शोभना जैन का ब्लॉग : ऑस्ट्रेलिया के साथ साझी चुनौतियां और साझेदारी

By शोभना जैन | Published: September 18, 2021 11:38 AM2021-09-18T11:38:36+5:302021-09-18T11:51:48+5:30

भारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की हाल ही में पहली टू प्लस टू मंत्नी स्तरीय अहम बैठक हुई. इसे दोनों देशों के बीच ‘व्यापक सामरिक साझेदारी’ को बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.

Common challenges and partnerships of india with Australia | शोभना जैन का ब्लॉग : ऑस्ट्रेलिया के साथ साझी चुनौतियां और साझेदारी

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsचीन ने कहा दूसरे देशों को निशाना बनाने के लिए की गई गुटबाजी काम नहीं आएगीभारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की पहली टू प्लस टू बैठक इस क्षेत्न में चीन अवैध रूप से अनेक द्वीप हथिया रहा है

भारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की हाल ही में पहली टू प्लस टू मंत्नी स्तरीय अहम बैठक हुई. इसे दोनों देशों के बीच ‘व्यापक सामरिक साझेदारी’ को बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. वैसे इस बैठक की अहमियत इसलिए भी कुछ खास है कि अगले सप्ताह वाशिंगटन में अमेरिका नीत भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान की सदस्यता वाले ‘क्वाड’ समूह की पहली प्रस्तावित ‘वास्तविक शिखर बैठक’ से पूर्व यह टू प्लस टू वार्ता हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच अहम मुद्दों पर सहमति के नए बिंदु बने. यहां यह बात अहम है कि स्वयं अपना विस्तारवादी एजेंडा चला रहा चीन जिस तरह से ‘क्वाड’ को लेकर तिलमिलाता रहा है, वो ही बौखलाहाट एक बार फिर इस बार भी क्वाड शिखर बैठक से पूर्व खुलकर दुनिया के सामने आई.

चीन ने इस प्रस्तावित क्वाड शिखर बैठक को गुटबाजी करार देते हुए कहा कि दूसरे देशों को निशाना बनाने के लिए की गई गुटबाजी काम नहीं आएगी. भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों सामुद्रिक पड़ोसियों की, हिंद प्रशांत क्षेत्न में साझा सामरिक चुनौतियां हैं और वे क्षेत्न को शांतिपूर्ण और सभी के लिए साझा विकास का क्षेत्न बनाने की प्रतिबद्धता की दिशा में काम करते हुए इस सामुद्रिक सहयोग को और बढ़ाने की दिशा में साङो तौर पर प्रयासरत हैं. लेकिन इस क्षेत्न में चीन के रवैये विशेष तौर पर दक्षिण चीन सागर क्षेत्न में चीन की विस्तारवादी आक्रामक गतिविधियों पर भारत, ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कमोबेश सभी देश चिंतित हैं. हिंद-प्रशांत क्षेत्न में दुनिया के देशों के साथ भारत और ऑस्ट्रेलिया ऐसी नियम आधारित व्यवस्था पर जोर देते रहे हैं, जहां आचार संहिता का पालन हो, इस समुद्रीय क्षेत्न में स्वतंत्न, मुक्त और सभी की साझेदारी से नियम आधारित व्यवस्था अपनाई जाए, जहां सभी देश अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत व्यापार कर सकें, निर्बाध नौवहन हो सके, आर्थिक गतिविधियां चलती रहें. इसी संदर्भ में हाल का एक घटनाक्रम खासा अहम है.

चीन की बढ़ती चौधराहट के बीच क्वाड बैठक से एक सप्ताह पूर्व हिंद महासागर क्षेत्न में अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया ने बढ़ते सामरिक हितों के मद्देनजर एक त्रिपक्षीय सुरक्षा साङोदारी की घोषणा की. निश्चय ही हिंद प्रशांत क्षेत्न के लिए यह एक बड़ा फैसला है.

