किसानों को चाहिए केवल जवाब- यस या नो? अपने ही जाल में उलझती जा रही है मोदी सरकार!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 5, 2020 09:20 PM2020-12-05T21:20:09+5:302020-12-05T21:21:19+5:30
मैं सभी यूनियनों, किसान नेताओं से कहना चाहता हूं कि आंदोलन का रास्ता छोड़ चर्चा के रास्ते पर आएं, भारत सरकार कई दौर की चर्चा कर चुकी है और समाधान के लिए आगे भी चर्चा करने को तैयार है.
किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए समय गुजारना पीएम मोदी सरकार को भारी पड़ सकता है, क्योंकि गुजरते समय के साथ सरकार उलझती जा रही है और आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा है.
आंदोलन की शुरुआत में शायद किसान कुछ प्रमुख संशोधन के साथ राजी हो जाते, परन्तु अब किसान, सरकार से केवल हां या ना में जवाब चाहते हैं. यही नहीं, किसान एमएसपी पर भी लिखित गारंटी चाहते हैं.
किसानों के ऐसे तेवर के बाद पांचवे दौर की बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई, क्योंकि एक तो किसान सरकारी पक्ष सुनना ही नहीं चाहते थे और दूसरा- सरकार की ओर से मौजूद मंत्री-अधिकारी इस पर कोई निर्णय देने की स्थिति में ही नहीं थे.
अब एक बार फिर सरकार में किसान आंदोलन को लेकर मंथन होगा और उसके बाद 9 दिसंबर की बैठक में ही यह साफ होगा कि आगे क्या होगा. उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों को लेकर दस दिनों से आंदोलनरत किसानों के साथ केंद्र सरकार की शनिवार को पांचवे दौर की बातचीत में भी कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है.
I want to assure farmers that Modi govt was fully committed to you, & will remain so in future. Under PM Modi's leadership, several agricultural schemes have been implemented. Budget & MSP has also increased: Union Agriculture Minister Narendra S Tomar after 5th round of talks https://t.co/WW7yAJB5UYpic.twitter.com/3V4S8rYHeW
— ANI (@ANI) December 5, 2020
दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ केंद्र की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने बातचीत की, किन्तु सर्वमान्य नतीजे के अभाव में अब 9 दिसंबर 2020 को दोपहर 12 बजे एक बार फिर किसानों के प्रतिनिधि और सरकार के प्रतिनिधि एक साथ बैठेंगे और समाधान तलाशेंगे. शनिवार की बैठक में सरकार ने किसानों के समक्ष 9 दिसंबर को फिर से बैठक का प्रस्ताव रखा, जिसे किसान नेताओं ने स्वीकार कर लिया!