शोभना जैन का ब्लॉगः चीन से निपटने के लिए अब नई तिब्बत नीति?

By शोभना जैन | Published: September 12, 2020 08:17 AM2020-09-12T08:17:30+5:302020-09-12T08:17:30+5:30

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने न्यिमा तेनजिन के अंतिम संस्कार में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का प्रतिनिधित्व किया. इस पर सवाल उठे कि जिस तरह से भारत ने खुल कर इस तिब्बती जांबाज शहीद को सलामी दी, उस के मायने क्या हैं? क्या यह चीन को एक संदेश है?

India New Tibet policy to deal with China now? | शोभना जैन का ब्लॉगः चीन से निपटने के लिए अब नई तिब्बत नीति?

फाइल फोटो।

ऐसे में जब कि लद्दाख में भारत और चीन की फौजों के बीच लगातार गहराते तनाव और चुशुल सेक्टर में भारतीय फौज के चीनी सेना को खदेड़ कर ऊंचाई वाले क्षेत्न में अपनी पैठ मजबूत कर उन पर हावी होने की खबरें हैं, इन सब के बीच एक बड़ा घटनाक्रम हुआ है. वास्तविक नियंत्नण रेखा पर चीन की बढ़ती आक्रामकता में पिछले दिनों घटे एक अहम घटनाक्र म से लगता है कि सरकार चीन के साथ गतिरोध और तनाव कम करने के लिए बातचीत के रास्ते के साथ-साथ अंतत: अब चीन से जस के साथ तस का रास्ता अख्तियार कर नई तिब्बत नीति पर विचार कर रही है.

हाल ही में भारत ने मौजूदा संघर्ष क्षेत्न पूर्वी लद्दाख में सीक्रेट अर्धसैनिक बल स्पेशल फ्रंटियर फोर्स एसएफएफ के जवानों के त्याग और उनके बलिदान की पहली बार खुल कर चर्चा की या यूं कहें कि सार्वजनिक तौर पर स्वीकार्यता दी. इस हादसे में फोर्स के तिब्बती कमांडो न्यिमा तेनजिन ने 29-30 अगस्त की रात्रि पैंगोंग झील के दक्षिणी तट से लगे इलाके में चीनी सेना के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान हुए माइन ब्लास्ट में देश के लिए अपना बलिदान दिया था.


भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने न्यिमा तेनजिन के अंतिम संस्कार में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का प्रतिनिधित्व किया. इस पर सवाल उठे कि जिस तरह से भारत ने खुल कर इस तिब्बती जांबाज शहीद को सलामी दी, उस के मायने क्या हैं? क्या यह चीन को एक संदेश है? तिब्बती शरणार्थियों द्वारा भारतीय सीमा बलों की एक इकाई के रूप में कार्यरत होने की बात भारत द्वारा खुल कर करना इस बात का संकेत है कि भारत अब आखिरकार चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच अपनी तिब्बत नीति पर पुनर्विचार कर रहा है ताकि चीन समझ ले कि तिब्बत के प्रति हमारी दिलचस्पी बरकरार है और तिब्बतियों के प्रति हमारी संवेदनशीलता बनी हुई है.

हालांकि भाजपा नेता ने अंतिम संस्कार के बारे में किए गए ट्वीट को बाद में डिलीट भी कर दिया लेकिन निश्चय ही इस कदम से चीन को संदेश तो मिल ही गया. मुद्दा तो यही है कि अगर चीन भारत की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान नहीं करता है तो भारत को सीमा विवाद हल करने और तनाव दूर करने के लिए बातचीत जारी रखने के साथ-साथ अपनी तिब्बत नीति पर पुनर्विचार करना होगा. तिब्बती योद्धा की लद्दाख में शहादत की खुल कर चर्चा करना इसी बदलाव का संकेत समझा जा सकता है. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इस सब के साथ ही भारत को पूर्वोत्तर में सक्रिय चंद अलगाववादी ताकतों को चीन द्वारा प्रश्रय दिए जाने के खतरे के प्रति ज्यादा सतर्क भी होना होगा.


राम माधव ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘‘एसएफएफ कमांडर न्यिमा तेनजिन के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ, एक तिब्बती, जिसने लद्दाख में हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. श्रद्धांजलि के रूप में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करता हूं. ऐसे बहादुर सैनिकों की कुर्बानियां ही भारत-तिब्बत सीमा पर शांति लाती हैं. यही सभी शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.’’ राम माधव ने इस बहादुर सैनिक को तिब्बती बताया और फिर ‘भारत चीन सीमा’ नहीं कह कर ‘भारत-तिब्बत सीमा’ शब्द का इस्तेमाल किया और सार्वजनिक तौर पर संघर्ष में अब तक सीक्र ेट सर्विस के रूप में चर्चित एसएफएफ का स्पष्ट रूप से जिक्र किया. राम माधव ने ट्वीट डिलीट करने की वजह के बारे में कुछ नहीं बताया है लेकिन वर्तमान गतिरोध सुलझाने के लिए सैन्य और डिप्लोमेटिक रास्ता अपनाने के रास्ते के साथ ही ट्वीट ने काफी कुछ भारत के नए विचार मंथन को उजागर किया.


गौरतलब हैं कि विशेष फ्रंटियर बल एक सीक्रेट यूनिट है जो अनुसंधान और विश्लेषण विंग के तहत काम करती है. इसे 1962 में बनाया गया था और मुख्य रूप से निर्वासन में रह रहे तिब्बती समुदाय के लोगों को भर्ती किया गया था. हालांकि इसमें कुछ भारतीय नागरिक भी शामिल हैं. लद्दाख में तिब्बती योद्धा की शहादत की भारत द्वारा खुल कर चर्चा किए जाने से चीन की बौखलाहट चीनी विदेश मंत्नालय के प्रवक्ता की इस टिप्पणी से समझी जा सकती है जिस में उन्होंने इस बारे में पूछे गए सवाल के जबाव में कहा, ‘‘चीन की स्थिति बहुत स्पष्ट है कि हम ‘तिब्बत स्वतंत्नता’ की अलगाववादी गतिविधियों के लिए किसी भी रूप में सुविधा प्रदान करने वाले देश का दृढ़ता से विरोध करते हैं.’’ इस तरह के सीक्रेट फोर्स पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह भी सोच रही हूं कि निर्वासित तिब्बतियों और भारतीय सीमा सैनिकों के बीच क्या संबंध है. मुङो उम्मीद है कि आप कुछ गहराई से जांच कर सकते हैं.’’


यहां यह समझना दिलचस्प होगा कि चीन ने तिब्बत पर कब्जा तो कर लिया लेकिन उन पर भरोसा वह कायम न तो कर सकता है, न ही वह करेगा. इसीलिए अपनी सेना में वह तिब्बत के लोगों को शामिल नहीं कर पाया और भारत में तिब्बती शरणार्थियों के मूल का पूरा बल है. चीन अगर ‘एक चीन नीति’ का सम्मान चाहता है तो उसे ‘एक भारत नीति’ का भी सम्मान करना होगा और भारत के लिए अपनी तिब्बत नीति पर पुनर्विचार जैसे विकल्प खुले हुए हैं.

Web Title: India New Tibet policy to deal with China now?

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