हरीश गुप्ता का ब्लॉग: जब मंत्री ने ही चखा मोदी की कार्यशैली का स्वाद

By हरीश गुप्ता | Published: September 24, 2020 01:48 PM2020-09-24T13:48:46+5:302020-09-24T13:48:46+5:30

कृषि संबंधित विधेयकों पर हरसिमरत कौर ने कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश की लेकिन असफलता ही हाथ लगी। आखिरकार वे जेपी नड्डा से जरूर मिलीं लेकिन उन्हें संकेत दे दिए गए थे कि सरकार पीछे हटने के मूड में नहीं है।

Harish Gupta blog: When cabinet minister tasted Narendra Modi style of work | हरीश गुप्ता का ब्लॉग: जब मंत्री ने ही चखा मोदी की कार्यशैली का स्वाद

कृषि विधेयकों पर हरसिमरत कौर की तमाम कोशिश के बावजूद नहीं माने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Highlightsहरसिमरत कौर को पहले ही इशारा दे दिया गया था कि अगर वे इस्तीफा देती हैं तो बिना देरी इसे स्वीकर किया जाएगाबीजेपी में कई लोग अब अकालियों का साथ छोड़ पार्टी को उत्तरी राज्य में मजबूत करने के पक्ष में हैं

हरसिमरत कौर बादल, जिन्होंने तीन-कृषि-संबंधित विधेयकों के विरोध में खाद्य प्रसंस्करण का कैबिनेट मंत्री पद छोड़ दिया, को प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली का स्वाद चखना पड़ा. उन्होंने मोदी को मनाने की भरसक कोशिश की लेकिन असफल रहीं. जब उन्होंने मिलने का समय मांगा तो प्रधानमंत्री के सहायक द्वारा विनम्रता से उन्हें गृह मंत्री या पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा से संपर्क करने के लिए कहा गया. 

अमित शाह एम्स से लौटने के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे और उपलब्ध नहीं थे. कोई और विकल्प नहीं होने से उन्होंने नड्डा के दरवाजे पर दस्तक दी. उन्होंने नड्डा से कहा कि अगर ये विधेयक पारित हो जाते हैं, तो उनके पास सरकार छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा और शायद एनडीए भी. अपनी आखिरी कोशिश के रूप में वे चाहती थीं कि विधेयकों को संसद की प्रवर समिति के पास भेजा जाए. 

हमेशा मुस्कुराते रहने वाले नड्डा के हाथ में यह एक कठिन काम था क्योंकि अकाली दल भाजपा के पांच दशक के सबसे पुराने सहयोगी हैं. नड्डा और सरकार के बीच क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन हरसिमरत कौर को बताया गया कि अगर उन्होंने मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दिया, तो बिना देरी किए इसे स्वीकार कर लिया जाएगा. 

जब पिछले शुक्रवार को लोकसभा में विधेयकों को पारित कर दिया गया तो उन्होंने फिर से तत्काल मिलने की मांग की क्योंकि वे इस्तीफा देना चाहती थीं. प्रधानमंत्री अपने संसद भवन के कक्ष के भीतर बैठे थे और वे कमरे तक चली गईं.

उन्होंने पीएम के सहयोगी से कहा कि उनके लिए प्रधानमंत्री से मिलना जरूरी है. लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने ऑफिस के सामने तक आईं अपनी ही कैबिनेट मंत्री से मिलने से इनकार कर दिया क्योंकि वे बेहद व्यस्त थे. 

निराश हरसिमरत कौर ने अपने इस्तीफे का पत्र सीलबंद कवर में मोदी के कार्यालय में एक जूनियर सहायक को सौंप दिया. बाकी इतिहास है. मोदी ने बिना देरी किए इसे स्वीकार कर लिया.

अकालियों के बिना भाजपा का सफर?

भाजपा में कई उत्साही लोगों का कहना है यही समय है जब पार्टी अकालियों का साथ छोड़ दे और खुद को उत्तरी राज्य में मजबूत करे. एस.एस. ढींडसा और कई वरिष्ठ नेताओं ने ‘प्रकाश-सुखबीर-हरसिमरत प्राइवेट लिमिटेड कंपनी’ छोड़ दी है. लेकिन भाजपा में कुछ लोगों ने सीमावर्ती राज्य में अति उत्साह में जोखिम लेने के खतरे के प्रति आगाह किया है और धीरे चलने को कहा है. 

भाजपा को महाराष्ट्र, राजस्थान में भारी नुकसान उठाना पड़ा है और अभी तक उसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु आदि में लाभ की स्थिति में आना शेष है. वह मणिपुर, गोवा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भी वह केवल दलबदल के दम पर सत्तासीन है, यहां तक कि बिहार में भी वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अधीन काम कर रही है. 

इसलिए, गठजोड़ को मजबूत करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए, तोड़ने के नहीं. हालांकि, इस विरोधाभासी दृष्टिकोण को स्वीकारने वाला भाजपा में कोई नहीं है.

ट्राई के नए अध्यक्ष के लिए दौड़

सबकी निगाहें भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अगले चेयरमैन पर टिकी हैं क्योंकि 30 सितंबर को आर.एस. शर्मा पदमुक्त होने वाले हैं. शर्मा के 5 साल के कार्यकाल के दौरान, ‘पंजाबी लॉबी’ ने अपना दबदबा खो दिया और ‘मुंबई लॉबी’ नंबर वन बन गई. नए चेयरमैन स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण, 5जी के खिलाड़ियों की एंट्री, प्लान की दरें कम कर विरोधी को उखाड़ने की रणनीति आदि कई चीजों के बारे में निर्णय लेंगे. 

88 आवेदकों में से, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा इस पद के लिए छांटे गए नामों में रीता ए. तेवतिया का नाम होने की खबरें हैं. यदि उन्हें नियुक्त किया जाता है, तो वे ट्राई प्रमुख बनने वाली पहली महिला होंगी.

अंधेरे में हाथ-पैर मारती सीबीआई

पिछले छह साल से सीबीआई अगुस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर के 3727 करोड़ रुपए के सौदे में ‘फेम’ (गांधी परिवार) और ‘एपी’ (अहमद पटेल) के पीछे पड़ी है. यह आरोप लगाया गया कि अहमद पटेल को 3 मिलियन यूरो मिले जबकि गांधी परिवार को 15 मिलियन मिले. 

यह सौदा यूपीए शासन के दौरान 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए किया गया था. जब रिश्वत के आरोप सामने आए तो डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे रद्द कर सीबीआई जांच का आदेश दिया गया. पूरे देश में हंगामा खड़ा करते हुए यह मामला सुर्खियों में छा गया था. 

सीबीआई ने पूर्व भारतीय वायु सेना प्रमुख और अन्य अधिकारियों, बिचौलियों क्रिश्चियन मिशेल जेम्स, राजीव सक्सेना और अन्य के खिलाफ दो आरोपपत्र दायर किए. लेकिन  दूसरे पूरक आरोप पत्र में कोई राजनेता शामिल नहीं पाए जाने से मामला फिलहाल कुछ वक्त से ठंडा पड़ गया है. सीबीआई अंधेरे में हाथ-पैर मार रही है. भाजपा कहती है, ‘तीसरे आरोपपत्र का इंतजार करो.’

Web Title: Harish Gupta blog: When cabinet minister tasted Narendra Modi style of work

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