चीन को आर्थिक चुनौती देने का सुनहरा अवसर, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: September 21, 2020 02:22 PM2020-09-21T14:22:58+5:302020-09-21T14:22:58+5:30
देश में दो सुकूनभरे आर्थिक परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहे हैं. एक, भारत में चीन से आयात में गिरावट और भारत से चीन को निर्यात में बढ़ोत्तरी हो रही है। दो, देश आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़ते हुए चीन को आर्थिक चुनौती देते हुए दिखाई दे रहा है.
इस समय जब एक ओर पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के द्वारा चीन की सैन्य चालबाजी को लगातार नाकाम करते हुए चीन को जोरदार टक्कर दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू किया गया आत्मनिर्भर भारत अभियान उत्साहजनक रूप से चीन को आर्थिक चुनौती देते हुए दिखाई दे रहा है.
इस परिप्रेक्ष्य में देश में दो सुकूनभरे आर्थिक परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहे हैं. एक, भारत में चीन से आयात में गिरावट और भारत से चीन को निर्यात में बढ़ोत्तरी हो रही है। दो, देश आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़ते हुए चीन को आर्थिक चुनौती देते हुए दिखाई दे रहा है.
हाल ही में प्रस्तुत वाणिज्य मंत्नालय के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष 2020 के अप्रैल से जुलाई माह के बीच भारत में चीन से होने वाले आयात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 29.20 फीसदी की गिरावट आई है.
ज्ञातव्य है कि चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए सरकार के द्वारा टिकटॉक सहित 224 चीनी एप पर प्रतिबंध, चीनी सामान के आयात पर नियंत्नण, चीनी सामान पर शुल्क बढ़ाने की रणनीति देश के लोगों के द्वारा चीनी सामानों का बड़े पैमाने पर बहिष्कार, सरकारी विभागों में चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्वदेशी उत्पादों के उपयोग की प्रवृत्ति तथा लॉकडाउन में खरीदी में कमी जैसे विभिन्न कारण चीन से आयात में बड़ी गिरावट की वजह बन गए हैं.
यह कोई छोटी बात नहीं है कि एक ओर जब चीन से भारत में आयात घट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत से चीन को निर्यात बढ़ रहे हैं. अप्रैल-जुलाई 2020 के बीच भारत से चीन को होने वाले निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 30.70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
ज्ञातव्य है कि कोरोना संक्र मण के बाद अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों ने चीन से दूरी बनानी शुरू की है. ऐसे में चीन ने भारत से अधिक मात्ना में कच्चे माल का आयात किया है. स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि इस समय चीन से आयात घटने और चीन के साथ व्यापार घाटा घटने का जो परिदृश्य उभरा है, उसके आगे भी बने रहने की संभावना है.
निस्संदेह देश जैसे-जैसे आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे भारत से चीन को आर्थिक चुनौती बढ़ती जा रही है. यह बात भी महत्वपूर्ण है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान से चीनी वस्तुओं के आयात को नियंत्रित करते हुए देश में कुटीर और लघु उद्योगों को पुनर्जीवित करके बड़ी संख्या में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं.
चूंकि देश का खिलौना कारोबार और ऐसे ही कई छोटे कारोबार अभी भी बड़ी सीमा तक चीन से आयात पर आधारित हैं, ऐसे में इस सेक्टर में आत्मनिर्भरता बढ़ाने से चीन को बड़ी आर्थिक चुनौती दी जा सकेगी. कोरोना संकट के बीच दुनियाभर में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है.
ऐसे में हम देश में मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाकर लोकल प्रॉडक्ट को ग्लोबल बना सकते हैं और चीन को आर्थिक टक्कर दे सकते हैं. आज दुनियाभर में विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करने वाली भारत की कई कंपनियां चमकीली पहचान बनाए हुए हैं.
निस्संदेह चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि देश में जिन कई उद्योगों का उत्पादन बहुत कुछ आयातित कच्चे माल और आयातित वस्तुओं पर आधारित है उनके कच्चे माल के उत्पादन के लिए बनाई गई रणनीति को कारगर बनाया जाए.
अतएव सबसे पहले सरकार के द्वारा प्राथमिकता से देश में ऐसे कच्चे माल का उत्पादन शुरू किया जाना होगा, जिनका हम अभी बड़ी मात्ना में आयात कर रहे हैं. इसके अलावा आत्मनिर्भरता की डगर पर एक बड़ी चुनौती देश में लॉजिस्टिक सेवाओं की सरलता और नए उपयुक्त बुनियादी ढांचे से भी संबंधित है, इस पर भी ध्यान बढ़ाया जाना होगा.
हम उम्मीद करें कि सरकार चीन को और अधिक आर्थिक चुनौती देने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के क्रि यान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी. हम उम्मीद करें कि देश के और अधिक उत्पादक चीनी उत्पादों के स्थानीय विकल्पों को विकसित करने की डगर पर आगे बढ़ेंगे.