वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: प्रदूषण सबसे बड़ा दुश्मन
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 8, 2018 05:35 PM2018-12-08T17:35:36+5:302018-12-08T17:35:36+5:30
प्रदूषण से होनेवाली बीमारियों और मरनेवाले की संख्या का पता लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है लेकिन इसका अंदाज लगाना बहुत मुश्किल है कि जहरीली हवा के कारण हमारा पानी और हमारा अनाज कितना जहरीला हो जाता है।
कहते हैं कि आदमी सांस न ले सके तो मर जाएगा लेकिन अब सांस लेने से आदमी मर रहा है। सांस लेने पर जो हवा नाक से अंदर जाती है, उससे पिछले साल भारत में 12 लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई। उनकी मौत का कारण कोई आतंकवादी हमला नहीं, कोई आगजनी या गोलीबारी नहीं, कोई आत्महत्या या कैंसर की बीमारी नहीं। उनकी मौत का कारण है जहरीली हवा!
यह प्रदूषण भारत में इतनी तेज रफ्तार से फैल रहा है कि भारत के कुछ शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर बन गए हैं।
उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक की हवा सबसे जहरीली है। इन प्रदेशों में बड़े-बड़े शहर हैं। इन शहरों में कारों, कारखानों, डब्बानुमा मकानों और लोगों की भरमार है। उनके आसपास के गांवों में जलनेवाली पराली का धुआं कोढ़ में खाज का काम करता है। प्रदूषण से होनेवाली बीमारियों और मरनेवाले की संख्या का पता लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है लेकिन इसका अंदाज लगाना बहुत मुश्किल है कि जहरीली हवा के कारण हमारा पानी और हमारा अनाज कितना जहरीला हो जाता है। उसका जो असर करोड़ों लोगों के जीवन पर प्रति क्षण पड़ता रहता है, उसे आप कैसे नापेंगे? दूसरे शब्दों में यह जहरीली हवा भारत की सबसे बड़ी दुश्मन है।
इस सबसे बड़े दुश्मन का मुकाबला करने के लिए क्या भारत तैयार है? कोशिश तो बहुत है लेकिन दूरदृष्टि नहीं है। हमारे नीति-निर्माताओं की दृष्टि को अमेरिका और पश्चिमी राष्ट्रों ने बाधित कर रखा है। वे विकास के नाम पर पश्चिम के नकलची बने हुए हैं। वे भोगवाद और उपभोक्तावाद को ही विकास समझते हैं। किसी भी राष्ट्र की प्रगति को वे सकल उत्पाद (जीडीपी) से ही नापते हैं। भारत में नई दुनिया खड़ी करना तो बहुत जरूरी