ब्लॉगः कोरोना वायरस से दुनिया भर में तबाही, अमेरिकी रुख से कोविड का स्रोत जानने की उम्मीद बढ़ी

By अवधेश कुमार | Published: June 2, 2021 05:28 PM2021-06-02T17:28:23+5:302021-06-02T17:30:35+5:30

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा नए सिरे से कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच के आदेश के बाद फिर संभावना बढ़ी है कि शायद हमारे सामने सच आए.

covid Worldwide devastation corona virus US attitude raised hopes of knowing the source awadesh kumar blog | ब्लॉगः कोरोना वायरस से दुनिया भर में तबाही, अमेरिकी रुख से कोविड का स्रोत जानने की उम्मीद बढ़ी

विश्व समुदाय के बढ़ते दबाव के बीच पिछले वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक संयुक्त जांच दल का गठन किया था.

Highlightsबाइडन ने अपनी खुफिया एजेंसियों से इसका स्रोत खंगालने की कोशिशों में केवल तेजी लाने को नहीं कहा.90 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का भी आदेश दिया है. विषाणु विज्ञान संस्थान के तीन शोधकर्ताओं में कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण उभरने के बाद अस्पताल में भर्ती होने का दावा किया गया था.

कोरोना प्रकोप सामने आने के समय से ही संपूर्ण विश्व इसकी उत्पत्ति के स्नेत के बारे में भी जानना चाहता है. डेढ़ वर्ष के बाद भी यह प्रश्न अनुत्तरित है कि विश्व भर में तबाही मचाने वाले इस वायरस की उत्पत्ति कहां हुई?

विश्व का शायद ही कोई कोना हो जहां संदेह की उंगलियां चीन की ओर नहीं उठीं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा नए सिरे से कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच के आदेश के बाद फिर संभावना बढ़ी है कि शायद हमारे सामने सच आए.

बाइडन ने अपनी खुफिया एजेंसियों से इसका स्रोत खंगालने की कोशिशों में केवल तेजी लाने को नहीं कहा बल्कि 90 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का भी आदेश दिया है. बाइडन ने कहा कि मैंने यह निर्देश उस खुफिया रिपोर्ट के संदर्भ में दिया है जिसमें महामारी के खुलासे से पहले 2019 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी यानी वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान के तीन शोधकर्ताओं में कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण उभरने के बाद अस्पताल में भर्ती होने का दावा किया गया था.

दूसरी ओर अमेरिका और ब्रिटेन तथा उसके बाद कई देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को कहा है कि कोविड-19 की उत्पत्ति के स्रोत की संभावनाओं को फिर गहराई से देखा जाए और इसके लिए जांच दल फिर चीन का दौरा करे. भारत ने भी इसका समर्थन कर दिया है. विश्व समुदाय के बढ़ते दबाव के बीच पिछले वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक संयुक्त जांच दल का गठन किया था.

यह दल अस्पतालों, हुनान सीफूड मार्केट, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और वुहान सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की प्रयोगशालाओं के साथ उन अस्पतालों में भी गया जहां कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार हुआ था. बावजूद संयुक्त जांच रिपोर्ट में ऐसी कोई बात नहीं आई जिसे नया कहा जाए. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प स्पष्ट रूप से इसे चीनी वायरस कहते थे.

अब यह सामने आया है कि ट्रम्प अपनी ओर से नहीं बोल रहे थे, शीर्ष वैज्ञानिकों, मेडिकल सलाहकारों, खुफिया एजेंसियों आदि ने उनको सूचना दी थी कि चीन के द्वारा यह निर्मित वायरस है. बाइडन के इस आदेश के पहले ट्रम्प कार्यकाल के विदेश मंत्नी माइक पोम्पियो ने बयान दिया था कि चीन अपनी प्रयोगशाला में वायरस को भविष्य में युद्ध में उपयोग करने की दृष्टि से प्रयोग कर रहा था और उसी ने वायरस फैलाया है. अमेरिका की कई बड़ी हस्तियों ने इस तरह के बयान दिए,

मीडिया में भी इस तरह की खबरें लगातार आईं और जो बाइडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ा कि वह इसकी जांच कराकर सही निष्कर्ष सार्वजनिक करें. ध्यान रखिए कि अभी तक स्वयं जो बाइडेन ने कोरोना वायरस और चीन की भूमिका को लेकर कुछ नहीं कहा है. बाइडन ट्रम्प की चीन नीति को बदलना चाहते थे.

पर इस समय कोरोना को लेकर देश के अंदर माहौल अलग है. स्वयं उनकी पार्टी और प्रशासन के अंदर भी यह भाव गहरा है कि इस समय दुनिया में त्नाहि-त्नाहि का मूल कारण चीन है. तो अमेरिकी एजेंसियों की जांच रिपोर्ट का इंतजार करिए.

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