महाराष्ट्र के किसानों को दिवाली से पहले बड़ी खुशखबरी मिली है। राज्य में काम करने वाली फसल बीमा कंपनियों ने फसल बीमा वितरण के पहले चरण में लगभग 1700 करोड़ रुपए की मंजूरी दे दी है। इसका लाभ राज्य के सभी जिलों के लगभग 35 लाख किसानों को मिलेगा।
चूंकि संबंधित बीमा कंपनियों ने संबंधित लाभार्थी किसानों के बैंक खातों में सीधे बीमा राशि का वितरण शुरू कर दिया है, इसलिए अधिकांश स्थानों पर फसल बीमा की अग्रिम राशि दिवाली से पहले किसानों के खातों में जमा कर दी जाएगी। महाराष्ट्र में इस साल बारिश की भारी कमी के कारण किसानों ने सूखे की स्थिति का सामना किया।
करीब डेढ़ महीने तक राज्य के कई जिले बारिश के लिए तरसते रहे। सूखे की वजह से न सिर्फ खरीफ सीजन की फसलें बुरी तरह से प्रभावित हुईं, बल्कि अब रबी सीजन की बुआई पर भी संकट के बादल छाए हुए हैं क्योंकि मिट्टी में नमी बहुत कम है। किसानों को राहत देने के लिए राज्य कैबिनेट की बैठक में 40 तालुका में सूखा घोषित किया गया है और जिन तालुकाओं को सूखा घोषित किया गया है अब उनमें आर्थिक मदद मिलेगी।
सरकार सूखा प्रभावित किसानों को मुआवजा देगी क्योंकि सूखे के कारण काफी किसानों की सोयाबीन, प्याज और कपास की खेती पर बुरा असर पड़ा है। खरीफ सीजन के दौरान विभिन्न जिलों में मौसम के असंतुलन के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ। सरकार की ओर से चलाई गई एक रुपए की फसल बीमा योजना में राज्य के 1 करोड़ 71 लाख किसान शामिल हैं। इसलिए अब फसल नुकसान पर हर किसान को लाभ मिलने जा रहा है।
भारत में कृषि क्षेत्र में फसल बीमा की अवधारणा जोखिम प्रबंधन के रूप में बीसवीं सदी के अंत में आई। इस अवधारणा को सदी के अंत तक कई मायनों में लागू किया गया। हमारे देश में अधिकांश लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर करते हैं, फिर भी भारत में फसल उत्पादन काफी हद तक मौसम पर निर्भर है।
अप्रत्याशित और अनियंत्रित बाहरी खतरों से कृषि अब बेहद जोखिम भरा उद्यम बन गई है। कृषि में जोखिम फसल उत्पादन, मौसम की अनिश्चितता, फसल की कीमतों, ऋण और नीतिगत फैसलों से जुड़े हुए हैं। किसी भी देश की उन्नति तभी संभव है जब वहां का किसान खुशहाल हो क्योंकि देश की खुशहाली का रास्ता गांवों से ही होकर जाता है।