शेरजंग गर्ग को श्रद्धांजलिः सत्य चुराता आंखें हम से, इतने झूठे हैं हम लोग
By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 25, 2019 08:30 AM2019-04-25T08:30:35+5:302019-04-25T08:30:35+5:30
‘क्या कर लेंगी वे तलवारें, जिनके मूठें हैं हम लोग, हस्ताक्षर तो बन न सकेंगे, सिर्फ अंगूठे हैं हम लोग, सत्य चुराता आंखें हम से, इतने झूठे हैं हम लोग.’
प्रदीप सरदाना (वरिष्ठ विश्लेषक)
‘क्या कर लेंगी वे तलवारें, जिनके मूठें हैं हम लोग, हस्ताक्षर तो बन न सकेंगे, सिर्फ अंगूठे हैं हम लोग, सत्य चुराता आंखें हम से, इतने झूठे हैं हम लोग.’
उपरोक्त पंक्तियों सहित कितनी ही अन्य कविताओं के रचयिता और जाने-माने लेखक और व्यंग्यकार डॉ. शेरजंग गर्ग अब इस दुनिया में नहीं रहे. पिछले पांच दशकों से भी अधिक समय से साहित्यकी दुनिया में रचे-बसे शेरजंग गर्ग जितने अच्छे कवि-लेखक थे, उतने ही अच्छे इंसान भी थे. जो भी उनके संपर्क में आया वो उनके भलमानस व्यक्तित्व की प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाया. 29 मई 1937 को देहरादून में जन्मे शेरजंग गर्ग चंद दिन बाद पूरे 82 बरस के हो जाते लेकिन उससे पहले ही 22 अप्रैल को विधाता ने उन्हें अपने पास बुला लिया.
अपनी साहित्यिक यात्र में शेरजंग जी ने 40 से अधिक पुस्तकें लिखीं. साथ ही कई लोकप्रिय कवि-गीतकारों के संकलनों का संपादन भी किया, जिनमें नीरज, गिरिजा कुमार माथुर, बालस्वरूप राही जैसी हस्तियां शामिल हैं. गर्ग का अपना पहला काव्य संकलन ‘चंद ताजा गुलाब तेरे नाम’ सन 1967 में प्रकाशित हुआ था. उन्होंने कविताओं के साथ रुबाइयां और गजलें आदि भी बहुत लिखीं. गर्ग उन गिने-चुने कवियों में थे जिन्हें सन 1962 में मात्र 25 वर्ष की आयु में लाल किले के सर्वाधिक प्रतिष्ठित कवि सम्मलेन में और तभी आकाशवाणी के सम्मलेन में भी काव्य पाठ करने का मौका मिला.
शेरजंग गर्ग का एक बड़ा योगदान बाल साहित्य में भी रहा है. बच्चों के लिए लिखी इनकी कविताएं भी काफी लोकप्रिय हुईं. यहां तक कि साहित्य अकादमी ने भी सन् 2015 में इनके इस योगदान के लिए ‘बाल साहित्य पुरस्कार’ के लिए सम्मानित किया. इसके अलावा शेरजंग को कई पुरस्कार मिले जिसमें हिंदी अकादमी के साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के साहित्य भूषण और प्रथम मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, प्रथम गोपाल प्रसाद व्यास व्यंग्यश्री सम्मान तथा काका हाथरसी सम्मान भी शामिल हैं.