गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: बिहार में बाढ़ की भयावह स्थिति

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 19, 2019 05:52 AM2019-07-19T05:52:04+5:302019-07-19T05:52:04+5:30

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय ऐसा लगता था कि नेपाल और भारत के बीच कोई संधि हो जाएगी जिससे इन नदियों के उद्गम स्थान पर ही बांध बनाए जाएंगे. परंतु चीन के बहकावे पर नेपाल पीछे हट गया.

Gaurishankar Rajhans Blog: Fearful situation of floods in Bihar | गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: बिहार में बाढ़ की भयावह स्थिति

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

प्रकृति की लीला भी अजीब है. आधा भारत सूखे से ग्रसित है और शेष आधे भारत में भयानक बाढ़ आ गई है. उत्तरी बिहार के अधिकतर भागों में दिन-रात बारिश हो रही है. साथ में नेपाल से निकलने वाली नदियां उत्तरी बिहार को तबाह कर रही हैं.

कई वर्ष पहले स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र के अथक प्रयासों के कारण उत्तरी बिहार में अनेक तटबंध बनाए गए थे. लोगों ने श्रमदान करके चीन की देखादेखी भारत में भी मजबूत तटबंध बनाए थे और वर्षो तक उन तटबंधों के कारण उत्तरी बिहार की उफनती नदियों से रक्षा हुई थी. परंतु पिछले कुछ वर्षो से ये तटबंध बहुत कमजोर हो गए हैं और थोड़ी-सी बारिश से इनमें दरार आ जाती है. ऐसी भयावह स्थिति पिछले 50 वर्षो में पैदा नहीं हुई थी. 

पिछले अनेक वर्षो से यह प्रयास हुआ कि नेपाल से निकलने वाली नदियों पर उनके उद्गम स्थान पर ही बांध बनाए जाएं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय ऐसा लगता था कि नेपाल और भारत के बीच कोई संधि हो जाएगी जिससे इन नदियों के उद्गम स्थान पर ही बांध बनाए जाएंगे. परंतु चीन के बहकावे पर नेपाल पीछे हट गया.

नेपाल ने कहा कि इस तरह का जो बांध बनेगा उसका खर्च भारत डॉलर में दे. भारत ने कहा कि उसके पास इतना डॉलर नहीं है. भूटान में भी उसने जो बांध बनाया था जिससे बिजली पैदा हुई थी उसका खर्च दोनों देशों ने रुपए में बांटा था.

और भूटान में जब बिजली पैदा हुई तो उससे न केवल भूटान की जनता को फायदा हुआ बल्कि भारत के कई राज्यों की जनता भी लाभान्वित हुई. परंतु भूटान को सारी रकम रुपए में दी गई थी. नेपाल चीन के बहकावे पर इस तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं हुआ. अंत में समझौता हो नहीं सका और तब से आज तक दोनों देशों के लोग प्रलयंकारी बाढ़ से तबाह हो रहे हैं. 

बिहार की बाढ़ की समस्या अत्यंत भयावह है. अब जब भारत में नई सरकार आई है और नेपाल से संबंध सुधर रहे हैं तो एक बार फिर से यह प्रयास होना चाहिए कि नेपाल की नदियों को उनके उद्गम स्थानों पर ही बांधा जाए और उससे जो बिजली प्राप्त हो उसका लाभ दोनों देशों को मिले.

प्रयास करने से सब कुछ संभव हो सकता है. इसलिए अब जबकि पूरे संसार में इस बात की चर्चा हो रही है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है, पड़ोसी देश नेपाल को भी वस्तुस्थिति को समझना होगा. इसी में दोनों देशों का कल्याण होगा. पूरी कोशिश होनी चाहिए कि शांतिपूर्ण माहौल में इस समस्या का समाधान हो.

Web Title: Gaurishankar Rajhans Blog: Fearful situation of floods in Bihar

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