ब्लॉग: शहरों के बाद अब गांव में कोरोना के मामले बढ़ा रहे हैं चिंता, केवल सरकार के भरोसे नहीं बैठ सकते

By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 11, 2021 12:45 PM2021-05-11T12:45:56+5:302021-05-11T12:48:07+5:30

भारत कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। इस बीच गांव में भी कई मामले सामने आने लगे हैं, जो चिंताजनक हैं। गांव को कोरोना से बचाने के लिए सभी संगठनों को साथ आने की जरूरत है।

Coronavirus after cities cases in Indian villages are increasing more concern | ब्लॉग: शहरों के बाद अब गांव में कोरोना के मामले बढ़ा रहे हैं चिंता, केवल सरकार के भरोसे नहीं बैठ सकते

भारत के गांव को कोरोना से बचाने की चुनौती (फाइल फोटो)

गांवों में कोरोना के चलते हालात भीषण होने की खबरें मीडिया सामने ला रहा है. बड़े गांवों में पहले हफ्ते-दो हफ्ते में एक मौत की खबर आती थी. अब रोज ही वहां शवों की लाइन लगी रहती है. अगर आप लोगों से पूछें कि इतने लोगों को क्या हुआ है, तो वे कहते हैं कि खांसी-बुखार है, पता नहीं यह खांसी-बुखार उनकी जान क्यों ले रहे हैं?

उनसे पूछो कि आप लोग जांच क्यों नहीं करवाते, तो वे कहते हैं कि यहां गांव में आकर उनकी कौन डॉक्टर जांच करेगा? डॉक्टर तो 50-60 किमी दूर कस्बे या शहर में बैठता है. 50-60 किमी दूर मरीज को कैसे ले जाया जाए? साइकिल पर वह जा नहीं सकता. इसीलिए गांव में रहकर ही खांसी-बुखार का इलाज करवा रहे हैं. 

उनसे पूछो कि इलाज किससे करवा रहे हैं तो उनका जवाब होता है कि जिलों की ओपीडी तो बंद पड़ी हैं. यहां जो झोलाछाप पैदली डॉक्टर घूमते रहते हैं, उन्हीं की गोलियां अपने मरीजों को हम दे रहे हैं. वे 10 रु. की पैरासिटामॉल 250 रुपए में दे रहे हैं. कुछ गांवों के सरपंच कहते हैं कि हमारे गांव में कोरोना-फोरोना का क्या काम है? लोगों को बस खांसी-बुखार है. यदि वह एक आदमी को होता है तो घर में सबको हो जाता है.

सर्दी-जुकाम की सस्ती दवा की कालाबाजारी जब गांवों में इतनी बेशर्मी से हो रही है तो कोरोना की जांच और इलाज के लिए हमारे ग्रामीण भाई हजारों-लाखों रु. कहां से लाएंगे? ऐसा लगता है कि इस कोरोना-काल में हमारी सरकारों और राजनीतिक दलों को कोई चिंता ही नहीं है. 

जनता की लापरवाही इतनी ज्यादा है कि उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में सैकड़ों चुनावकर्मी कोरोना के शिकार हो गए लेकिन जनता ने कोई सबक नहीं सीखा. ऐसा ही मामला राजस्थान के सीकर जिले के खेवरा गांव में सामने आया. गुजरात से 21 अप्रैल को एक संक्रमित शव गांव लाया गया. उसे दफनाने के लिए 100 लोग पहुंचे. उन्होंने कोई सावधानी नहीं बरती. उनमें से 21 लोगों की मौत हो गई.

ऐसी हालत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई अन्य गांवों में भी हो रही है लेकिन उसका ठीक से पता नहीं चल रहा है. देश के गांवों को सिर्फ सरकारों के भरोसे कोरोना से नहीं बचाया जा सकता. न ही उन्हें भगवान भरोसे छोड़ा जा सकता है. देश के सांस्कृतिक, राजनीतिक, समाजसेवी, धार्मिक और जातीय संगठन यदि इस वक्त पहल नहीं करेंगे तो आखिर कब करेंगे? अपनी सेवा भावना को दिखाने का यही सही समय है.

Web Title: Coronavirus after cities cases in Indian villages are increasing more concern

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