ब्लॉगः अग्निपथ स्कीम लागू करने में सरकार से कहां हुई चूक, भर्ती में आयुसीमा बढ़ाने से और बढ़े खतरे
By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 18, 2022 12:03 PM2022-06-18T12:03:17+5:302022-06-18T12:04:18+5:30
यह ठीक है कि सेना से 4 साल बाद हटने वाले 75 प्रतिशत नौजवानों को सरकार लगभग 11-12 लाख रुपए देगी तथा सरकारी नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता भी मिलेगी लेकिन असली सवाल यह है कि सरकार ने इस मामले में भी क्या वही गलती नहीं कर दी, जो वह पहले भी कर चुकी है?
मोदी सरकार ने जो नई अग्निपथ योजना घोषित की है, उसके खिलाफ सारे देश में जन-आंदोलन शुरू हो गया है। यह आंदोलन रोजगार के अभिलाषी नौजवानों का है। यह किसानों और मुसलमानों के आंदोलन से अलग है। वे आंदोलन देश की जनता के कुछ वर्गों तक ही सीमित थे। यह जाति, धर्म, भाषा और व्यवसाय से ऊपर उठकर है। इसमें सभी जातियों, धर्मों, भाषाओं, क्षेत्रों और व्यवसायों के नौजवान सम्मिलित हैं। इसके कोई सुनिश्चित नेता भी नहीं हैं, जिन्हें समझा-बुझाकर चुप करवाया जा सके। यह आंदोलन स्वतःस्फूर्त है। जाहिर है कि इस स्वतःस्फूर्त आंदोलन के भड़कने का मूल कारण यह है कि नौजवानों को इसके बारे में गलतफहमी हो गई है। वे समझ रहे हैं कि 75 प्रतिशत भर्तीशुदा जवानों को यदि 4 साल बाद हटा दिया गया तो कहीं के नहीं रहेंगे। न तो नई नौकरी उन्हें आसानी से मिलेगी, न ही उन्हें पेंशन आदि मिलने वाली है।
इसे लेकर ही सारे देश में आंदोलन भड़क उठा है। रेलें रुक गई हैं, सड़कें बंद हो गई हैं और आगजनी भी हो रही है। बहुत से नौजवान घायल और गिरफ्तार भी हो गए हैं। यह आंदोलन पिछले सभी आंदोलनों से ज्यादा खतरनाक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि ज्यादातर आंदोलनकारी वे ही नौजवान हैं, जिनके रिश्तेदार, मित्र या पड़ोसी पहले से भारतीय फौज में हैं। इस आंदोलन से वे फौजी भी अछूते नहीं रह सकते। सरकार ने इस अग्निपथ योजना को थोड़ा ठंडा करने के लिए भर्ती की उम्र साढ़े सत्रह साल से 21 साल तक जो रखी थी, उसे अब 23 तक बढ़ा दिया है। यह राहत जरूर है लेकिन इसका एक दुष्परिणाम यह भी है कि चार साल बाद यानी 27 साल की उम्र में बेरोजगार होना पहले से भी ज्यादा हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
यह ठीक है कि सेना से 4 साल बाद हटने वाले 75 प्रतिशत नौजवानों को सरकार लगभग 11-12 लाख रुपए देगी तथा सरकारी नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता भी मिलेगी लेकिन असली सवाल यह है कि सरकार ने इस मामले में भी क्या वही गलती नहीं कर दी, जो वह पहले भी कर चुकी है? 2014 में सरकार बनते ही उसने भूमि-ग्रहण अध्यादेश जारी किया, अचानक नोटबंदी घोषित कर दी और कृषि कानून बना दिए। वह यह भूल रही है कि वह लोकतंत्र की सरकार है, जिसमें कोई भी कदम उठाने से पहले जनता को विश्वास में लेना जरूरी होता है।