हरीश गुप्ता का ब्लॉग: गमछे के बदले मास्क का संदेश
By हरीश गुप्ता | Published: September 17, 2020 01:34 PM2020-09-17T13:34:12+5:302020-09-17T13:34:12+5:30
कोरोना संकट के बीच जब संसद सत्र की शुरुआत हुई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गमछे की बजाय मास्क में नजर आए। वो भी मास्क आम आदमी से जुड़ा, नीले रंग का मास्क। शायद वो कोई संदेश देना चाहते थे।
कोविड की छाया में होने वाले संसद सत्र के उद्घाटन के दिन संसद भवन परिसर में प्रवेश करते समय प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने नीले रंग के तीन-स्तरीय मास्क का उपयोग करने का निर्णय लिया. मोदी ने आम आदमी के मास्क को चुना, जबकि इसके पहले कई बार वे टीवी में गमछा लगाए नजर आए थे. पता चला है कि एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया और अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा गमछे के उपयोग के बारे में संदेह व्यक्त करने के बाद बदलाव आया.
मोदी ने सांसदों और राजनेताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एन95 / एन99 मास्क के बजाय नीले रंग के मास्क का विकल्प चुना. गरीब आदमी की पहुंच के भीतर वाले दो रु. मूल्य के नीले रंग के मास्क को चुनकर शायद वे एक संदेश देना चाहते थे.
कंगना का मास्क को ‘ना’
दूसरी ओर कंगना रणावत केंद्रीय गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक रूप से मास्क पहनने के लिए बार-बार जारी किए जाने वाले कोविड के दिशानिर्देशों को धता बता रही हैं. उन्होंने सार्वजनिक रूप से बातचीत करते हुए छह फुट की दूरी बनाए रखने के निर्देश को भी नहीं माना. जब वे अपने कर्मचारियों और कमांडो के साथ अपने आंशिक रूप से ध्वस्त कार्यालय पहुंचीं तो बिना मास्क के थीं.
जैसे कि यह पर्याप्त नहीं था, उन्होंने जब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की तब भी उन्होंने मास्क लगाने की परवाह नहीं की, जबकि राज्यपाल ने मास्क पहन रखा था. बेचारी बीएमसी कुछ नहीं कर पाई, जिसने बिहार के आईपीएस को जबरन क्वारंटाइन किया था!
अधीर रंजन का बढ़ता कद
लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी अपने पूरे राजनीतिक जीवन में इतनी अच्छी स्थिति में कभी नहीं रहे थे. हालांकि वे पांचवीं बार लोकसभा के सांसद बने हैं, लेकिन वे कभी भी फ्रंट बेंच लीडर नहीं रहे. लेकिन उस समय उनका कद बढ़ गया जब 2019 के चुनावों में मल्लिकार्जुन खड़गे की अप्रत्याशित हार के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए चुना.
यहां तक कि उन्होंने सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में सीपीपी की पूर्ण बैठक की अध्यक्षता की, जबकि गुलाम नबी आजाद उनसे ज्यादा वरिष्ठ हैं और राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं. अधीर रंजन को इस महीने में साउथ एवेन्यू लेन में एक नया बंगला मिला है जो आजाद के आवास के ठीक सामने है. कहावत है कि भगवान जब देता है तो छप्पड़ फाड़ कर देता है.
सांसदों के पीछे आईटी सेल
भाजपा का आईटी विभाग पार्टी के शीर्ष नेताओं को मिलने वाले ‘लाइक्स’ और ‘हिट्स’ में भारी गिरावट से बेहद चिंतित है. विभाग पार्टी के सांसदों से संपर्क कर उनसे उन ट्वीट को रिट्वीट करने का अनुरोध कर रहा है जो पार्टी के मीडिया विभाग और शीर्ष नेताओं द्वारा किए जाते हैं.
हालांकि कुछ वरिष्ठ सांसदों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि वे पूरे दिन कैसे रिट्वीट कर सकते हैं, जिसमें अपने जूनियर्स के ट्वीट भी शामिल हैं! तब उनसे विनम्रतापूर्वक अपने ट्विटर अकाउंट के पासवर्ड प्रदान करने को कहा गया. जाहिर है, आईटी सेल उनकी ओर से खुद ट्वीट करेगा.
देशमुख-राऊत घातक गठबंधन
सुशांत सिंह राजपूत और कंगना रणावत के मामले के बाद उभरे राजनीतिक संकट को हल करने के लिए महाराष्ट्र के दिग्गज शरद पवार हरकत में आए. लेकिन सूक्ष्म छानबीन से पता चला है कि इस संकट को पैदा करने में जो लोग शामिल रहे हैं वे पवार के करीबी हैं.
चाहे वे महाराष्ट्र के गृह मंत्नी अनिल देशमुख हों या वरिष्ठ नेता संजय राऊत हों जिन्होंने कंगना रणावत. अगर मुंबई पुलिस ने सुशांत मामले को बिगाड़ दिया है तो वह भी एनसीपी के अधीन ही है. अंदरूनी सूत्नों का कहना है कि राऊत भले ही शिवसेना के नेता हैं, लेकिन वे अपने बॉस उद्धव ठाकरे की तुलना में पवार के ज्यादा करीब हैं.