किसान आंदोलनः सीएम गहलोत ने मोदी सरकार पर निशाना साधा, कहा-पूरे देश के किसान सड़कों पर हैं
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 5, 2020 07:19 PM2020-12-05T19:19:54+5:302020-12-05T19:21:14+5:30
सरकार ने तीन दिन का समय मांगा है, 9 दिसंबर को सरकार हमें प्रपोज़ल भेजेगी, उस पर विचार करने के बाद बैठक होगी। 8 तारीख को भारत बंद ज़रूर होगा, ये कानून ज़रूर रद्द होंगे.
कांग्रेस शासित चार प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था, जिससे किसानों की बातें रखी जा सकें, लेकिन राष्ट्रपति से समय नहीं मिल सका, यह कहना है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का, जिन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट करके किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है.
याद रहे, पिछले राष्ट्रपति चुनाव में दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को बीजेपी की ओर से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने की सियासी चर्चाएं थीं, लेकिन पीएम मोदी जानते थे कि यदि आडवाणी राष्ट्रपति बन गए, तो वे एकतरफा फैसले नहीं ले पाएंगे. इस दौरान कई बार ऐसे मौके आए, जब राष्ट्रपति की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
सीएम गहलोत ने ट्वीट किया- केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों, किसान सगंठनों, कृषि विशेषज्ञों से बिना चर्चा किये तीनों कृषि बिल बनाये. इन तीनों बिलों को संसद में भी आनन-फानन में बिना चर्चा किये बहुमत के दम पर असंवैधानिक तरीके से पास कराया, जबकि विपक्ष इन बिलों को सेलेक्ट कमेटी को भेजकर चर्चा की मांग कर रहा था.
केंद्र सरकार ने इन बिलों पर किसी से कोई चर्चा नहीं की जिसके चलते आज पूरे देश के किसान सड़कों पर हैं. नये किसान कानूनों पर किसानों की बात रखने के लिये पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया.
फिर हम सभी चारों कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा जिससे किसानों की बातें रख सकें, लेकिन राष्ट्रपति की कोई मजबूरी रही होगी, इस कारण हमें समय नहीं मिल सका. किसानों की बात केंद्र सरकार ने नहीं सुनी, जिसके कारण आज किसान पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं.
लोकतंत्र के अंदर संवाद सरकार के साथ इस प्रकार कायम रहते तो यह चक्का जाम के हालात नहीं बनते एवं आमजन को तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता. उनका कहना है कि केंद्र सरकार को अविलंब तीनों नये कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिये और अन्नदाता के साथ किये दुर्व्यवहार के लिये माफी मांगनी चाहिये!