गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: ड्रैगन से मुकाबले के लिए भारत की ओर झुकता अमेरिका
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 28, 2020 06:52 AM2020-07-28T06:52:39+5:302020-07-28T06:52:39+5:30
पिछले कुछ समय से ऐसा लग रहा है कि अमेरिका भारत के बहुत निकट आ रहा है और विभिन्न मंचों पर उसने खुलकर चीन की आलोचना की है. अमेरिका और भारत की बिजनेस काउंसिल की वार्षिक बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री पोम्पियो ने चीन की खुलकर भर्त्सना की. उन्होंने लद्दाख क्षेत्र में चीनी सैनिकों के अतिक्रमण की निंदा करते हुए कहा कि चीन की कार्रवाई को कोई भी देश समर्थन नहीं दे सकता है. गलवान घाटी में बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों पर दु:ख प्रकट करते हुए पोम्पियो ने कहा कि भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों को एक साथ मिलकर काम करना ही होगा. उन्होंने भारत सरकार द्वारा चीन की मोबाइल एप कंपनियों को प्रतिबंधित करने की भी तारीफ की. इस बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन की घुसपैठ के बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों में बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका में वह क्षमता है कि वे दुनिया को बचाने के लिए साथ-साथ काम कर सकते हैं.
अमेरिकी संसद ने चीन के खिलाफ प्रस्ताव पास करते हुए भारत का समर्थन किया. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास किया गया जिसमें चीन से अपील की गई कि वह नियंत्रण रेखा के पास भारत के साथ शांतिपूर्ण तरीके से तनाव को कम करे. इस संदर्भ में यह भी कहा गया कि सारा संसार चीन की आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन के बढ़ते दबाव की निंदा कर रहा है. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया कि वे ह्यूस्टन में चीनी वाणिज्य दूतावास को बंद कर रहे हैं और जल्दी ही अमेरिका के अन्य शहरों में भी चीनी दूतावासों को बंद किया जाएगा.
चीन और अमेरिका के रिश्ते दिनोंदिन कटु हो रहे हैं. ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति का कहना कि भारत अमेरिका का सच्चे अर्थ में मित्र है और दोनों देशों को मिलकर चीन की नापाक हरकतों को हर हालत में बंद करना चाहिए, मायने रखता है. भारत में अमेरिका के राजदूत ने कहा है कि अमेरिका और भारत की दोस्ती अटल है और हर हालत में इस दोस्ती को कायम रखा जाना चाहिए. इस बीच कहा जा रहा है कि चीन नियंत्रण रेखा से बहुत पीछे नहीं हटा है. वह एक-दो जगह मामूली पीछे हटकर फिर वहीं जम गया. इससे चीन के बारे में यह धारणा सच मालूम पड़ती है कि उसकी बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. वह दो कदम आगे बढ़ता है और एक कदम पीछे हटता है.
भारत में अमेरिकी राजदूत केन जस्टर ने कहा कि चीनी सीमा पर ताजा झड़पों के बीच ट्रम्प प्रशासन ने भारत के साथ बेहद नजदीकी संपर्क और जबरदस्त सहयोग कायम रखा है. केन जस्टर ने यह भी कहा कि फिलहाल हम भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीन द्वारा उत्पन्न किए गए विवादों पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं. बेहद बेबाकी से दोनों देश अभूतपूर्व सहयोग कर रहे हैं. अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा कि चीनी सेना की आक्रामक गतिविधियों की कड़ी निंदा भी की जानी चािहए. अमेरिकी राजदूत ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच अनेक क्षेत्रों में सहयोग हो रहा है और इस सहयोग को और भी मजबूत किया जाना चाहिए.
जब से कोविड-19 महामारी फैली है, ट्रम्प ने सीधे आरोप लगाए हैं कि चीन ने ही दुनिया में इस वायरस को फैलाया है. चीन अपने क्षेत्र में अन्य देशों के वैज्ञानिकों को जांच करने की अनुमति नहीं दे रहा है. ताजा परिस्थिति यह है कि अमेरिका के मित्र देश भारत के साथ खड़े हैं. खासकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने खुलकर भारत का साथ दिया है. उधर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख का दौरा कर सैनिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि उन्हें हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना है. संवाददाताओं द्वारा पूछे जाने पर कि क्या चीन के साथ भारत का युद्ध हो सकता है, रक्षा मंत्री ने कहा कि परिस्थितियां जिस तरह बदल रही हैं, उसमें कुछ भी कभी भी हो सकता है.
चीन की हठधर्मिता सामने आ गई है और सही अर्थ में भारत को हर दृष्टिकोण से चीन का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना होगा. भारत की जनता गांव-गांव में चीन के खिलाफ हो गई है और पूरे देश में चीनी सामान का बहिष्कार हो रहा है. चीन को ठिकाने लगाने का यही उपाय है कि उसकी आर्थिक रीढ़ तोड़ी जाए.