विधेयक की लेकिन चीन ने आपत्ति की है कि नरेंद्र मोदी अरुणाचल प्रदेश क्यों गए? चीन मानता है अरुणाचल तिब्बत का हिस्सा है, चीन का अंग है। भारत का कोई बड़ा नेता जब भी अरुणाचल जाता है तो चीन बयान जारी करता है कि वह दक्षिण तिब्बत में क्यों गया? इस बार चीन ने मोदी के जाने पर जो बयान जारी किया है, उसमें दोनों देशों के अच्छे रिश्तों की दुहाई दी गई है और मांग की गई है कि भारत उन्हें बिगाड़ने की कोशिश न करे। भारत के विदेश मंत्नालय ने भी एक विज्ञप्ति जारी कर दी है। मैं कहता हूं कि भारत खुलकर यह क्यों नहीं कहता कि चीनियों तुम तिब्बत खाली करो। तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं है। सच्चाई तो यह है कि सिक्यांग भी सदियों से चीन का हिस्सा नहीं रहा है। तिब्बत और सिक्यांग, दोनों ही अपनी आजादी के लिए बरसों से लड़ रहे हैं। यदि चीन हमें अरु णाचल खाली करने के लिए कहता है तो हम उसे तिब्बत खाली करने को क्यों नहीं कह सकते?