दिनकर कुमार का ब्लॉगः मिजोरम में तेज हो रहा अलगाववाद का स्वर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 6, 2019 06:39 AM2019-02-06T06:39:39+5:302019-02-06T06:40:27+5:30

राज्य के दो अन्य अल्पसंख्यक समुदाय लाइस और मारस (दोनों ईसाई धर्मावलंबी) के साथ चकमा लोगों की तादाद मिजोरम की आबादी का दस  प्रतिशत है. अधिकतर मिजो लोग चकमा समुदाय को मिजोरम का बाशिंदा नहीं मानते.

dinakar kumar blog separatist are powerful in mizoram | दिनकर कुमार का ब्लॉगः मिजोरम में तेज हो रहा अलगाववाद का स्वर

दिनकर कुमार का ब्लॉगः मिजोरम में तेज हो रहा अलगाववाद का स्वर

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ सभी उत्तर-पूर्व राज्यों में जनता का आक्रोश उभरकर सामने आ रहा है. मिजोरम की राजधानी ऐजल की सड़कों पर तीस हजार से ज्यादा नागरिकों ने पिछले दिनों इस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए भारत के विरोध में नारे लगाए. प्रदर्शनकारियों के हाथों में जो बैनर थे उन पर भी ऐसा ही नारा लिखा था.

पूर्वोत्तर के छात्न संगठनों के संयुक्त मंच पूर्वोत्तर छात्न संगठन के वित्त सचिव रिकी लालबिकमाविया ने इस मौके पर पत्नकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मिजोरम के लोगों को यह एहसास होने लगा है कि भारत सरकार को अपने ही देश के नागरिकों के हितों की कोई परवाह नहीं है और अपने नागरिकों की तुलना में अवैध घुसपैठियों को तरजीह देने की नीति अपना रही है. नागरिकता संशोधन विधेयक ने लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है.  

रैली का आयोजन मिजो छात्न संगठन ‘मिजो जिरलाई पाउल’(एमजेपी) के आह्वान पर किया गया था. इसी संगठन ने 8 जनवरी को विधेयक के विरोध में 11 घंटे का मिजोरम बंद आहूत किया था. इस संगठन के अध्यक्ष ने कहा है कि अगर विधेयक पारित होगा तो मिजो लोग भारत से अलग हो जाना पसंद करेंगे. छात्न नेता कह रहे हैं कि मोदी सरकार अगर हठ नहीं छोड़ेगी तो मिजो युवा हथियार उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे. इस बार मिजोरम के राज्यपाल के. राजशेखरन ने जब गणतंत्न दिवस समारोह को संबोधित किया, तब मैदान में सुरक्षाकर्मी, मंत्नीगण, विधायक और सरकारी अधिकारियों को छोड़कर नागरिक समाज का एक भी सदस्य उपस्थित नहीं था. इस घटना की तरफ समूचे देश का ध्यान आकर्षित हुआ.

एक तरफ असम में बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ दशकों पुरानी समस्या बनी हुई है तो दूसरी तरफ मिजोरम में चकमा घुसपैठियों को लेकर जनमानस में नाराजगी बनी हुई है. चकमा शरणार्थी बौद्ध धर्मावलंबी हैं और मिजोरम में उनकी तादाद एक लाख से अधिक है. राज्य के दो अन्य अल्पसंख्यक समुदाय लाइस और मारस (दोनों ईसाई धर्मावलंबी) के साथ चकमा लोगों की तादाद मिजोरम की आबादी का दस  प्रतिशत है. अधिकतर मिजो लोग चकमा समुदाय को मिजोरम का बाशिंदा नहीं मानते.

उनका मानना है कि चकमा लोग गैरकानूनी तरीके से बांग्लादेश से आकर मिजोरम में बस गए हैं. यही वजह है कि बहुसंख्यक मिजो लोग लंबे समय से चकमा लोगों के हितों की सुरक्षा के लिए गठित ‘चकमा स्वशासी परिषद’ को भंग करने की मांग करते रहे हैं और इसके लिए लगातार विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. एमजेपी के महासचिव ललनुमाविया पाउतू का कहना है कि भारी तादाद में चकमा लोग मिजोरम में गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं. अगर नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया तो ऐसे अवैध नागरिकों को नागरिकता मिल जाएगी. 

Web Title: dinakar kumar blog separatist are powerful in mizoram

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