वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कितनी सफल रही नोटबंदी?

By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 11, 2018 07:52 AM2018-11-11T07:52:37+5:302018-11-11T07:52:37+5:30

अब नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ पर हम निष्पक्ष समीक्षा करें तो उसके नतीजे अत्यंत भयंकर होंगे। मुश्किल से एक-डेढ़ प्रतिशत पुराने नोट सामने नहीं आए। ये वे नोट हो सकते हैं, जो यहां या विदेशों में लोगों के पास दबे पड़े रह गए थे।

how successful is the demonetisation by narendra modi | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कितनी सफल रही नोटबंदी?

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः कितनी सफल रही नोटबंदी?

वेदप्रताप वैदिक
 
जैसे दिवाली पर पटाखाबंदी फेल हो गई, वैसे ही नोटबंदी फेल हो गई। नोटबंदी के बारे में रिजर्व बैंक की दो साल पुरानी बैठकों के जो विवरण अब सामने आ रहे हैं, उनसे पता चलता है कि विशेषज्ञों ने नवंबर 2016 में ही नोटबंदी पर सरकार को चेतावनी दे दी थी। प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 की रात को नोटबंदी की घोषणा की थी। उस घोषणा के चार घंटे पहले रिजर्व बैंक ने नोटबंदी का समर्थन कर दिया था लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया था कि उससे कालेधन और जाली नोटों की समस्या हल नहीं होगी। मोदी ने टीवी चैनलों पर जो अपनी यह ऐतिहासिक घोषणा की तो जनता को यह विश्वास भी दिलाया कि नोटबंदी की वजह से कालाधन और जाली नोट तो खत्म होंगे ही, आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। 

अब नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ पर हम निष्पक्ष समीक्षा करें तो उसके नतीजे अत्यंत भयंकर होंगे। मुश्किल से एक-डेढ़ प्रतिशत पुराने नोट सामने नहीं आए। ये वे नोट हो सकते हैं, जो यहां या विदेशों में लोगों के पास दबे पड़े रह गए थे। अब दो-दो हजार के छोटे आकार के नोटों से कालाधन दुगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। इसी तरह जाली नोट भी काफी तेज रफ्तार से बाजार में आ गए हैं। आतंकवाद और भ्रष्टाचार भी ज्यों का त्यों है। 

वित्त मंत्नी अरुण जेटली ने अब यह घोषणा की है कि नोटबंदी के उक्त उद्देश्य थे ही नहीं। उसका उद्देश्य तो टैक्स की आमदनी बढ़ाना और नकदी के चलन को घटाना था। ये दोनों काम सफलतापूर्वक हो रहे हैं। यह ठीक है लेकिन वे यह स्वीकार क्यों नहीं करते कि नोटबंदी के कारण देश की आर्थिक प्रगति को धक्का लगा है और बेरोजगारी बढ़ी है। 

सरकारी आंकड़े इन तथ्यों पर मुहर लगा रहे हैं। नोटबंदी और जीएसटी- इन कदमों को उठाने के पहले मोदी ने न तो अपने मंत्रियों से सलाह की, न भाजपा के बुजुर्ग नेताओं से मार्गदर्शन लिया, न विशेषज्ञों से खुली राय ली। इसीलिए आलोचक कहते हैं कि यह ऐतिहासिक पहल ऐतिहासिक भूल बनकर भाजपा के माथे पर चिपक गई है। 

Web Title: how successful is the demonetisation by narendra modi

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