फहीम खान का ब्लॉग: ये जो घरों में है, वो सब बेवकूफ है...
By फहीम ख़ान | Published: March 28, 2020 02:27 PM2020-03-28T14:27:08+5:302020-03-28T14:27:08+5:30
बाजार, दुकान, चौराहों पर कुछ हुशारचंद तो ऐसे भी मिल रहे है जो बाहर सिर्फ इसलिए निकले है क्योंकि उन्हें देखना था इस लॉक डाउन के समय में कोई बाहर तो नहीं निकल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों का लॉकडाउन लगाने की घोषणा कर दी और सभी से अपील की कि अब 21 दिनों तक किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलना है। सभी अपने घरों में रहें। इससे पहले महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने भी धारा 144 लगाई और लॉकडाउन की घोषणा की थी।
उन्होंने भी हम सभी से अपील की थी कि घरों से न निकले। लेकिन अपने भेजे में कोई बात आसानी से घुसती कहां है। कुछ लोग अब भी ऐसे बाहर निकल कर घूम रहे है मानों कोरोना का वायरस उनके आस पास भटकने भी वाला नहीं है। बाजार, दुकान, चौराहों पर कुछ हुशारचंद तो ऐसे भी मिल रहे है जो बाहर सिर्फ इसलिए निकले है क्योंकि उन्हें देखना था इस लॉक डाउन के समय में कोई बाहर तो नहीं निकल रहा है।
कल एक सज्जन नागर के वेरायटी चौक पर मिले तो कहने लगे कि कोरोना बिरोना कुछ नहीं है। सब साजिश है। लोगों को घरों में बंद रखकर सरकार अपनी नाकामियां छिपा रही है। एक और सज्जन इसलिए बाहर निकल आये थे क्योंकि उन्हें घर में अब 'अच्छाच' नहीं लग रहा था। एक अन्य सज्जन का तो ये कारण था कि वो देख रहे थे कही कोई पान ठेला खुला मिल जाये तो खर्रा लिया जाए। विदर्भ के ज्यादातर इलाको में खर्रा की तलब पूरी करने बहोत सारे लोग ऐसे ही बाहर निकल रहे है।
मतलब किसी के भी पास कोई जरूरी कारण नहीं है कि वो घर से बाहर निकले। बावजूद इसके लोग बाहर आ रहे है और जब 'तशरीफ़' पर पुलिस के डंडे पड रहे है तो उन्हें अपने मानवाधिकारों की याद आ रही है।
जो लोग ऐसेही फिजूल में अपने घरों से निकल रहे है उन्हें सड़को पर देख कर लगता है कि जो घरो में पूरी ईमानदारी से रह रहे है वो सभी बेवकूफ है। ऐसे बेवकूफ लोग जिनके लिए अपनी और अपनों की जान की कीमत घर से बाहर निकलने से कई गुणा ज्यादा है। ये इतने बेवकूफ है कि उन्हें लगता है कि उनका इंसानी समाज इस संकट से बच निकलना चाहिए।
ये वो लोग है जिन्हें अपने समाज, देश और दुनिया की फिक्र है और वो स्वस्थ जीवन के लिए कुछ दिन का होम स्टे कबूल कर चुके है।इनमे करोड़ो लोग ऐसे भी होंगे जिनके बाहर नहीं निकलने से कई काम रुक चुके है। लेकिन वो शांत है और घर पर है। इस इंतेजार में कि कब 21 दिन बीते और वो बाहर निकले। लेकिन वो सब्र भी कर रहे है। वही दूसरी ओर इन बेसब्रो ने तो एसेंशियल सर्विस वालो के ही नाक में दम कर रखा है।