नवीन जैन का ब्लॉग: भारत में आकाशीय बिजली का कहर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 7, 2020 10:21 AM2020-07-07T10:21:41+5:302020-07-07T10:21:41+5:30
झारखंड में आपदा प्रबंधन विभाग ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय परिसर में एक सेंसर लगाया जो 300 किमी के परिक्षेत्र में आकाशीय बिजली की घटनाओं और उनकी शक्ति का अध्ययन करता है.
बड़ी हृदय विदारक खबर है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में आसमानी बिजली के गिरने से 25 जून को एक ही दिन में कुल 120 लोगों की मौत हो गई. भारतीय मौसम विभाग ने भी भारत में बारह ऐसे राज्यों की पहचान की है जहां सबसे अधिक बिजली गिरती है.
इनमें मध्यप्रदेश पहले नंबर पर है. इसके बाद महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा का स्थान आता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार भारत में हर साल 2 हजार से ज्यादा लोग आकाशीय बिजली गिरने से मारे जाते हैं.
ब्यूरो के अनुसार 2000 से 2014 तक भारत में बिजली गिरने से 32,743 लोगों की मौतें हुई हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि 1967 से 2012 के बीच भारत में प्राकृतिक आपदाओं के कारण मौतों में 39 फीसदी मौतों के लिए आकाशीय बिजली ही जिम्मेदार थी.
एक ताजा वैज्ञानिक रिसर्च का कहना है कि यदि ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता रहता है तो सन् 2100 तक आज के मुकाबले 50 फीसदी बिजली अधिक गिरने लगेगी. कई वैज्ञानिकों ने किसानों की आकाशीय मौतों से बढ़ती संख्या की वजह खेतों के आसपास ताड़ के पेड़ों की कमी होना भी बताया है.
ताड़ का पेड़ ऊंचा होने के कारण बिजली की गाज खुद पर ले लेता है. कहा जाता है कि ताड़ का जीवित पेड़ विद्युत का अच्छा संवाहक होता है. ताड़ के पेड़ में मौजूद रस और पानी बिजली को जमीन में ले जाने का माध्यम बन जाते हैं. इस तरह ये पेड़ बिजली को जमीन के अंदर गहराई में पहुंचा देते हैं तथा आसपास मौजूद जीवों की जान बचा लेते हैं. नारियल के पेड़ भी बिजली के अच्छे संवाहक होते हैं.
अमेरिका और कनाडा की तरह भारत में आकाशीय बिजली की पहचान करने वाला नेटवर्क नहीं है. अमेरिका में 1970 के दशक में औसत 100 लोग प्रतिवर्ष बिजली गिरने से मारे गए. यह संख्या अब घटकर मात्र 27 रह गई है.
वहां सरकार ने जागरूकता अभियान चलाया तथा तूफान के समय लोग घरों में ही रहें, ऐसे निर्देश भी दिए गए. हालांकि भुवनेश्वर स्थित पर्यावरणविदों का कहना है कि भारत को बांग्लादेश जैसे देश की तरह ताड़ वृक्षारोपण की योजना बनाना चाहिए.
झारखंड में आपदा प्रबंधन विभाग ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय परिसर में एक सेंसर लगाया जो 300 किमी के परिक्षेत्र में आकाशीय बिजली की घटनाओं और उनकी शक्ति का अध्ययन करता है.
घरों में अर्थिंग वाला तार लगाने के अलावा आंधी-तूफान के समय घर के इलेक्ट्रॉनिक सामान के पॉवर प्लग निकाल दें. बारिश के मौसम में जब बिजली कड़क रही हो तो पेड़ के नीचे, बिजली के खंभों के पास तथा खुले मैदानों में जाने से बचें. जहां तक हो ऐसे समय अपना मोबाइल बंद रखें.