संपादकीय: परिवर्तन की आंधी के बीच सहिष्णुता की सियासत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 22, 2018 05:00 AM2018-12-22T05:00:31+5:302018-12-22T05:00:31+5:30

सुशासन दिवस और सुशासन सप्ताह पूर्व की तरह मनाए जाने का म.प्र. के मुख्यमंत्री कमलनाथ का संदेश साफ है कि अतीत की तल्खियों को भुलाकर सभी दलों के महापुरुषों के सम्मान को बनाए रखना ही सर्वश्रेष्ठ रास्ता है.

Editorial: politics of tolerance between the wind of change | संपादकीय: परिवर्तन की आंधी के बीच सहिष्णुता की सियासत

संपादकीय: परिवर्तन की आंधी के बीच सहिष्णुता की सियासत

आमतौर पर शासन बदलते ही पुरानी सरकार की मान्यताओं और परंपराओं को तिलांजलि दे दी जाती है. दरअसल जब राजनीतिक सत्ता में परिवर्तन होता है, तो बड़े से लेकर छोटे नेता तक इसमें अपनी हिस्सेदारी तलाशते हैं. वैसे होना तो यह चाहिए कि विभिन्न निगम-मंडलों आदि स्थानों पर राजनीतिकों के स्थान पर पेशेवर लोगों की नियुक्तियां की जाएं ताकि वे अपना दायित्व दक्षता के साथ निभा सकें . लेकिन ऐसा होता नहीं.

अब जब देश के तीन राज्यों में सत्ता परिवर्तन हुआ है, तब ऐसे परिवर्तनों को स्वाभाविक माना जा रहा है. लेकिन इन परिवर्तनों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर आयोजित होने वाले सुशासन दिवस को मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने न केवल जारी रखने बल्कि पूरे उल्लास के साथ मनाने का जो फैसला किया है वह एक नई कार्य और राजनीतिक संस्कृति को प्रस्तुत करता है. कमलनाथ का यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय हो जाता है क्योंकि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और केंद्र की मोदी सरकार ने चुन-चुनकर उन योजनाओं और आयोजनों को बंद किया जो गांधी परिवार के महापुरुषों के नाम से जुड़ी थीं.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस को पूरे देश में सुशासन दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की थी. इसी परिप्रेक्ष्य में देश के तमाम भाजपाशासित राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा सुशासन दिवस को मनाने का सिलसिला प्रारंभ हो गया. मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के जाने और कांग्रेस के सत्ता में वापस आने पर इस साल सुशासन दिवस के आयोजन पर सत्ता परिवर्तन के कारण खतरा उत्पन्न हो गया था. लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर 25 दिसंबर को अवकाश होने के कारण 24 दिसंबर को विभिन्न सरकारी कार्यालयों में इसकी शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर माल्यार्पण से होगी.

भोपाल में मंत्रालय के सामने वल्लभभाई पटेल पार्क में 24 दिसंबर को 11 बजे अधिकारियों-कर्मचारियों को सुशासन की शपथ दिलाई जाएगी. राज्य शासन द्वारा सभी विभागों, संभागायुक्तों और कलेक्टरों को जारी आदेश में कहा गया कि 24 दिसंबर को जिला-स्तर पर किसी एक सभागृह या स्थल पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर सम्मान प्रकट करते हुए सुशासन की शपथ लें.  सुशासन दिवस और सुशासन सप्ताह पूर्व की तरह मनाए जाने का म.प्र. के मुख्यमंत्री कमलनाथ का संदेश साफ है कि अतीत की तल्खियों को भुलाकर सभी दलों के महापुरुषों के सम्मान को बनाए रखना ही सर्वश्रेष्ठ रास्ता है.

Web Title: Editorial: politics of tolerance between the wind of change

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