पवन के. वर्मा का नजरियाः ‘युवा राष्ट्र’ होने का लाभ उठाने की चुनौती
By पवन के वर्मा | Published: July 15, 2019 10:20 AM2019-07-15T10:20:11+5:302019-07-15T10:20:11+5:30
हमारे देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयुवर्ग की है. चीन और जापान जैसे अन्य देशों की तुलना में, जहां बुजुर्गो की आबादी का प्रतिशत ज्यादा है, निश्चय ही हमारे पास जनसांख्यिकीय लाभांश है, जो बहुमूल्य सिद्ध हो सकता है. लेकिन, क्या युवा राष्ट्र होना मात्र ही पर्याप्त है?
इन दिनों प्राय: दावा किया जाता है कि भारत दुनिया का सबसे युवा राष्ट्र है. आंकड़े बताते हैं कि यह दावा सही है. हमारे देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयुवर्ग की है. चीन और जापान जैसे अन्य देशों की तुलना में, जहां बुजुर्गो की आबादी का प्रतिशत ज्यादा है, निश्चय ही हमारे पास जनसांख्यिकीय लाभांश है, जो बहुमूल्य सिद्ध हो सकता है. लेकिन, क्या युवा राष्ट्र होना मात्र ही पर्याप्त है?
युवा भारत निश्चित रूप से आकांक्षा से भरा है. युवा आगे बढ़ने के लिए, नौकरी पाने के लिए, बेहतर जीवन के लिए, अधिक कमाने और खर्च करने के लिए अधीर हैं. लेकिन अन्य गुणों को अपनाने के बारे में उनका दृष्टिकोण क्या है? उदाहरण के लिए क्या युवा आदर्शवादी हैं? सार्वजनिक और निजी जीवन में नैतिकता के महत्व को लेकर क्या वे अपनी पूर्ववर्ती पीढ़ी की तुलना में संवेदनशील हैं? क्या उनके दृष्टिकोण में नैतिकता की एक बड़ी भूमिका है? मुङो डर है कि इन सवालों के जवाब नकारात्मक हैं. आदर्शवाद - स्वयं के लिए एक लक्ष्य के रूप में - हमारे युवाओं की चारित्रिक विशेषताओं में शामिल नहीं प्रतीत होता है.
यदि आदर्शवादी नहीं हैं तो क्या युवा अपनी सांस्कृतिक जड़ों के बारे में जानते हैं? इसमें भी संदेह प्रतीत होता है. हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि बेहतरीन छात्र भी अपनी शैक्षिक विशेषज्ञता के बाहर, बहुत कम जानते हैं. महानगरों में प्रवास करने से वे अपने प्राकृतिक सांस्कृतिक परिवेश से कट जाते हैं. इससे नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति, परंपरा, लोककथाओं, इतिहास और दर्शन के बारे में पता ही नहीं चल पाता.
क्या युवा धर्मनिरपेक्ष हैं? आंशिक रूप से हां और आंशिक रूप से नहीं. वे अपने जीवन की आपाधापी की वजह से धर्मनिरपेक्ष हैं और आकांक्षाओं के रास्ते में आने वाली किसी भी चीज से विचलित नहीं होते. ऐसी धर्मनिरपेक्षता विश्वास पर कम और सुविधा पर अधिक आधारित है.
हम भाग्यशाली हैं कि एक युवा राष्ट्र हैं. हमारे युवाओं में बहुत प्रतिभा है. वे अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र, तकनीक की समझ रखने वाले, ऊर्जावान और विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की क्षमता रखने वाले हैं. यह अफसोसजनक है कि उनमें बहुत सारे अभी भी सही अवसर पाने से वंचित हैं, खासकर नौकरियों के बारे में. यह एक बड़ी चुनौती हमारे सामने है. इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जनसांख्यिकीय लाभांश, जिस पर हमें गर्व है, कहीं बड़ी जनसांख्यिकीय चुनौती न बन जाए.