शोभना जैन का ब्लॉग: अमेरिका और रूस की दोस्ती के बीच भारत को संभल कर रहना होगा
By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 13, 2018 11:01 AM2018-10-13T11:01:27+5:302018-10-13T11:02:31+5:30
अमेरिका की चेतावनी और नाराजगी के बावजूद भारत ने अपने पुराने दोस्त रूस से एस-400 ट्राएम्फ डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने का महत्वपूर्ण सौदा करके जता दिया है
शोभना जैन
अमेरिका की चेतावनी और नाराजगी के बावजूद भारत ने अपने पुराने दोस्त रूस से एस-400 ट्राएम्फ डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने का महत्वपूर्ण सौदा करके जता दिया है कि भारत के लिए उसके राष्ट्रीय सुरक्षा हित सर्वोपरि हैं। यही नहीं इस करार के बाद अब रूसी राजदूत ने ऐसे भी संकेत दिए हैं कि जल्द ही रूस से भारत को क्लाश्निकोव ए के 103 असॉल्ट रायफलें और चार स्टील्थ पनडुब्बी भी बेची जा सकती हैं। हालांकि भारतीय पक्ष ने इस बारे में अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।
ऐसे में सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या इन तमाम रक्षा सौदों से भारत अमेरिकी प्रतिबंधों की जद में आ सकता है, क्या अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है? गौरतलब है कि इस सौदे पर अमेरिका ने कहा था कि रूस के साथ एस-400 प्रक्षेपास्त्र प्रणाली खरीद समझौता एक ‘महत्वपूर्ण’ व्यापार समझौता है जो कि अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस के साथ किसी देश पर दंडनीय प्रतिबंध लगाने के लिए काफी है। ट्रम्प ने गुरुवार को फिर कहा है कि भारत को जल्द ही प्रतिबंधों पर उनके फैसले की जानकारी मिल जाएगी।
अमेरिका और रूस दोनों ही भारत के मित्र देश हैं जिन के साथ वह रक्षा क्षेत्र में सहयोग और रक्षा सौदे करता रहा है और फिर रूस उस का रक्षा क्षेत्र का पुराना सहयोगी रहा है और अर्से से उस के साथ भरोसे से रक्षा करार कर अपने रक्षा क्षेत्र की आपूर्ति करता रहा है। निश्चय ही अपनी सामरिक स्वायत्तता, अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हित भारत के लिए सर्वोपरि हैं और वह इसी को आधार मान कर सभी देशों के साथ चलते हुए रक्षा क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग करता रहा है। एक तरफ रूस और ईरान जैसे उसके साझीदार रहे हैं तो दूसरी तरफ इन देशों से दूसरे ध्रुव पर खड़ा अमेरिका है, जिसके साथ उसके मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और जो हाल के वर्षो में और प्रगाढ़ हुए हैं, चुनौती इन सभी के साथ संभल कर चलते हुए सहयोग करने और सहयोग बढ़ाने की है।
इस रक्षा समझौते से भी भारत ने साफ कर दिया है कि अपने वायु रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली की खरीद उसके राष्ट्रीय हितों से जुड़ी है खासतौर पर लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा के लिए इस प्रणाली की जरूरत रही है। यहां यह जानना दिलचस्प है कि चीन ने रूस से इस सिस्टम को पहले ही खरीद रखा है हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इसमें उसने कौन सी मिसाइलें लगा रखी हैं। इस करार से पाकिस्तान भी काफी परेशान है। अभी हाल में वहां के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने रूस के साथ इस करार को परेशानी बताया। चौधरी ने कहा, भारत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ कर रहा है। रूस के भारत के साथ अच्छे रिश्ते हैं लेकिन बदलते अंतर्राष्ट्रीय समीकरणों में पिछले कुछ समय से पाकिस्तान भी रूस के करीब आ रहा है।रूस के साथ ये करार होने के बाद भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन गया जिसके पास यह मिसाइल सिस्टम होगा। भारत से पहले चीन और तुर्की के साथ रूस यह करार कर चुका है।