गौरतलब है कि इस क्षेत्न में चीन अवैध रूप से अनेक द्वीप हथिया रहा है, द्वीप बना रहा है जिसका न केवल नौवहन पर बुरा असर पड़ रहा है, बल्किक्षेत्न के देशों का मत्स्य व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. और साथ ही विवादास्पद क्षेत्नों में फिलीपींस और वियतनाम जैसे पड़ोसी देशों के स्वामित्व के दावों पर बुरा असर पड़ रहा है, पूर्वी चीन सागर क्षेत्न में जापान के सेनकाकु द्वीप के आसपास चीन की नौसेना की घुसपैठ की कोशिशों ने दुनिया के अनेक देशों में चिंताएं और बढ़ा दी हैं. ऐसी स्थित में क्वाड और इस नए त्रिपक्षीय सुरक्षा समूह के सम्मुख क्षेत्न में साझा चुनौतियां हैं.

टू प्लस टू वार्ता दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की बैठक थी. रक्षा मंत्नी राजनाथ सिंह और विदेश मंत्नी डॉ. एस. जयशंकर ने भारत की तरफ से तथा ऑस्ट्रेलिया की तरफ से ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्नी डटन और विदेश मंत्नी मारिस पायने ने वार्ता में सुरक्षा, सामरिक और अफगानिस्तान सहित अंतरराष्ट्रीय घटनाक्र म व कूटनीतिक मामलों पर तथा आपसी सहयोग बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा की. अभी तक टू प्लस टू वार्ता दोनों देशों के बीच सचिव स्तर की हुआ करती थी लेकिन इसे बढ़ाकर मंत्नीस्तरीय करने का फैसला दोनों ही देशों की संबंधों को एक नई गति देने की इच्छा को दर्शाता है.

गौरतलब है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने व्यापक रणनीतिक सहभागिता समझौते का भी एक वर्ष पूरा कर लिया है, समान साझा सामरिक हितों को लेकर पिछले कुछ दशकों से द्विपक्षीय संबंध लगातार बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्नी मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्नी मॉरीसन ने जून 2020 में एक वर्चुअल शिखर बैठक में द्विपक्षीय रणनीतिक सहभागिता का विस्तार कर उसे व्यापक स्वरूप दिया था. व्यापारिक क्षेत्न में भी संबंध बढ़ाना दोनों की प्राथमिकता है. पिछले दिनों ही दोनों देशों के बीच पिछले छह बरस से ठप पड़ी ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार वार्ता’ को शुरू करने की दिशा में पहल हुई है. हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है. पिछले वर्ष 24.4 अरब डॉलर का दोतरफा व्यापार हुआ. लेकिन व्यापार वार्ता संबंधी कुछ जटिल मुद्दों पर गतिरोध को सुलझाना है.

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पिछले कुछ वर्षो में रक्षा और सैन्य सहयोग बढ़ा है. परस्पर सुरक्षा हितों से संबंधित क्षेत्नों में दोनों देश अपने मुख्य सहयोगी देशों के साथ भी सुरक्षा दायरा बढ़ा रहे हैं. क्वाड समूह के देशों द्वारा उनकी नौसेनाओं के बीच परस्पर सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया मालाबार नौसैनिक अभ्यास इसी दिशा में उठाया गया कदम है. पिछले वर्ष से सभी क्वाड सदस्य देश-ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका - मालाबार नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. दोनों देशों के बीच विभिन्न भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक मुद्दों पर भी समान दृष्टिकोण बनता नजर आता है. दोनों देशों की जनता के बीच भी आवाजाही और संपर्क लगातार बढ़ रहा है. ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले विदेशी छात्नों में भारतीय छात्नों की संख्या सर्वाधिक है. आपसी सहयोग व भागीदारी को संस्थाओं तथा संगठनों के माध्यम से अनेक स्तर पर बढ़ाना भी दोनों की प्राथमिकता सूची में है.

Web Title: Common challenges and partnerships of india with Australia

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