अवधेश कुमार का ब्लॉगः ईरान से तेल आयात की छूट कूटनीतिक उपलब्धि

By अवधेश कुमार | Published: November 12, 2018 09:05 PM2018-11-12T21:05:40+5:302018-11-12T21:05:40+5:30

ईरान के गले पर चार नवंबर से अमेरिकी प्रतिबंधों का शिकंजा कस गया.

Exemption of oil imports from Iran diplomatic achievement | अवधेश कुमार का ब्लॉगः ईरान से तेल आयात की छूट कूटनीतिक उपलब्धि

अवधेश कुमार का ब्लॉगः ईरान से तेल आयात की छूट कूटनीतिक उपलब्धि

(लेखक-अवधेश कुमार)

 ईरान के गले पर चार नवंबर से अमेरिकी प्रतिबंधों का शिकंजा कस गया. अमेरिका ने अप्रैल 2018 में जब से ईरान के साथ पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के काल में 2015 में हुई संधि को खत्म करने की घोषणा की, तभी से पूरी दुनिया में तेल बाजार में अस्थिरता सहित कई प्रकार की आशंकाएं पैदा हो गई थीं. भारत के सामने भी तेल आयात को लेकर प्रश्न खड़े हो गए थे. जाहिर है, अमेरिका द्वारा भारत को ईरान से तेल आयात पर छह महीने के लिए मिली छूट तत्काल भारी राहत का विषय है.

भारत कुल तेल आयात का लगभग 26 प्रतिशत ईरान से ही करता है. ईरान के साथ तेल आयात का बड़ा लाभ यह है कि उसके काफी हिस्से का रुपयों में भुगतान होता है. इसे ईरान भारत से होने वाले निर्यातों के भुगतान के रूप में वापस कर देता है. अमेरिकी प्रतिबंधों की घोषणा के बाद भारत ने ईरान से बातचीत कर रुपए में भुगतान का दायरा और विस्तृत कराया था. इस तरह ईरान से तेल आयात हमारे लिए काफी लाभकारी हो गया है. अमेरिकी प्रतिबंधों का अर्थ है ईरान से किसी तरह का व्यापारिक रिश्ता रखने वालों का प्रतिबंधों के घेरे में आना. भारत इसका भी जोखिम मोल नहीं ले सकता था, क्योंकि अमेरिका से हमें सबसे ज्यादा व्यापारिक लाभ है.  

साफ है कि यह यूं ही नहीं हुआ. हालांकि अमेरिका ने भारत के साथ चीन, जापान, इटली, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, ताइवान और तुर्की को भी प्रतिबंधों से मुक्त किया है. यह मानने में कोई हर्ज नहीं है कि इन देशों ने अपने कूटनीतिक प्रयासों से यह छूट पाई है. इसके समानांतर भारत का अपना कूटनीतिक प्रयास रहा है.   ध्यान रखिए कि अमेरिका की ओर से अप्रैल में कुछ प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ईरान के तेल निर्यात में 40 प्रतिशत की कमी आ चुकी है. अनेक देश अमेरिकी प्रतिबंधों के भय से ईरान से तेल आयात में कटौती आरंभ कर दूसरे आपूर्तिकर्ताओं से इसकी भरपाई करने लगे थे.

भारत ने ऐसा करने की जगह कूटनीतिक अभियान चलाया. ईरान को आश्वासन दिया गया कि अपने मित्न देश को वह अचानक मंझधार में नहीं छोड़ सकता. विदेश सचिव विजय गोखले की ईरान यात्ना के दौरान इन सब पर बातचीत हुई. आपसी व्यापार दोगुना करने का निश्चय हुआ. अमेरिका को जब भारतीय रुख का संकेत मिलने लगा तो उसने राजी करने की कोशिशें की. इन परिस्थितियों का साहस से सामना करना तथा अमेरिका के राजी करने के प्रयासों के समानांतर अपने प्रयासों से उसे राजी करना कोई आसान लक्ष्य नहीं था.  वास्तव में इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति और उसके अनुरूप साहस के साथ धैर्य व संयत व्यवहार की जरूरत होती है. यह स्वीकार करने में समस्या नहीं कि कठिन परिस्थितियों में ऐसी कूटनीति अपनाने की कला भारत ने दिखाई है.

Web Title: Exemption of oil imports from Iran diplomatic achievement

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