गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: चीन पर विश्वास करने की भूल न करें
By गौरीशंकर राजहंस | Published: October 22, 2020 01:37 PM2020-10-22T13:37:02+5:302020-10-22T13:37:02+5:30
प्रधानमंत्री सहित भारत के बड़े नेता और सेना के वरिष्ठ अधिकारी सीमा पर जाकर सेना का मनोबल बढ़ा आए हैं. भारत की फौज का मनोबल बहुत ऊंचा है और वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है.
भारत और चीन के वरिष्ठ सैनिक अधिकारियों ने कई दौर की बातें की. हर बार ऐसा ही लगता रहा कि शायद सीमा विवाद पर कोई समझौता हो जाएगा. परंतु चीन के कहने और करने में जमीन-आसमान का अंतर होता है. चीन हमेशा दोस्ती की दुहाई देता है परंतु असल में उसकी नीयत में खोट है.
पीछे मुड़कर देखें तो चीन हमेशा से विस्तारवादी देश रहा है. उसकी मंशा आस-पड़ोस के देशों के भूभाग को हथिया लेने की रही है. अभी भी चीन बातचीत में नरम रुख अपनाता है परंतु उसके प्रवक्ता बार-बार कहते हैं कि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश भारत के हिस्से नहीं हैं.
भारत ने कई बार उसे मुंहतोड़ जवाब दिया है और उसे कहा है कि भारत के आंतरिक मामलों में चीन दखल नहीं दे. चीन को दोटूक संदेश दे दिया गया है कि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश सदा से भारत का हिस्सा थे, आज भी हैं और भविष्य में भी रहेंगे. चीन को किसी भी हालत में भारत के आंतरिक मामलों में बोलने का कोई हक नहीं है. एक तरफ तो चीन कहता है कि वह भारत के सैनिक और राजनीतिक नेतृत्व के साथ बात कर रहा है और दूसरी तरफ चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने अपने सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने का संदेश दे दिया है.
चीन सीमाई क्षेत्र में भारत द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास का घोर विरोध कर रहा है. इस कारण भी तनाव बढ़ता जा रहा है. हाल में भारत के रक्षा मंत्री ने चीन से कहा है कि वह किसी भी हालत में इस तरह के ढांचे का विकास करना बंद नहीं करेगा. हाल में भारत ने सीमा पर कई समरिक दृष्टि से मजबूत पुल और सड़क बनाए हैं. यह देखकर चीन जल-भुन गया है.
पीछे मुड़कर देखने से ऐसा लगता है कि अनेक वर्षो से चीन भारत के साथ धोखेबाजी करता रहा और हम उसकी धोख्ेाबाज की असलियत नहीं पहचान पाए. समय आ गया है जब हम इतिहास से सबक लें और चीन की चिकनी-चुपड़ी बातों में उलझ कर नहीं रह जाएं. भारत ने सीमा पर मजबूत इन्फ्रास्ट्रर बनाकर चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है.
प्रधानमंत्री सहित भारत के बड़े नेता और सेना के वरिष्ठ अधिकारी सीमा पर जाकर सेना का मनोबल बढ़ा आए हैं. भारत की फौज का मनोबल बहुत ऊंचा है और वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है. चीनी मीडिया खबर फैला रहा है कि भारत की फौज कड़ाके की ठंड को सहन नहीं कर पाएगी. पर यह प्रचार भ्रामक है, भारत ने पहले से ही ठंड का सामना करने का प्रबंध कर उस क्षेत्र में भरपूर रसद-पानी और सैनिक साजोसामान जमा कर लिया है.