वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना के इलाज में मुस्तैदी लाना जरूरी

By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 18, 2020 08:10 AM2020-06-18T08:10:47+5:302020-06-18T08:10:47+5:30

भारत में एक दिन में कोविड-19 से सबसे अधिक 2,003 लोगों की मौत होने के बाद देश में इस बीमारी से मरने वालों की कुल संख्या 11,903 हो गई है। वहीं, पिछले 24 घंटे में 10,974 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 3,54,065 हो गए हैं।

Coronavirus in India Blog It is necessary to bring promptness in the treatment Medical of covid-19 | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना के इलाज में मुस्तैदी लाना जरूरी

PPE किट पहनते मेडिकल स्टाफ (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दिल्ली में कोरोना-संकट से निपटने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में पहले दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री से बात की और फिर उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाई. इन दोनों बैठकों में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और कई उच्च अधिकारी शामिल हुए. सबसे अच्छी बात यह हुई कि प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस का प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल हुआ. यह क्या बताता है? इससे पता चलता है कि भारत का लोकतंत्र कितनी परिपक्वता से काम कर रहा है. यह ठीक है कि कांग्रेस के बड़े नेता   हर रोज किसी न किसी मुद्दे पर सरकार की टांग खींचते हैं लेकिन उन्होंने यह सराहनीय काम किया कि गृह मंत्री की बैठक में अपना प्रतिनिधि भेज दिया. गृह मंत्री की इन दोनों बैठकों में कुछ बेहतर फैसले किए गए हैं.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

सबसे अच्छी बात तो यह है कि दिल्ली के अधिक संक्रमित इलाकों में अब घर-घर में कोरोना का सर्वेक्षण होगा. कोरोना की जांच अब आधे घंटे में ही हो जाएगी. रेलवे के 500 डिब्बों में 8 हजार बिस्तरों का इंतजाम होगा. गैर-सरकारी अस्पतालों में 60 प्रतिशत बिस्तर कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित होंगे. कोरोना-मरीजों को संभालने के लिए अब स्काउट-गाइड, एनसीसी, एनएसएस आदि संस्थाओं से भी मदद ली जाएगी.

 यदि सिर्फ दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या 5-6 लाख तक होनेवाली है तो उसका सामना हमारे कुछ हजार डॉक्टर और नर्स कैसे कर पाएंगे? मुंबई में कोरोना की प्रारंभिक जांच सिर्फ 25 रु. में हो रही है. कोरोना की इस जांच के लिए मुंबई की स्वयंसेवी संस्था ‘वन रुपी क्लीनिक’ की तर्ज पर हमारे सरकारी और गैर-सरकारी अस्पताल काम क्यों नहीं कर सकते? सरकार का यह फैसला तो व्यावहारिक है कि गैर-सरकारी अस्पतालों को सिर्फ कोरोना अस्पताल बनने के लिए मजबूर न किया जाए लेकिन हमारे सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में कोरोना-मरीजों के इलाज में लापरवाही और लूटमार न की जाए, यह देखना भी सरकार का कर्तव्य है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

आश्चर्य है कि अभी तक सरकार ने कोरोना के इलाज पर होनेवाले खर्चों की सीमा नहीं बांधी है. मैं तो चाहता हूं कि उनका इलाज बिल्कुल मुफ्त किया जाना चाहिए. हमारे देश में मामूली इलाज से ठीक होनेवालों की संख्या कहीं ज्यादा है. जिन्हें सघन चिकित्सा (आईसीयू) और सांस-यंत्र (वेंटिलेटर) चाहिए, ऐसे मरीजों की संख्या कुछ हजार तक ही सीमित है. कांग्रेस ने गृह मंत्री से कहा है कि गंभीर रोगियों को सरकार 10 हजार रु. की सहायता दे. जरूर दे लेकिन सोचिए कि जो सरकार मरीजों का इलाज मुफ्त नहीं करा पा रही है, वह उन्हें दस-दस हजार रुपये कैसे देगी?

Web Title: Coronavirus in India Blog It is necessary to bring promptness in the treatment Medical of covid-19

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