चीनी चालों से भारत की सीमा पर लगातार बढ़ती चिंता

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 20, 2023 02:54 PM2023-03-20T14:54:00+5:302023-03-20T15:01:43+5:30

चीन ने हाल में अपने रक्षा बजट में भारी बढ़ोत्तरी का ऐलान किया और बताया कि चीन अब अपनी सेना पर 225 अरब डॉलर खर्च करेगा, जो पिछले साल किए गए खर्च की तुलना में 7.2 फीसदी ज्यादा है। चीन की विस्तारवादी सैन्यनीति के लिहाज से यह खबर भारत के लिए चिंताजनक है।

Increasing concern on the border due to Chinese moves | चीनी चालों से भारत की सीमा पर लगातार बढ़ती चिंता

फाइल फोटो

Highlightsचीन ने रक्षा बजट को बढ़ाते हुए सेना पर 225 अरब डॉलर खर्च करने का ऐलान किया हैचीन की विस्तारवादी नीति से न केवल भारत बल्कि जापान, दक्षिण कोरिया और फिलीपींस भी चिंतित हैलेकिन भारत ने चीनी सीमा पर स्थिति को मजबूत करते हुए चीन को इशारे में समझा दिया है

पड़ोसी देश चीन से संबंधों को सुधारने के कितने भी प्रयास किए जाएं, मगर वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है। अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक उसके सैनिक सीमा पर कोई न कोई समस्या पैदा करने के लिए तैनात हैं। उसकी विस्तारवादी सोच से भारत ही नहीं, एशिया महाद्वीप के अनेक देश परेशान हैं।

चीन ने हाल में अपने रक्षा बजट को भी बढ़ाने का ऐलान किया है। नई बढ़ोत्तरी के बाद चीन अपनी सेना पर 225 अरब डॉलर खर्च करेगा, जो पिछले साल किए गए खर्च की तुलना में 7.2 फीसदी ज्यादा है। इसके अलावा भी चीन अपनी सेना की क्षमताएं बढ़ाने के लिए घोषित रक्षा बजट से कहीं ज्यादा ही पैसा खर्च करता है।

माना जा रहा है कि कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में चीनी अर्थव्यवस्था सिकुड़ी है और वहां से बड़ी कंपनियां निकलकर भारत समेत दुनिया के देशों में जा रही हैं। ऐसे में आशंका यह है कि अपनी जनता का ध्यान बंटाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट सरकार पड़ोसी देशों को परेशान करने में जुटी है।

इसको देख भारत से अधिक जापान और दक्षिण कोरिया से लेकर फिलीपींस तक तमाम देश चिंतित हैं क्योंकि वे अपने आसपास के द्वीपों पर कब्जे की आशंका और समुद्री क्षेत्र में चीन की हलचल से खतरा महसूस करते हैं। भारत की दृष्टि से थल सीमा पर ही अधिक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, जिसमें पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति बहुत नाजुक है।

भारत-चीन सीमा पर कुछ इलाकों में भारत और चीन के सैनिकों की नजदीक तैनाती काफी खतरनाक है। हालांकि भारत किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है और सीमा पर लगातार नए-नए संहारक हथियार तैनात करता जा रहा है। भारत का मानना है कि चीन पुराने समझौतों का लगातार उल्लंघन करता आ रहा है, जो अब बर्दाश्त के बाहर हो चला है। गलवान घाटी और अन्य इलाकों की घटनाएं इसका उदाहरण हैं।

लेकिन अब भारत भी पुरानी स्थिति में नहीं है। सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक और युद्ध सामग्री की तैनाती की जा चुकी है। चीन की बराबरी से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एस-400 वायु रक्षा प्रणाली तैनात हो चुकी है। मिसाइलों की तैनाती की योजना से चीन के साथ पूरा उत्तरी से पूर्वी क्षेत्र सुरक्षित बनाया गया है। अपनी चिंता के बीच बीते कुछ सालों में भारत ने रूस के प्रतिद्वंद्वी अमेरिका के साथ फ्रांस सहित अनेक यूरोपीय देशों से हथियार हासिल किए हैं, जिनमें राफेल लड़ाकू विमान शामिल हैं।

भारत ने चीन सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूत करके सीधे तौर पर इशारा कर दिया है किंतु चीन संकेतों की भाषा को समझने को तैयार नहीं है। वहां की कम्युनिस्ट सरकार अपनी राजनीति को चमकाए रखने के लिए एक ऐसे देश से भिड़ने को तैयार है, जो दुनिया का उभरता हुआ सितारा है। परिस्थितियों को देख भारत के पास सैन्य ताकत की मजबूती के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

विदेश मंत्री जयशंकर अनेक मंचों से चीन को शांति का संदेश देने की कोशिश कर चुके हैं। विदेश मंत्री और अधिकारी स्तर पर अनेक बार बातचीत हो चुकी है लेकिन सब कुछ होकर भी चीन की स्थिति वही ढाक के तीन पात है, जो भारत के लिहाज से चिंताजनक और कुछ परेशान पैदा करने वाला है। शायद वैश्विक परिदृश्य भी विनाशकाले विपरीत बुद्धि चीन को समझाने में असमर्थ है।

Web Title: Increasing concern on the border due to Chinese moves

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