डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: प्लास्टिक का विकल्प कागज हो सकता है?
By डॉ एसएस मंठा | Published: January 24, 2020 06:12 AM2020-01-24T06:12:44+5:302020-01-24T06:12:44+5:30
वॉशिंगटन स्थित पर्यावरण संगठन ‘द अर्थ पॉलिसी इंस्टीटय़ूट’ का कहना है कि दुनिया भर में करीब एक ट्रिलियन प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है और हर साल समुद्र में 80 लाख टन प्लास्टिक बह कर पहुंचता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, भारत ने 2017-18 में 26000 टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन उत्पन्न किया. इसमें से 15600 टन को ही रिसाइकल किया गया.
पिछले साल 15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री ने नागरिकों से 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद कर देने का आग्रह किया था. प्लास्टिक का निर्माण जीवाश्म ईंधन से होता है और इसका उत्पादन प्रदूषण का कारक है. अनुमान है कि दुनिया के पेट्रोलियम उत्पादन का चार प्रतिशत प्लास्टिक बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
वॉशिंगटन स्थित पर्यावरण संगठन ‘द अर्थ पॉलिसी इंस्टीटय़ूट’ का कहना है कि दुनिया भर में करीब एक ट्रिलियन प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है और हर साल समुद्र में 80 लाख टन प्लास्टिक बह कर पहुंचता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, भारत ने 2017-18 में 26000 टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन उत्पन्न किया. इसमें से 15600 टन को ही रिसाइकल किया गया.
जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और इसमें प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण का बड़ा स्थान है. इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री का प्लास्टिक मुक्ति का आह्वान पर्यावरण के नजरिए से निस्संदेह एक अच्छा कदम है, लेकिन विकल्प क्या है? विकल्प क्या वास्तव में पर्यावरण के अनुकूल है? ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के मुताबिक भारत में 30 हजार से अधिक प्लास्टिक बनाने के उद्योग हैं, जिनमें 40 लाख लोग कार्यरत हैं. इनमें से अनेक इकाइयां असंगठित क्षेत्र में हैं. मंदी के इस दौर में, क्या देश इस क्षेत्र में छंटनी को वहन कर सकता है?
प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर आज कागज के बने थैलों को लाने की बात कही जा रही है. क्या यह सही विकल्प है? कागज का निर्माण पेड़ों से होता है, जिसकी लुग्दी बनाकर उसे कागज के रूप में ढाला जाता है. हालांकि प्लास्टिक के विघटन के एक हजार वर्ष की तुलना में कागज की बायोडिग्रेडेबिलिटी 2 से 6 सप्ताह की ही होती है. लेकिन प्लास्टिक बैग के विपरीत पेपर बैग का बारम्बार उपयोग नहीं किया जा सकता. वैसे कागज को रिसाइकल करना आसान है क्योंकि यह एक गैर सिंथेटिक सामग्री है. लेकिन इसके लिए पेड़ लगाने हेतु अनाज उगाने वाली उर्वर भूमि प्रदान करनी होगी.
जलवायु परिवर्तन और वन्यजीवों का आवास छिनने में जंगलों की कटाई का बड़ा योगदान है. हर साल एक करोड़ तीस लाख हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाते हैं. हालांकि पुनर्वनीकरण का दावा किया जाता है लेकिन वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट के अनुसार 80 लाख हेक्टेयर जंगल ही दुबारा लगाए जा पाते हैं. इसलिए कागज के लिए पेड़ काट जाने के बजाय इसका भी विकल्प खोजा जाना चाहिए. वे समुद्री शैवाल या मक्का, गन्ने जैसे पौधों से निर्मित बायो प्लास्टिक हो सकते हैं.