कोरोना के कहर के बीच भारत बना तारणहार, वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 23, 2021 03:35 PM2021-02-23T15:35:23+5:302021-02-23T15:37:07+5:30
मालदीव को एक लाख, नेपाल को 10 लाख, बांग्लादेश को 20 लाख, सेशल्स को 50 हजार, म्यामां 15 लाख, मारिशस को एक लाख खुराक भेजे जा चुके हैं.
कुछ दिन पहले मैंने लिखा था कि कोरोना का टीका भारत को विश्व की महाशक्ति के रूप में उभार रहा है. उस पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मुहर लगा दी है. गुटेरेस ने कहा है कि कोरोना के युद्ध में भारत ने विश्व का नेतृत्व किया है, वह विश्व-त्नाता बन गया है.
संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना को दो लाख टीके
जैसा कि मैं दशकों से लिखता रहा हूं कि भारत को हमें भयंकर महाशक्ति नहीं, प्रियंकर महाशक्ति बनाना है, उसका अब शुभारंभ हो गया है. भारत ने दुनिया के लगभग 150 देशों को कोरोना के टीके, जांच किट, पीपीई और वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए हैं. इन देशों से भारत ने इन चीजों के पैसे या तो नाम-मात्न के लिए हैं या बिल्कुल नहीं लिए हैं.
संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना को दो लाख टीके भारत ने भेंट किए हैं. अभी तक भारत लगभग ढाई करोड़ टीके कई देशों को भेज चुका है. उन देशों के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों ने भारत का बहुत आभार माना है. इसका श्रेय भारत के वैज्ञानिकों, दवा-उत्पादकों और स्वास्थ्य मंत्नालय को अपने आप मिल रहा है.
यदि भारत सरकार इस संकट में आयुर्वेदिक काढ़े को भी सारे विश्व में फैला देती तो भारत को अरबों रु. की आमदनी तो होती ही, भारत की महान और प्राचीन चिकित्सा-पद्धति सारे विश्व में लोकप्रिय हो जाती. लेकिन हमारे नेताओं में आत्म-विश्वास और आत्म-गौरव की इतनी कमी है कि वे नौकरशाहों के इशारे पर ही चलते रहते हैं.
अमेरिका में 5 लाख से ज्यादा लोग मर चुके हैं
कोरोना युद्ध में भारत की विजय सारी दुनिया में बेजोड़ है. अमेरिका जैसे शक्तिशाली और साधन-संपन्न देश में 5 लाख से ज्यादा लोग मर चुके हैं. जो देश भारत के प्रांतों से भी छोटे हैं, उनमें हताहत होनेवालों की संख्या देखकर हमें हतप्रभ रह जाना पड़ता है.
ऐसा क्यों है? इसका कारण भारत की जीवन पद्धति, खान-पान और चिकित्सा पद्धति है. दुनिया के सबसे ज्यादा शाकाहारी भारत में रहते हैं. जो मांसाहार करते हैं, वे भी इन दिनों शाकाहारी हो गए हैं. हमारे भोजन में रोजाना इस्तेमाल होनेवाले मसाले हमारी प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाते हैं. हमारा नमस्ते लोगों में शारीरिक दूरी अपने आप बना देता है.
50-60 करोड़ लोग टीका लगवा लेंगे
आयुष मंत्नालय ने काढ़े की कोरोड़ों पुड़िया बंटवाई. इन सब का सुपरिणाम है कि भारत की गरीबी, अस्वच्छता और भीड़-भाड़ के बावजूद आज भारत कोरोना को मात देने में सारे देशों में सबसे अग्रणी है. यदि भारत सरकार थोड़ी ढील दे दे और गैर-सरकारी स्तर पर भी टीकाकरण की शुरुआत करवा दे तो कुछ ही दिनों में 50-60 करोड़ लोग टीका लगवा लेंगे.