संपादकीयः नए मुख्यमंत्रियों के सिर पर कांटों भरा ताज
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 18, 2018 07:47 AM2018-12-18T07:47:59+5:302018-12-18T07:51:20+5:30
राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश में कांग्रेस को कांटों का ताज मिला है. इन तीनों राज्यों में सत्ता संभालने के बाद नए मुख्यमंत्रियों के सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है.
राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश में कांग्रेस को कांटों का ताज मिला है. इन तीनों राज्यों में सत्ता संभालने के बाद नए मुख्यमंत्रियों के सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है. खाली खजाने के साथ चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती सबसे बड़ी है.
इन तीनों राज्यों में भाजपा तथा कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई थी. इसलिए दोनों दलों ने मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी तथा ऐसे लुभावने वादे किए जिन्हें पूरा करना आसान नहीं था. कांग्रेस ने बाजी मार ली. अब इन तीनों राज्यों में जनता की अपेक्षाएं उनसे बहुत बढ़ गई हैं. मध्य प्रदेश में तो कमलनाथ ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही किसानों का कर्ज माफ करने का आदेश जारी कर यह संदेश देने का प्रयास किया कि कांग्रेस अपने चुनावी वादों को लेकर गंभीर है.
तीनों राज्यों में कर्ज माफी सबसे बड़ा वादा था मगर बुजुर्ग किसानों को पेंशन, अनाज को ऊंचे दाम देना, विद्यार्थियों को विभिन्न किस्म की रियायतें ऐसे वादे हैं जिनसे खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा. मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ दशक में बुनियादी ढांचे के विकास पर बहुत ध्यान दिया गया है, मगर लोकलुभावन वादों पर भी सरकारी खजाने से बेतहाशा खर्च किया गया
. इसके बावजूद न तो किसानों को आर्थिक संकट से मुक्त करवाया जा सका और न ही बेरोजगारी की बढ़ती दर पर अंकुश लगा. इसके अलावा इन तीनों राज्यों में बड़े तथा मध्यम उद्योग उस संख्या में नहीं आए जिससे स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मिलता. तीनों सरकारों के सामने औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ लघु उद्योगों को पुनर्जीवित करने, कृषि को लाभदायक व्यवसाय बनाने, कृषि पर आधारित उद्योगों का जाल बिछाने के अलावा कानून और व्यवस्था की स्थिति को पटरी पर लाने की चुनौती भी है.
कांग्रेस ने बिजली का बिल आधा करने का वचन दिया है. पहले से आर्थिक संकट ङोल रहे इन राज्यों की बिजली कंपनियों पर यह चुनावी वादा भारी पड़ सकता है. छत्तीसगढ़ में सरकारी खजाने पर एक और चुनावी वादा भारी बोझ डालेगा. किसानों को धान का मूल्य ढाई हजार रु. प्रति क्विंटल देने का वादा लागू करने के लिए नई सरकार को आर्थिक मोर्चे पर कई समझौते करने पड़ सकते हैं. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नक्सली समस्या बहुत बड़ा सिरदर्द है. इतना जरूर है कि नक्सलियों को सुरक्षा बल करारा जवाब देने लगे हैं मगर यह भी सच है कि नक्सलवाद से संघर्ष में हर वर्ष अरबों रु. खर्च हो रहे हैं. ये रकम विकास के काम आ सकती है.
म.प्र. तथा छत्तीसगढ़ की नई सरकारों को नक्सलवाद के विरुद्ध नई रणनीति बनानी होगी एवं इस आतंक से छुटकारा पाने के लिए आदिवासियों का विश्वास जीतना होगा. सोमवार को शपथ लेने के साथ ही नए मुख्यमंत्रियों की ऐसी यात्र शुरू हो गई है जो बेहद पथरीली है. जनता की उम्मीदों के बोझ के साथ इस यात्र को सफलतापूर्वक पूरा करना टेढ़ी खीर है. नए मुख्यमंत्री प्रशासनिक रूप से काफी अनुभवी हैं और इस यात्र को तय करने में उनका अनुभव एवं दक्षता बहुत उपयोगी साबित होगी