प्रवीण दीक्षित का ब्लॉगः स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा कैसे रुके?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 21, 2020 12:43 PM2020-10-21T12:43:49+5:302020-10-21T12:43:49+5:30

प्रत्येक घटना का दस्तावेजीकरण एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है जिसे आमतौर पर उपेक्षित किया जाता है. यदि पिछली घटनाओं का रिकॉर्ड है तो उससे उभरने वाले पैटर्न को देखा जा सकता है और समय रहते हिंसक घटनाओं को होने से रोका या संभाला जा सकता है.

Coronavirus crisis: How did violence against health workers stop? | प्रवीण दीक्षित का ब्लॉगः स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा कैसे रुके?

प्रतीकात्मक तस्वीर

कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद, हालांकि स्वास्थ्यकर्मी अपना काम पूरी लगन से करते रहे, लेकिन उन पर हमले जारी रहे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को घोषणा करनी पड़ी कि इन अपराधों को गैर-जमानती बनाने सहित कड़े प्रावधानों के साथ ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाएगा. वर्तमान में, महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्य सरकारों ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए अधिनियम बनाया है. हालांकि कानूनी प्रावधानों के बावजूद, बर्बरता और र्दुव्‍यवहार की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसके अलावा, ऐसा प्रतीत होता है कि दोषियों को शायद ही कोई सजा मिलती हो जिसका अपराधियों के मनोबल पर असर पड़े.

विभिन्न सरकारी अस्पतालों में निवासी डॉक्टरों के खिलाफ हिंसक घटनाओं के मद्देनजर, मुङो इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक योजना तैयार करने को कहा गया. मेडिकल कॉलेजों-अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों के परामर्श से, आपातकालीन वार्डो की पहचान की गई और सशस्त्र टुकड़ियों को महाराष्ट्र स्टेट सिक्योरिटी कार्पोरेशन से तैनात किया गया. इन कर्मियों को संचार सुविधाओं से सुसज्जित किया गया था, ताकि अल्प सूचना पर अतिरिक्त सहायता प्राप्त की जा सके. इन पुरुष और महिला सुरक्षा कर्मियों को विशेष रूप से भीड़ और मरीज के रिश्तेदारों को संभालने के लिए प्रशिक्षित किया गया था. वे चयनित सेवानिवृत्त पुलिस निरीक्षकों के अधीन कार्य करते थे. 

इसके अलावा, आपातकालीन वार्डो में आने-जाने पर नियंत्रण, रोगियों के आने-जाने के समय को सीमित करने और आगंतुकों की संख्या कम करने जैसे उपायों को लागू किया गया. किसी भी आकस्मिक घटना को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे और आपातकालीन अलार्म प्रणाली स्थापित की गई. कुल मिलाकर, प्रणाली व्यवस्थित हो गई है और निवासी डॉक्टर तनावमुक्त वातावरण में काम करने में सक्षम होने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हैं. लेकिन निश्चित रूप से स्थिति को सुधारने के लिए और गुंजाइश है.

निजी अस्पतालों में स्थिति अधिक चुनौतीपूर्ण है. अधिकांश डॉक्टर अलग-अलग काम करते हैं. ऐसे स्थानों पर जहां अस्पताल है, गार्ड, बाउंसर, सीसीटीवी कैमरे की तैनाती सहित कुछ उपाय किए गए हैं. फिर भी जमीनी हकीकत में बहुत सुधार नहीं हुआ है. इसलिए यह जरूरी है कि अतिरिक्त उपायों पर विचार किया जाए. स्वास्थ्य केंद्रों में हिंसा के छिटपुट कारण होने के साथ-साथ पर्याप्त प्रशिक्षण का अभाव, बुनियादी ढांचे की कमी और ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए किसी नीति का अभाव हो सकता है. इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नियमित आधार पर विशेषज्ञों द्वारा शुरुआती और साथ ही मध्यावधि प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए. 

बिलिंग क्लर्क से लेकर रिसेप्शनिस्ट, नर्स, वार्ड ब्वॉय, टेक्नीशियन और वरिष्ठतम विशेषज्ञ तक के पदों के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रशिक्षण का विशिष्ट ढांचा होना चाहिए, जिसमें प्रत्येक की भूमिका स्पष्ट हो. ध्यान क्या करें और क्या न करें के साथ ऐसी युक्तियों पर होना चाहिए जिन्हें व्यावहारिक रूप से लागू किया जा सके. केस स्टडी करना भी उचित है और प्रतिभागियों को उचित निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए विशेषज्ञों की उपस्थिति में इन पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. 

प्रत्येक घटना का दस्तावेजीकरण एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है जिसे आमतौर पर उपेक्षित किया जाता है. यदि पिछली घटनाओं का रिकॉर्ड है तो उससे उभरने वाले पैटर्न को देखा जा सकता है और समय रहते हिंसक घटनाओं को होने से रोका या संभाला जा सकता है. इन रिकॉर्डिग को समय-समय पर कर्मचारियों को दिखाया जाना चाहिए ताकि उन्हें पता चल सके कि क्या गलत हुआ और उससे कैसे बचना संभव था. इसके अलावा पुलिस या अदालत में उपस्थित होने से बचने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ऐसी घटनाओं की सूचना नहीं देने की भी प्रवृत्ति है.

 हेल्थकेयर में हिंसा की रोकथाम के लिए यूएस के दिशानिर्देशों में निम्नलिखित उपायों का उल्लेख है : 1) प्रबंधन प्रतिबद्धता, 2) कर्मचारी भागीदारी, 3) कार्यस्थल विेषण और खतरे की पहचान, 4) खतरे की रोकथाम और नियंत्रण, 5) सुरक्षा व स्वास्थ्य प्रशिक्षण और 6) रिकॉर्ड रखना और कार्यक्रम निरूपण. निष्कर्ष यह कि हिंसा को रोकने के लिए सिर्फ कानून का होना ही हिंसा के नहीं होने की गारंटी नहीं देता. 

सभी हितधारकों की भागीदारी, आकस्मिक घटनाओं से निपटने की तैयारियां, मानक संचालन प्रक्रियाओं के साथ अच्छी तरह से तैयार नीति, प्रशिक्षण की लगातार रिहर्सल, कानून लागू करने वाली एजेंसियों सहित सभी हितधारकों के बीच समन्वय, यहां तक कि जब कोई संकट न हो तब भी- कुछ ऐसी युक्तियां हैं जो किसी भी तरह की हिंसा की घटनाओं से बचने और उन्हें दूर करने में अस्पतालों की मदद कर सकती हैं. यदि डॉक्टर मरीजों के प्रति अधिक सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाते हैं, परिस्थितियों को ठीक से समझाते हैं तो कई प्रतिकूल परिस्थितियों से बचा जा सकता है.

Web Title: Coronavirus crisis: How did violence against health workers stop?

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