संपादकीय: हर भारतीय के सिर को गर्व से ऊंचा करता इसरो
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 21, 2018 05:34 AM2018-12-21T05:34:04+5:302018-12-21T05:34:04+5:30
भारत की सस्ती तकनीक का ही कमाल है कि आज अनेक देश भारत से अपने उपग्रहों का प्रक्षेपण करवा रहे हैं. भारत का अगला मिशन चंद्रयान-2 की लांचिंग का है जिसे 31 जनवरी 2019 को लांच किया जाना है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जिस तरह एक के बाद एक उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करता जा रहा है, उसने हर भारतीय के सीने को गर्व से चौड़ा कर दिया है. इसरो की ताजा उपलब्धि संचार उपग्रह जीसैट-7ए का सफल प्रक्षेपण है. कहा जा रहा है कि 2250 किलो वजन वाले इस सैटेलाइट से आसमान में भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी और इस कम्युनिकेशन सैटेलाइट के जरिए वायुसेना अपने सारे राडार स्टेशनों को आपस में जोड़ सकेगी. यही नहीं बल्कि सारे एयरबेस और ‘अवाक्स’ स्पेसक्राफ्ट भी आपस में आसानी से बातचीत कर सकेंगे.
एक समय था जब भारत को अपने उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए पश्चिमी देशों पर निर्भर रहना पड़ता था और वे इसके लिए अच्छा-खासा पैसा लेने के बावजूद भारत को जब तब आंख भी दिखाते रहते थे. अमेरिका ने तो सोवियत संघ के साथ भारत के बूस्टर तकनीक के क्षेत्र में सहयोग का परमाणु अप्रसार नीति की आड़ में भारी विरोध किया था और 1992 में इसरो तथा सोवियत संस्था ग्लावकास्मोस पर प्रतिबंध की भी धमकी दी गई. इसी के चलते सोवियत संघ ने इस सहयोग से अपना हाथ पीछे खींच लिया था.
भारत क्रायोजेनिक लिक्विड राकेट इंजन के निर्माण से जुड़ी तकनीक खरीदना चाहता था लेकिन सोवियत संघ ने इसे देने से इंकार कर दिया. तब अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करते हुए भारत ने सोवियत संघ से भी बेहतर स्वदेशी तकनीक दो साल के शोध के बाद विकसित कर ली थी और 5 जनवरी 2014 को इसरो ने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान की डी5 उड़ान में किया. पश्चिमी देशों की तुलना में बेहद कम लागत में भारत ने अपने मंगलयान की सफलता से दिखा दिया है कि उसके वैज्ञानिक प्रतिभा में किसी से पीछे नहीं हैं बल्कि आगे ही हैं.
भारत की सस्ती तकनीक का ही कमाल है कि आज अनेक देश भारत से अपने उपग्रहों का प्रक्षेपण करवा रहे हैं. भारत का अगला मिशन चंद्रयान-2 की लांचिंग का है जिसे 31 जनवरी 2019 को लांच किया जाना है. अब सिर्फ उम्मीद ही नहीं रखी जा सकती बल्कि पूरे विश्वास से कहा जा सकता है कि इसरो इसी तरह से भारत के लिए नई-नई सफलताएं हासिल करता जाएगा और हर भारतीय के सिर को गर्व से और ऊंचा उठाता जाएगा.