ब्लॉग: भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता पर कांग्रेस-आप कलह का साया

By राजकुमार सिंह | Published: June 6, 2023 02:45 PM2023-06-06T14:45:53+5:302023-06-06T14:48:46+5:30

आप और कांग्रेस के रिश्ते सुधरे बिना व्यापक विपक्षी एकता दूर की कौड़ी ही बनी रहेगी. दोनों पार्टियों के बीच कटुता पुरानी है, जो समय के साथ बढ़ती गई है.

Congress-AAP bickering overshadows opposition unity against BJP | ब्लॉग: भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता पर कांग्रेस-आप कलह का साया

विपक्षी एकता पर कांग्रेस-आप कलह का साया (फाइल फोटो)

अगले साल लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्षी एकता की कवायद कांग्रेस और आप की रार में फंसती दिख रही है. दिल्ली सरकार को अफसरों के तबादले-तैनाती के सुप्रीम कोर्ट से मिले अधिकार को निष्प्रभावी करनेवाले केंद्र सरकार के अध्यादेश को राज्यसभा में रोकने के लिए मुख्यमंत्री एवं आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को नीतीश कुमार, शरद पवार, ममता बनर्जी और के. चंद्रशेखर राव का समर्थन तो मिल गया है, लेकिन कांग्रेस ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं.  

चार राज्यों-राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस सरकार है तो दो राज्यों-दिल्ली और पंजाब में आप की सरकार है. ऐसे में आप और कांग्रेस के रिश्ते सुधरे बिना व्यापक विपक्षी एकता दूर की कौड़ी ही बनी रहेगी. बेशक पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव के साथ भी कांग्रेस के रिश्ते मधुर नहीं हैं, पर उनमें वैसी कटुता नहीं है, जैसी केजरीवाल के साथ है. यह कटुता पुरानी है, जो समय के साथ बढ़ती गई है. 

अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन के समय से ही केजरीवाल के निशाने पर, उस समय केंद्र में संप्रग सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस रही है. केजरीवाल भ्रष्ट नेताओं की जो सूची जारी करते थे, उसमें ज्यादातर कांग्रेस या फिर उसके मित्र दलों के ही होते थे.

बाद में जब केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी नाम से अपना दल बनाया तो उसने भी सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही पहुंचाया. शीला दीक्षित के नेतृत्व में लगातार तीन बार दिल्ली में कांग्रेस सरकार रही, जिसे भाजपा ढंग से चुनौती तक नहीं दे पाई, लेकिन नई नवेली आप ने अपने पहले ही चुनाव में उसे सत्ता से बेदखल कर दिया. 

दिल्ली में राजनीति के हाशिये पर भाजपा भी खिसक गई है, लेकिन कांग्रेस के समक्ष तो अस्तित्व का संकट नजर आता है. कांग्रेस पर आप की मार दिल्ली तक ही सीमित नहीं रही. पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल कर आप ने कांग्रेस से पंजाब की सत्ता भी छीन ली. इतना ही नहीं, गोवा और गुजरात विधानसभा चुनावों में भी आप को जो थोड़ी-बहुत सफलता मिली, वह भी कांग्रेस की ही कीमत पर.

सूत्रों के हवाले से जो कुछ बाहर आ रहा है, उसके मुताबिक दिल्ली और पंजाब में आप, प. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, तेलंगाना में बीआरएस तथा महाराष्ट्र में एनसीपी-शिवसेना (ठाकरे) कांग्रेस को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं हैं. मित्र दलों का इरादा कांग्रेस को लोकसभा की आधे से भी कम सीटें देने का है. क्या अकेले दम कर्नाटक जीत चुकी कांग्रेस इसके लिए मान जाएगी? ऐसे अंतर्विरोधों के बीच विपक्षी एकता की राह आसान तो हर्गिज नहीं है.

Web Title: Congress-AAP bickering overshadows opposition unity against BJP

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