शशिधर खान का ब्लॉगः नगा शांति वार्ता का निर्णायक दौर ‘अशांत’

By शशिधर खान | Published: August 20, 2020 10:29 AM2020-08-20T10:29:31+5:302020-08-20T10:29:31+5:30

मुइवा के अनुसार राज्यपाल ने बड़ी बारीकी से मूल समझौते का मुख्य बिंदु ‘संप्रभुता’ को डिलीट कर दिया और संशोधित डील अन्य नगा गुटों से साझा करते रहे. 11 अगस्त को मुइवा ने यह कहकर आर. एन. रवि को राज्यपाल पद से हटाने की मांग कर डाली और 13 अगस्त को दिल्ली में आर.एन. रवि के साथ पूर्व निर्धारित वार्ता में शामिल नहीं हुए. 

Decisive phase of Naga peace talks 'turbulent' | शशिधर खान का ब्लॉगः नगा शांति वार्ता का निर्णायक दौर ‘अशांत’

फाइल फोटो

नगा विद्रोही संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनएससीएन-आईएम-आइसाक मुइवा गुट) के साथ शांति वार्ता चला रहे केंद्र सरकार के प्रतिनिधि और नगालैंड के राज्यपाल आर.एन. रवि जब वार्ता को निर्णायक दौर में ला रहे थे, ठीक उसी समय एनएससीएन सुप्रीमो टी. मुइवा ने राज्यपाल को हटाने की मांग कर डाली. इससे वार्ता फिर खतरे में पड़ गई है.

86 वर्षीय टी. मुइवा दिल्ली में रहते हुए केंद्र सरकार को यह ऐसा संदेश देना चाहते थे, जिससे लगे कि आर.एन. रवि ने केंद्र और एनएससीएन दोनों के साथ धोखा किया है. एनएससीएन (आईएम) ने अगस्त, 2015 में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केंद्र के साथ डील किया, जिसे ‘फ्रेमवर्क  एग्रीमेंट’ कहा जाता है. इस पर एनएससीएन की ओर से टी. मुइवा और आइसाक चिशी स्वू ने हस्ताक्षर किए. इसके लिए दोनों को तैयार करने का श्रेय वार्ताकार आर. एन. रवि को जाता है, जो जुलाई 2019 में नगालैंड के राज्यपाल बनाए गए. एनएससीएन के दूसरे सुप्रीमो आइसाक चिशी की 2016 में दिल्ली में ही मृत्यु हो गई.

2015 ‘डील’ के मजमून पर दोनों पक्षों ने गोपनीयता बरती. अभी पांचवें साल में टी. मुइवा ने उस समय मुंह खोला है, जब नगालैंड के राज्यपाल सभी नगा गुटों को इस झंझट की अंतिम डील के लिए अमूमन राजी कर चुके हैं. नगालैंड के सबसे पुराने और मजबूत नगा गुट एनएससीएन के संचालक मुइवा ने दावा किया कि 2015 डील में इस बात पर सहमति हुई थी कि एनएससीएन (आईएम) संप्रभुता का साझीदार होगा और दो अलग-अलग हस्तियों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का नया रिश्ता कायम होगा. मुइवा ने गत हफ्ते ‘फ्रेमवर्क  डील’ का मजमून दिल्ली में ही जारी किया और कहा कि समझौते में ‘संप्रभुता’ साझा करने की बात थी. बकौल मुइवा- ‘हमने अलग संविधान और झंडे की मांग कभी नहीं छोड़ी, हमारी संप्रभुता भारतीय संविधान के दायरे में नहीं आती.’ 

मुइवा के अनुसार राज्यपाल ने बड़ी बारीकी से मूल समझौते का मुख्य बिंदु ‘संप्रभुता’ को डिलीट कर दिया और संशोधित डील अन्य नगा गुटों से साझा करते रहे. 11 अगस्त को मुइवा ने यह कहकर आर. एन. रवि को राज्यपाल पद से हटाने की मांग कर डाली और 13 अगस्त को दिल्ली में आर.एन. रवि के साथ पूर्व निर्धारित वार्ता में शामिल नहीं हुए. 

अलबत्ता मुइवा दो खुफिया अधिकारियों से मिले. आर.एन. रवि भी खुफिया ब्यूरो (आईबी) के प्रमुख रह चुके हैं. मुइवा के अचानक बदले तेवर पर वार्ताकार आर. एन. रवि और केंद्र सरकार के किसी अधिकारी ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार कर दिया. लेकिन इस संकट के शांतिपूर्ण स्थायी समाधान निकालने के  प्रयासों में सहयोग कर रहे नगा समुदायों में मुइवा के रवैये से नाराजगी है. नगालैंड से तो रिपोर्ट है कि नगा जनजातीय संगठन और विभिन्न नगा गुट मुइवा के रुख पर बंट गए हैं. लेकिन सबसे प्रभावशाली नगा जनजातीय मंच ‘हो हो’ समेत ज्यादातर नगा समुदाय एनएससीएन (आईएम) की राज्यपाल को हटाने की मांग से सहमत नहीं हैं.

Web Title: Decisive phase of Naga peace talks 'turbulent'

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