India-Pakistan ceasefire Updates: अपनी सेना की सफलता पर देश निश्चित रूप से गर्व कर सकता?
By विश्वनाथ सचदेव | Updated: May 15, 2025 05:36 IST2025-05-15T05:36:38+5:302025-05-15T05:36:38+5:30
India-Pakistan ceasefire Updates: बाइस मिनट के भाषण में हमारे प्रधानमंत्रीजी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का नाम लिये बिना यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि हमने यह कदम किसी अन्य देश के दबाव में आकर नहीं किया है.

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India-Pakistan ceasefire Updates: बारह मई की सुबह से ही टी.वी चैनलों पर प्रधानमंत्री के ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ की चर्चा होने लगी थी. कई खबरिया चैनलों ने तो बाकायदा यह चर्चा भी की कि प्रधानमंत्री अपने संदेश में क्या कहेंगे. आखिरकार प्रधानमंत्री बोले और अपने संदेश में उन्होंने जो कुछ कहा लोगों के कयास से बहुत अलग नहीं था.
बड़ी स्पष्टता और बेबाकी के साथ उन्होंने यह बताया कि भारत-पाक के बीच का ‘संघर्ष-विराम’ हमने अपनी शर्तों पर किया है. अपने लगभग बाइस मिनट के भाषण में हमारे प्रधानमंत्रीजी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का नाम लिये बिना यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि हमने यह कदम किसी अन्य देश के दबाव में आकर नहीं किया है.
कहने को पाकिस्तान कुछ भी कह सकता है, पर सारी दुनिया ने देखा है कि इस दौरान भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डों को तहस-नहस करने में पूरी सफलता पायी है. हमारे सेना-अधिकारी यह बात पहले से कहते आ रहे थे, प्रधानमंत्री ने इसे दुहरा कर देश के दावे पर मुहर ही लगायी है. बिना पाकिस्तान में प्रवेश किये ही हमारी सेनाओं ने सौ से अधिक आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया है.
सैन्य-कार्रवाई की दृष्टि से यह बहुत बड़ी सफलता है. अपनी सेना की इस सफलता पर देश निश्चित रूप से गर्व कर सकता है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ‘पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते’. इसका सीधा अर्थ यही है कि सिंधु-नदी के जिस पानी को भारत ने पाकिस्तान में पहुंचने से रोका है, वह फिलहाल फिर से नहीं बहेगा.
पाकिस्तान को अपनी करनी से यह बताना होगा कि वह कायराना आतंकवादी हमलों की नीति से बाज आ गया है. संघर्ष के दौरान भले ही सवाल उठाना उचित नहीं था, पर अब, जबकि स्थितियां सुधरने का संकेत दे रही हैं, हमें यानी 140 करोड़ भारतीयों को अपने आप से यह सवाल पूछना होगा कि हम अक्सर बांटने वाली ताकतों की हिमाकतों के शिकार क्यों बन जाते हैं?
पहलगाम की घटना की अमानुषिकता हर दृष्टि से निंदनीय है, पर इस घटना से हम यह सबक तो ले ही सकते हैं कि यह ‘हमला’ कुछ सैलानियों पर ही नहीं था, हमलावर भारतीय समाज की एकता को खंडित करना चाहते थे. इसीलिए नाम पूछकर गोलियां चलीं. हमारे लिए जरूरी है कि हम इस हमले के निहितार्थों को समझें.
आतंकवादियों की कोशिश यह थी कि धर्म के आधार पर भारतीयों को बांटने का षडयंत्र रचा जाए पर उनकी यह कोशिश सफल नहीं हो पायी. पर हमें यह भी स्वीकारना होगा कि आतंकवादी ही नहीं, कुछ अन्य तत्व भी हैं जो अपने स्वार्थों के लिए हमें बांटना चाहते हैं. आवश्यकता इनके मंसूबों को विफल बनाने की है.
आवश्यकता यह समझने और समझाने की है कि हम चाहे किसी भी धर्म को मानने वाले हों, किसी भी जाति के हों, किसी भी भाषा में स्वयं को अभिव्यक्त करते हों, पहले हम भारतीय हैं. देश की रक्षा मात्र देश की सीमाओं पर ही नहीं करनी होगी, देश के भीतर भी रक्षा करनी होती है. इस भीतर की रक्षा का मतलब है हर भारतवासी अपने भीतर की भारतीयता को जगाये रखे.