गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: भारतीय महिलाओं का सामाजिक यथार्थ और बढ़ती मुश्किलें

By गिरीश्वर मिश्र | Published: December 8, 2022 03:24 PM2022-12-08T15:24:35+5:302022-12-08T15:34:57+5:30

भारतीय समाज में जिस तरह से महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है, वह महिलाओं के प्रति समाज की प्रतिबद्धता पर गंभीर सवालिया निशान खड़ा करती है। महिलाओं के खिलाफ हर तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। न केवल उनकी सुरक्षा और सम्मान बल्कि उनके मूल अधिकारों की भी अक्सर अनदेखी की जाती है।

Girishwar Mishra's Blog: Social reality and growing difficulties of Indian women | गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: भारतीय महिलाओं का सामाजिक यथार्थ और बढ़ती मुश्किलें

फाइल फोटो

Highlightsहमारे समाज में आरतों को दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में पूजा करने की अवधारणा रही हैलेकिन आज जिस तरह से समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है, वह चिंता का विषय है मौजूदा दौर में न केवल महिलाओं की सुरक्षा-सम्मान बल्कि उनके मूल अधिकारों की भी अनदेखी हो रही है

इस तथ्य के बावजूद कि महिलाएं हमारे समाज का एक अभिन्न अंग हैं और कई महिलाएं घर और बाहर विविध जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, उनकी स्थिति और अधिकारों को न तो ठीक से समझा जाता है और न ही उन पर ध्यान दिया जाता है। सतही तौर पर, महिलाओं के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है और वादे अक्सर किए जाते हैं। वास्तव में महिलाओं का सम्मान एक पारंपरिक भारतीय आदर्श है और सैद्धांतिक रूप से इसे समाज में व्यापक स्वीकृति भी मिली है। उन्हें ‘देवी’ कहा जाता है।

हमारे समाज में आरतों को दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है और कई अवसरों पर इनकी स्तुति भी काफी धूमधाम से की जाती है। किसी भी शुभ कार्य या अनुष्ठान की शुरुआत गौरी और गणेश की पूजा से होती है। यह सब समृद्धि बढ़ाने और अधिक शक्ति प्राप्त करने की इच्छा को पूरा करने और अधिकतम क्षमता का एहसास करने के लिए किया जाता है लेकिन आज जिस तरह से महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है, वह महिलाओं के प्रति समाज की प्रतिबद्धता पर गंभीर सवालिया निशान खड़ा करती है।

देश के किसी भी कोने से किसी भी दिन का अखबार उठा लें, उसमें महिलाओं की उपेक्षा और अत्याचार की खबरें प्रमुख रूप से उपस्थित रहती हैं। महिलाओं के खिलाफ हर तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। न केवल उनकी सुरक्षा और सम्मान बल्कि उनके मूल अधिकारों की भी अक्सर अनदेखी की जा रही है।

यह परिदृश्य महिला को सक्षम और सशक्त बनाने की संभावनाओं पर गंभीरता से ध्यान देने की मांग करता है, विशेष रूप से ऐसे उपाय जो उन्हें समर्थ बनाने में मदद करते हैं। इसके लिए सामाजिक पारिस्थितिकी में सकारात्मक बदलाव जरूरी होगा जिसके भीतर महिलाओं का जीवन सन्निहित होता है।

ऐतिहासिक रूप से देखें तो हम पाते हैं कि महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में देश के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय महिलाओं ने बड़ी संख्या में और कई तरीकों से भाग लिया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद दृश्य बदल गया और उनकी स्थिति को गंभीरता से लेने के लिए बहुत कम प्रयास किए गए। महिलाओं की एक छोटी संख्या ऊपर की ओर बढ़ी, लेकिन उनकी संख्या नगण्य रही।

लोकतंत्र की भावना से जीवन जीने की स्वतंत्रता आज भी भारतीय महिलाओं की आबादी के एक बड़े वर्ग के लिए एक सपना है। उन्हें वह सामाजिक दर्जा नहीं मिल सका जिसकी वे हकदार हैं। जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा होने के बावजूद, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की उपस्थिति और भागीदारी सीमित बनी हुई है। महिलाओं की स्वास्थ्य, भोजन और सुरक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों को ठीक तरह से पूरा करना भी मुश्किल होता जा रहा है।

Web Title: Girishwar Mishra's Blog: Social reality and growing difficulties of Indian women

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