डॉ. शिवाकांत बाजपेयी का ब्लॉग: विदेश में नीलाम होती बहुमूल्य भारतीय धरोहरें

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 7, 2019 03:26 PM2019-07-07T15:26:50+5:302019-07-07T15:26:50+5:30

ताजा मामला अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में क्रि स्टी नीलामघर द्वारा 19 जून बुधवार को हुई भारतीय राजाओं/नवाबों  के आभूषणों की नीलामी से जुड़ा है.

Dr. Shivakant Vajpayee's blog: Auctioned abroad was an important Indian heritage | डॉ. शिवाकांत बाजपेयी का ब्लॉग: विदेश में नीलाम होती बहुमूल्य भारतीय धरोहरें

डॉ. शिवाकांत बाजपेयी का ब्लॉग: विदेश में नीलाम होती बहुमूल्य भारतीय धरोहरें

कुछ दिनों पहले ही हैदराबाद के निजाम के आभूषणों की नीलामी की खबर मीडिया की सुर्खियां बनी थी, किंतु यह पहली बार नहीं हो रहा है कि जब विदेशी नीलामघरों द्वारा भारतीय धरोहरों की नीलामी की गई. इसके पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की घड़ी एवं चश्मा तथा टीपू सुल्तान की तलवार आदि भी इसी प्रकार नीलाम की जा चुकी हैं.

हालांकि ये बहुमूल्य भारतीय ऐतिहासिक धरोहरें किस प्रकार नीलामघरों तक पहुंचती हैं इसकी तहकीकात करना तो सरकारों का काम है किंतु जब इस प्रकार की खबरें आती हैं तो लोगों में स्वाभाविक रूप से चिंता होती है और यही बात हमें अपनी धरोहरों के और करीब ले जाती है.

ताजा मामला अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में क्रि स्टी नीलामघर द्वारा 19 जून बुधवार को हुई भारतीय राजाओं/नवाबों  के आभूषणों की नीलामी से जुड़ा है. इस नीलामी में खास आकर्षण का केंद्र रही हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान की बेहद खास अंगूठी, जो कि ‘रिंग मिरर ऑफ पैराडाइज’ के नाम से प्रसिद्ध थी और जिसमें गोलकुंडा की विश्व प्रसिद्ध हीरा खदान से निकला 52.58 कैरेट का हीरा जड़ा था.

नीलामी में यह डायमंड रिंग 45 करोड़ रुपए में बिकी. इसके अतिरिक्त निजाम के खजाने का कभी खास हिस्सा रहा उनका 33 हीरों से बना हार 17 करोड़ रुपए में तथा विभिन्न राजकीय समारोहों में उपयोग में आने वाली उनकी प्रिय तलवार भी 13.4 करोड़ रुपए में नीलाम हुई.

वैसे तो इस पूरी नीलामी में कुल 400 वस्तुएं थीं जिसमें कुछ मुगलकालीन वस्तुएं, हुक्का तथा शाहजहां की कटार आदि भी शामिल थी, किंतु सबकी नजर हैदराबाद के नवाब की नायाब चीजों पर थी. आजादी के पहले भारत की प्रमुख रियासतों में से एक हैदराबाद के निजाम कभी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध थे और इनका खजाना पूरी दुनिया के लिए कौतूहल का विषय था.

इस अकूत खजाने के मालिक हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली को सन 1937 के फरवरी माह में टाइम मैगजीन ने दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति घोषित किया था. हैदराबाद के आखिरी निजाम का खजाना बाद में भारत सरकार द्वारा धरोहर के रूप में अधिगृहीत कर लिया गया और वर्तमान में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आधिपत्य में है. इस खजाने को केवल तीन बार ही प्रदर्शनी के लिए रखा गया है.

एक बार सन 2001 में राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में तथा फिर 2006 में निजाम के आभूषणों को सालार जंग म्यूजियम और पुन: अभी इसी वर्ष राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में कुछ समय के लिए प्रदर्शनी के रूप में रखा गया था. ये तो खजाने का वह हिस्सा है जो सभी को ज्ञात है.

इसके अतिरिक्त भी चोरी-चुपके खजाने के अनेक महत्वपूर्ण गहने-जवाहरात, बेशकीमती अस्त्न-शस्त्न आदि दुनिया के अनेक हिस्सों में पहुंच गए और इनकी जानकारी हमें तब मिलती है जब इन्हें किसी अंतर्राष्ट्रीय नीलामघर द्वारा बेचा जाता है.

न्यूयॉर्क स्थित नीलामी संस्था क्रिस्टी के आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस बार भारतीय कला और मुगल वस्तुओं की अब तक की सबसे बड़ी संख्या 400 वस्तुओं की नीलामी की गई जिसमें लगभग 758 करोड़ रुपए प्राप्त हुए. यद्यपि इस प्रकार की नीलामियों को कानूनन किस प्रकार रोका जा सकता है यह तो विधि विशेषज्ञ ही बता सकते हैं किंतु वैश्विक 

Web Title: Dr. Shivakant Vajpayee's blog: Auctioned abroad was an important Indian heritage

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