आई लव यू Book Review: प्यार और उम्र के ताने-बाने की कहानी
By मेघना वर्मा | Published: November 14, 2019 02:18 PM2019-11-14T14:18:33+5:302019-11-14T14:18:33+5:30
'आई लव यू' पत्रकार कुलदीप राघव का पहला नॉवेल है। 'आई लव यू' किताब की कहानी आज के समय के हिसाब से और आज की जनरेशन को देखते हुए लिखी गई है।
'ना उम्र की सीमा हो ना जन्मों का हो बंधन, जब प्यार करें कोई तो देखे केवल मन'... साल 1981 में आई फिल्म 'प्रेम गीत' का ये गाना आज भी लोगों की रूह तक उतर जाता है। जगजीत सिंह का ये गाना सुनने में जितना खूबसूरत है उससे कई ज्यादा खूबसूरत है इस गाने का मतलब। आज जिस किताब का हम रिव्यू कर रहे हैं उसमें भी प्यार और उम्र के इसी ताने-बाने को दिखाने की कोशिश की गई है।
प्यार, सारी सीमाओं के परे होता है। ना इसमें कोई ऊंच-नीच होती है ना कोई भेद-भाव। ना कोई उम्र होती है और ना कोई जात। प्यार के इसी खूबसूरत रिश्ते को दिखाती है कुलदीप राघव की किताब आई लव यू। किताब कैसी है क्या है इसमें खास आइए हम बताते हैं आपको।
क्या है कहानी
'आई लव यू' की कहानी है ईशान और स्नेहा की। सदियों से ये परंपरा चली आ रही है कि जब दो लोग प्यार करेंगे तो लड़की का लड़के से उम्र में छोटा होना जरूरी है। अगर आपने किसी बड़ी लड़की से प्यार कर लिया तो समझिए वो आपकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती हो गई। बस उम्र के इसी दहलीज को लांघते हुए समाज के कई दकियानूसी विचार-धारों पर थप्पड़ जड़ती है ईशान और स्नेहा की कहानी।
समाज में आज भी जहां लव मैरिज को गलत नजरों से देखा जाता है। आज भी जहां दो प्यार करने वालों को घृणा की नजरों से देखा जाता है, वहां दो ऐसे प्यार करने वाले जिनकी उम्र में छह साल का अंतर है वो अपनी प्रेम कहानी कैसे पूरी करेंगे इसके लिए आपको किताब पढ़नी होगी।
कैसी है किताब
'आई लव यू' किताब की कहानी आज के समय के हिसाब से और आज की जनरेशन को देखते हुए लिखी गई है। मगर प्यार के जज्बातों को पिरोने में लेखन कहीं चूक गए। किताब भले ही आज की जेनरेशन के लिए लिखी गई हो मगर इसका लेखन कई जगहों पर बचकाना लगता है। किताब के कुछ कैरेक्टर्स भी जबरजस्ती से लगते हैं।
कहानी दो लोगों के ईर्द-गिर्द घूमती है। लेखन की बात करें तो कभी किसी जगह पर ईशान(मुख्य किरदार), स्नेहा (मुख्य किरदार) को आप बोलता है तो कभी तुम। जो पढ़ने में कई जगह अटपटा लगता है। अनन्या (ईशान की दोस्त) का किरदार मुझे बहुत कमजोर सा लगा। अनन्या क्यों, ईशान की शादी की बातें सुनकर मुंह बनाती है? क्या वो ईशान से प्यार करती है या स्नेहा की वजह से दुखी रहती है। कहानी का ये सिरा भी एकदम अधूसा सा लगता है।
'नदी भी न...इंसान की तरह होती है, जहां से पैसा होती है वहां बच्चे की तरह उथल-पुथल करती है, शरारत करती है और जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, तो इंसान की तरह शांत और गंभीर होती जाती है।' किताब की ये लाइन बेहद खूबसूरत है। हलांकि जिस स्थिती और समय पर ये कही गई है उसकी टाइमिंग सही नहीं है।
ओवरऑल कहानी ठीक-ठाक है। किताब को आप जैसे-जैसे आगे पढ़ते जाएंगे आप किसी नए मोड़ का या किसी नए ट्विस्ट का इंतजार करेंगे। मगर ऐसा होता नहीं है। कहानी के क्लाइमैक्स में भी आपकी उम्मीद पर पानी फिर जाएगा। किताब में कई लाइन कई बार दोहराए हुए से लगते हैं। 216 पन्ने की ये किताब कहीं-कहीं खींची हुई सी भी लगती है।
इससे पहले पढ़ी गई कई लव स्टोरीज जैसी ही 'आई लव यू' की कहानी भी है। अगर आपको लव स्टोरीज पसंद हैं तो एक बार ये किताब पढ़ी जा सकती है।