डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: शराब, मौत लाती मदहोशी 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 11, 2019 10:08 AM2019-03-11T10:08:42+5:302019-03-11T10:08:42+5:30

शराब से मिलने वाला राजस्व इतना ज्यादा है कि राज्यों के लिए उसे छोड़ना आसान नहीं होता. इसके बल पर कई कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन होता है.

Dr. S. S. Mantha's Blog: Alcohol, Death Shocking | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: शराब, मौत लाती मदहोशी 

डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: शराब, मौत लाती मदहोशी 

शराब मनुष्य की सबसे बड़ी दुश्मन है. यह बात जानने के बावजूद लोग पुराने जमाने से ही शराब की लत में पड़ते रहे हैं. लेकिन शराब पीने से अगर लोग मरते हैं तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है? असम के गोलाघाट में हाल ही में जहरीली शराब पीने से 150 मजदूरों की मौत हो गई. इतना ही नहीं बल्कि 350 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इसके  दो सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अवैध तरीके से तैयार की गई देशी शराब पीने से सौ से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी. नैतिकता के उद्देश्य से सरकारें शराबबंदी करती हैं, लेकिन गरीब लोग चोरी से हाथभट्टी की शराब पीकर अपने प्राण गंवाते हैं. 

शराब जहां कई लोगों की जान ले लेती है वहीं कई लोगों को अपंग भी बना देती है. यह जानते हुए भी लोग शराब क्यों पीते हैं? इसका कारण शायद इसकी कुछ देर के लिए तनाव को भुलाने की क्षमता है जिससे लोग शराब पीकर कुछ देर के लिए मदहोश हो जाते हैं. मनुष्य की इसी मनोवृत्ति का फायदा शराब और ड्रग्स व्यवसायी उठाते हैं.

शराब से मिलने वाला राजस्व इतना ज्यादा है कि राज्यों के लिए उसे छोड़ना आसान नहीं होता. इसके बल पर कई कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन होता है. लेकिन इसके लिए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना कितना उचित है? भारत का अल्कोहल उद्योग दुनिया का तीसरे क्रमांक का सबसे बड़ा उद्योग है. उत्तर प्रदेश में अल्कोहल से 350 अरब रु. की आय हर साल होती है.

अल्कोहल से होने वाली कुल आय का 60 प्रतिशत हिस्सा दक्षिण भारत से आता है. मध्यम वर्ग की आय में वृद्धि होने से शराब की खपत में भी वृद्धि हुई है. वाइन और वोदका पीने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. दुनिया में   व्हिस्की की जितनी खपत होती है उसमें 60 प्रतिशत अकेले भारत में होती है. शराब के इतने बड़े बाजार पर पाबंदी लगाना आसान नहीं है.

लोकसभा चुनाव नजदीक आ गए हैं और चुनावों में पैसा तथा शराब बड़े पैमाने पर बांटे जाते हैं. सरकार द्वारा शराब पर प्रतिबंध लगाने पर उसे चोरी छिपे बनाया जाता है. घटिया वस्तुओं का इस्तेमाल करने और टैक्स नहीं चुकाने के कारण उनकी कीमत भी कम होती है. यही कारण है कि हाथभट्टी की शराब पीकर लोग जान गंवा रहे हैं. 

शराब मूर्खता को सहने की असीमित शक्ति देती है. थोड़ी सी मूर्खता ज्यादा घातक भी नहीं होती. लेकिन ज्यादा मूर्खता अक्षम्य है और उसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है.

Web Title: Dr. S. S. Mantha's Blog: Alcohol, Death Shocking

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